गाज़ा युद्धविराम प्रस्ताव पर हमास ने दी सहमति: सूत्र

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-08-2025
Hamas agreed to Gaza ceasefire proposal: Sources
Hamas agreed to Gaza ceasefire proposal: Sources

 

काहिरा

हमास के एक सूत्र ने सोमवार को एएफपी को बताया कि फ़िलिस्तीनी संगठन ने मध्यस्थों द्वारा पेश किए गए गाज़ा युद्धविराम के नए प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

सूत्र ने कहा, “हमास ने मध्यस्थों को अपना जवाब सौंप दिया है, जिसमें पुष्टि की गई है कि हमास और उसके सहयोगी धड़े बिना किसी संशोधन की मांग किए नए युद्धविराम प्रस्ताव पर सहमत हो गए हैं।”

एक अन्य फ़िलिस्तीनी सूत्र, जो वार्ता से जुड़े हैं, ने बताया कि मध्यस्थ जल्द ही समझौते की घोषणा कर सकते हैं और आगे की वार्ता शुरू करने की तारीख तय करेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि “मध्यस्थों ने हमास और अन्य धड़ों को समझौते के कार्यान्वयन की गारंटी दी है और यह भरोसा भी दिलाया है कि स्थायी समाधान की दिशा में बातचीत फिर शुरू की जाएगी।”

इस घटनाक्रम पर इज़राइली सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

60 दिन की युद्धविराम योजना

मध्यस्थ देशों — मिस्र, क़तर और अमेरिका — की कोशिशें अब तक स्थायी युद्धविराम लाने में नाकाम रही हैं। यह संघर्ष अब अपने 23वें महीने में प्रवेश कर चुका है और गाज़ा में गंभीर मानवीय संकट पैदा हो चुका है।

सोमवार को एक फ़िलिस्तीनी अधिकारी ने बताया कि मध्यस्थों ने शुरुआती 60 दिन के युद्धविराम और बंधकों की दो चरणों में रिहाई का प्रस्ताव दिया है।

इस्लामिक जिहाद के एक सूत्र ने कहा कि योजना के तहत पहले चरण में 10 इस्राइली बंधकों को जीवित रिहा किया जाएगा, साथ ही कुछ शव भी सौंपे जाएंगे।
दूसरे चरण में शेष बंधकों की रिहाई होगी और उसके तुरंत बाद व्यापक समझौते के लिए वार्ता शुरू की जाएगी, जिसे अंतरराष्ट्रीय गारंटी के साथ लागू किया जाएगा।

युद्ध की पृष्ठभूमि

7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के दौरान 251 लोगों को बंधक बनाया गया था। इनमें से 49 अब भी गाज़ा में हैं, जिनमें से 27 की मौत की पुष्टि इज़राइली सेना ने की है।

उस हमले में 1,219 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश नागरिक थे।इसके जवाब में इज़राइल की सैन्य कार्रवाई में अब तक 62,004 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें भी अधिकांश आम नागरिक हैं।
ये आंकड़े गाज़ा की हमास-शासित स्वास्थ्य मंत्रालय के हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र विश्वसनीय मानता है।