अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में समुद्री जीवों की सुरक्षा के लिए 18 और देशों ने संधि का अनुमोदन किया

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 10-06-2025
18 more countries ratified the treaty to protect marine life in international waters
18 more countries ratified the treaty to protect marine life in international waters

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

 
अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में जैव विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए एक वैश्विक समझौते ‘उच्च सागर संधि’ का 18 और देशों ने अनुमोदन कर दिया है. इसी के साथ इस समुद्री संधि का अनुमोदन करने वाले कुल देशों की संख्या 49 हो गई है.
 
जून 2023 में अपनाई गई यह संधि कम से कम 60 देशों द्वारा अनुमोदन के 120 दिन बाद लागू होगी. यह संधि 2030 तक 30 प्रतिशत महासागरों और भूमि को संरक्षित करने के वैश्विक रूप से स्वीकृत जैव विविधता लक्ष्य को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिसे "30 गुणा 30" के रूप में जाना जाता है. सोमवार को तीसरे संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में आयोजित एक विशेष ‘उच्च सागर संधि’ कार्यक्रम में अल्बानिया, बहामास, बेल्जियम, क्रोएशिया, कोटे डी आइवर, डेनमार्क, फिजी, माल्टा, मॉरिटानिया, वानुआतु, ग्रीस, गिनी-बिसाऊ, जमैका, जॉर्डन, लाइबेरिया, सोलोमन द्वीप, तुवालु और वियतनाम ने अपने अनुमोदन के दस्तावेज जमा किए.
 
अब ये देश उन 31 देशों और यूरोपीय संघ में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने सम्मेलन से पहले ही अपना अनुमोदन प्रस्तुत कर दिया है. फ्रांस, कोस्टा रिका के साथ संयुक्त रूप से 9 से 13 जून तक नीस में तीसरे संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (यूएनओसी-3) की मेजबानी कर रहा है. वर्ष 2015 में सीओपी-21 के बाद यह पहली बार है जब फ्रांस अपनी धरती पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. फ्रांस सरकार का लक्ष्य यूएनओसी-3 को महासागर संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण बिंदु साबित करना है, जो महत्वाकांक्षा के लिहाज से जलवायु परिवर्तन के लिए पेरिस समझौते की बराबरी करने वाला हो. भारत ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा के कार्यक्रम से इतर एक अन्य कार्यक्रम में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे.
 
अधिकारियों ने पिछले सप्ताह ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि भारत इस संधि को अनुमोदित करने की जल्दी में नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार अब भी इस बात का अध्ययन कर रही है कि यह संधि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, जैविक विविधता अधिनियम, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और राज्य स्तरीय समुद्री मछली पकड़ने के कानूनों जैसे मौजूदा भारतीय कानूनों के साथ किस तरह से फिट बैठती है. ‘उच्च सागर’ को अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र भी कहा जाता है, जो किसी भी देश के राष्ट्रीय जल, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और अधिकार क्षेत्र से परे के क्षेत्रों को संदर्भित करता है. अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र पर किसी एक देश का नियंत्रण नहीं है और सभी देशों को बिना किसी हस्तक्षेप के नौवहन, मछली पकड़ने, अनुसंधान और अन्य गतिविधियों के लिए इनका उपयोग करने का अधिकार है.