पटना
जीवन बीमा निगम (LIC) और आदानी समूह के निवेश को लेकर हाल ही में वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट को विश्लेषक और वित्तीय विशेषज्ञों ने झूठा और भ्रामक करार दिया।
विश्लेषक मनीष बरियार ने कहा, "LIC ने मई में आदानी में कोई निवेश नहीं किया। इस तरह की रिपोर्टें केवल भारतीय अर्थव्यवस्था और उद्योगों की छवि को नुकसान पहुँचाने के लिए सामने आती हैं। LIC अपनी निवेश नीति स्वतंत्र रूप से तय करता है और हमेशा मजबूत भारतीय संस्थाओं में निवेश करता है।"
वरिष्ठ पत्रकार हर्ष वर्धन त्रिपाठी ने LIC की प्रतिष्ठा पर जोर देते हुए कहा, "LIC करोड़ों निवेशकों की भरोसेमंद संस्था है। आदानी समूह जैसी बड़ी कंपनियों में निवेश हमेशा सकारात्मक रिटर्न देता है। जब पहले शेयर बाजार में गिरावट आई थी, LIC ने निवेश कर बाजार को स्थिर किया।"
InGovern Research के संस्थापक श्रीराम सुब्रमणियन ने कहा, "USD 3.9 बिलियन का दावा आधारहीन है। LIC का आदानी समूह में निवेश पिछले दस वर्षों से जारी है और यह किसी वर्तमान सरकार से संबंधित नहीं है।"
सुप्रीम कोर्ट के वकील इश्करान भंडारी ने भी रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए कहा, "ऐसे प्रकाशन अक्सर सामान्य वित्तीय प्रथाओं को तोड़-मरोड़ कर भ्रामक कथा पेश करते हैं। LIC का निवेश भारतीय कंपनियों में ही होता है और रिपोर्ट केवल राजनीतिक एजेंडा चलाने के लिए बनाई गई है।"
राजनीतिक विश्लेषक तेहसीन पूनावाला ने कहा, "LIC की आदानी समूह में कुल संपत्ति (AUM) के मुकाबले हिस्सेदारी बहुत कम है। मई में आदानी पोर्ट्स और SEC में निवेश AAA रेटिंग वाली सुरक्षित निवेश नीति के तहत हुआ। LIC ने हमेशा लाभ कमाया है, जैसे ITC में 15% से अधिक निवेश। ऐसे आधारहीन आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।"
LIC ने शनिवार को वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को "झूठा, आधारहीन और वास्तविकता से दूर" करार दिया। LIC ने स्पष्ट किया कि निवेश निर्णय स्वतंत्र रूप से, बोर्ड-स्वीकृत नीतियों और विस्तृत ड्यू डिलिजेंस के आधार पर लिए जाते हैं।