ह्यूमन राइट्स वॉच ने पाकिस्तान से कहा: पत्रकार मतीउल्लाह को तुरंत राहत दें

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 28-10-2025
Human Rights Watch urges Pakistan to provide immediate relief to journalist Matiullah
Human Rights Watch urges Pakistan to provide immediate relief to journalist Matiullah

 

बैंकॉक

ह्यूमन राइट्स वॉच ने सोमवार को पाकिस्तान की सरकार से अपील की है कि वह पत्रकार मतीउल्लाह जन के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित और बिना ठोस आधार के आरोपों को तुरंत वापस ले। इस मामले में जन पर 1997 के एंटी-टेररिज्म एक्ट की कई धाराओं और नशीली दवाओं की तस्करी के आरोप लगाए गए हैं। इस तरह के मुकदमे पत्रकारों की स्वतंत्रता पर भारी खतरा हैं।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि हाल के वर्षों में पाकिस्तान में पत्रकारों को लगातार हैरानी, धमकियों, हमलों, मनमानी गिरफ्तारी, जबरन गायब किए जाने और हत्या जैसी गंभीर बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। सरकार आलोचनात्मक मीडिया रिपोर्टिंग को दबाने के लिए संपादकों और मीडिया मालिकों पर दबाव डाल रही है।

साल 2025 में अब तक सरकार ने 2016 की इलेक्ट्रॉनिक क्राइम्स एक्ट और एंटी-टेररिज्म एक्ट के तहत लगभग 689 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें ज्यादातर पत्रकारों को निशाना बनाया गया। सरकार आलोचनात्मक टीवी चैनलों के प्रसारण को रोकने के लिए सिग्नल बाधित करने जैसी कार्रवाई भी कर रही है।

ह्यूमन राइट्स वॉच की एशिया डायरेक्टर पैट्रीशिया गोसमैन ने कहा, “मतीउल्लाह जन के खिलाफ मुकदमा पत्रकारिता को दबाने का कठोर प्रयास प्रतीत होता है। सरकार को इन आरोपों को तुरंत हटाना चाहिए और पत्रकारों को उनके काम करने से डराने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली का उपयोग बंद करना चाहिए।”

पुलिस का दावा है कि 27 नवंबर 2024 को जन को इस्लामाबाद के ई-9 इलाके में एक चेकपॉइंट पर रोका गया था, और उनके पास 246 ग्राम मेथामफेटामाइन होने और गिरफ्तारी का विरोध करने के कारण आतंकवाद के आरोप लगाए गए। जन का कहना है कि पुलिस उनकी राजनीतिक प्रदर्शनों पर रिपोर्टिंग के कारण प्रतिशोध कर रही है।

जन ने बताया कि उन्हें और अन्य पत्रकार सकिब बशीर को अज्ञात व्यक्ति काले वर्दी में ले गए, आंखों पर पट्टी बांधकर गाड़ी में बैठा दिया। बशीर को तीन घंटे बाद रिहा किया गया, जबकि जन को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने 30 नवंबर को जमानत दी।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने तीन दशकों से राजनीतिक और कानूनी मामलों पर रिपोर्ट करने वाले जन को बार-बार निशाना बनाया है। वर्ष 2020 में भी उन्हें एक दिन के लिए अपहरण किया गया था।

अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पत्रकार संगठनों ने भी जन पर मुकदमे वापस लेने का अनुरोध किया है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने पाकिस्तान सरकार से पत्रकारों पर हमलों और संदिग्ध मुकदमों की निष्पक्ष और प्रभावी जांच करने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करने वाले कानूनों और नीतियों को संशोधित या रद्द करने, और लोकतांत्रिक बहस और स्वतंत्र मीडिया के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

गोसमैन ने कहा, “पाकिस्तान सरकार को पत्रकारों को परेशान करना और अनुचित मुकदमों का सामना करने से रोकना चाहिए ताकि वे बिना किसी डर के स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग कर सकें। सरकार को मानवाधिकारों और जनहित के मामलों पर रिपोर्ट करने वाले पत्रकारों के महत्व को समझना होगा, न कि उन्हें दबाना।”