ताइवान में चीन की दबंगई पर लगाम कसने और उसकी घेराबंदी के लिए अमेरिका अब भारत को मजबूत साझेदार के रूप में देख रहा है. अमेरिकी कांग्रेस की सेलेक्ट कमेटी ने भारत को ‘नाटो प्लस’ का दर्जा देने की सिफारिश की है. नाटो प्लस में अभी पांच देश हैं, कमेटी की सिफारिश मंजूर हुई तो भारत इसका छठा सदस्य बन जाएगा.
भारत को मिलेगी बेहतर डिफेंस टेक्नोलॉजी
‘नाटो प्लस’ देशों को अमेरिकी डिफेंस इंडस्ट्री और टेक्नोलॉजी की बेहतर उपलब्धता मिलती है. ‘नाटो प्लस’ में आने से भारत को भी चुनिंदा देशों के जैसे बेहतर अमेरिकी डिफेंस टेक्नोलॉजी मिल सकेगी. फिलहाल अमेरिका-भारत में कोई डिफेंस समझौता या डील नहीं है. लेकिन अमेरिका ने भारत को अहम डिफेंस पार्टनर (MDP) का दर्जा दिया हुआ है. इससे भारत को संवेदनशील तकनीक का निर्यात हो रहा है.
कमेटी का मानना है कि चीन ताइवान पर हमला करता है तो सामरिक तौर पर कड़ा जवाब देने के साथ-साथ क्वॉड को भी अपनी भूमिका बढ़ानी होगी. क्वॉड चार देशों का सहयोगी संगठन है जिसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान हैं. चीन से मुकाबले के लिए अमेरिका को G-7 के देशों के साथ भी सहयोग को और मजबूत करना होगा.
जनवरी में गठित कमेटी ने ताइवान पर अपनी पहली रिपोर्ट और सिफारिशें जारी की हैं. कमेटी की सिफारिशों की टाइमिंग अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 21 जून से अमेरिका की यात्रा प्रस्तावित है.
कमेटी की सिफारिशों को डिफेंस एक्ट में शामिल करना होगा
कमेटी की सिफारिश के बाद भारत को ‘नाटो प्लस’ का दर्जा देने के लिए पहली कड़ी के रूप में डिफेंस एक्ट में शामिल कर आधिकारिक रूप से कानून बनाना होगा. फिर सीनेट और अंतिम मंजूरी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से जारी की जाएगी.
बाइडेन भारत के पक्ष में हैं. चीन के साथ हालिया विवादों के चलते एिशया में वे भारत के साथ और मजबूत रिश्ते चाहते हैं. जनरल माइक मिनेहन भी भारत से सहयोग के पक्षधर हैं.
सीनेट की विदेश मामलों की कमेटी के अध्यक्ष बॉब मेनेन्डेज की ओर से बाधा की आशंका है. वह भारत-रूस S 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीद समझौते के विरोधी हैं.
क्या है ‘नाटो प्लस’
मूल नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) में 31 सदस्य देश हैं. अमेरिका ने ‘नाटो प्लस’ संगठन बनाया हुआ है. इसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इजरायल, जापान और दक्षिण कोरिया हैं. इन देशों के साथ अमेरिका के सामरिक संबंध हैं.