World Photography Day 2025: What is the ‘Rule of Thirds’ and why is it important?
अर्सला खान/नई दिल्ली
हर साल 19 अगस्त को वर्ल्ड फ़ोटोग्राफ़ी डे मनाया जाता है. यह दिन उन कलाकारों और फोटोग्राफ़र्स को समर्पित है जो अपनी लेंस के ज़रिए जीवन, समाज और प्रकृति को कैद करते हैं. इस मौके पर फोटोग्राफी के सबसे बुनियादी और अहम सिद्धांतों में से एक ‘रूल ऑफ़ थर्ड’ (Rule of Third) की चर्चा करना ज़रूरी हो जाता है, क्योंकि यही वह तकनीक है जो एक साधारण तस्वीर को शानदार और आकर्षक बना देती है.
क्या है रूल ऑफ़ थर्ड?
‘रूल ऑफ़ थर्ड’ फोटोग्राफी का एक बेसिक कम्पोज़िशनल नियम है. इसमें कल्पना कीजिए कि आप अपने कैमरे या मोबाइल की स्क्रीन को दो समानांतर क्षैतिज (horizontal) और दो समानांतर ऊर्ध्वाधर (vertical) लाइनों से 9 हिस्सों में बाँट रहे हैं.
इस ग्रिड में चार इंटरसेक्शन पॉइंट (जहाँ ये रेखाएँ आपस में मिलती हैं) होते हैं. ‘रूल ऑफ़ थर्ड’ कहता है कि आपके विषय (subject) या तस्वीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा इन इंटरसेक्शन पॉइंट्स या इन लाइनों पर होना चाहिए, ताकि तस्वीर में संतुलन और सौंदर्य दोनों बने रहें.
क्यों है यह ज़रूरी?
नेचुरल बैलेंस – जब सब्जेक्ट ठीक बीच में रखा जाता है तो तस्वीर कई बार सपाट लगती है, लेकिन रूल ऑफ़ थर्ड अपनाने से तस्वीर में नेचुरल फ्लो और संतुलन आता है.
आंखों को सहज अनुभव – इंसानी दिमाग़ तस्वीरों को पढ़ते वक्त किनारों और पॉइंट्स पर ज्यादा ध्यान देता है, इसलिए जब सब्जेक्ट इन जगहों पर रखा जाता है, तो देखने वाले को तस्वीर ज़्यादा आकर्षक लगती है.
क्रिएटिविटी का स्पेस – यह नियम फोटोग्राफ़र को ‘नेगेटिव स्पेस’ (तस्वीर का खाली हिस्सा) का इस्तेमाल करने का मौका देता है, जिससे फोटो और भी कलात्मक लगती है,
स्टोरीटेलिंग – रूल ऑफ़ थर्ड से तस्वीरें सिर्फ सुंदर ही नहीं बल्कि कहानी कहने वाली भी लगती हैं। उदाहरण के लिए, समुद्र और आसमान की तस्वीर लेते समय अगर क्षितिज (horizon) को बीच में रखने की बजाय ऊपर या नीचे की लाइनों पर रखा जाए तो तस्वीर ज्यादा जीवंत हो जाती है.
क्या हमेशा रूल ऑफ़ थर्ड ज़रूरी है?
फोटोग्राफी में रूल्स सिर्फ गाइडलाइन होते हैं, बंधन नहीं. एक बार जब फोटोग्राफ़र इस नियम को अच्छे से समझ लेता है, तो वह चाहे तो इसे तोड़कर भी और अनोखी तस्वीरें बना सकता है, लेकिन शुरुआत करने वालों के लिए यह नियम एक मजबूत आधार है, जिससे वे कम्पोज़िशन सीख सकते हैं,
वर्ल्ड फ़ोटोग्राफ़ी डे पर यह याद रखना ज़रूरी है कि कैमरा सिर्फ एक साधन है, असली तस्वीर उस नज़र की होती है जो साधारण में भी खूबसूरती देख लेती है। और ‘रूल ऑफ़ थर्ड’ उसी खूबसूरती को और निखारने का एक सटीक ज़रिया है,
'रूल ऑफ़ थर्ड' के लेकर Dabboo Ratnani ने क्या कहा?
जहां तक उपलब्ध स्रोत दर्शाते हैं, फ़ैशन और सेलेब्रिटी फ़ोटोग्राफी के क्षेत्र में जाने–माने Dabboo Ratnani ने किसी सार्वजनिक मंच या इंटरव्यू में सीधे 'रूल ऑफ़ थर्ड' पर विशेष टिप्पणी नहीं की है.
हालांकि, उनके द्वारा चलाए जाने वाले वर्कशॉप्स में यह सिद्धांत विशेष रूप से शामिल किया जाता है. उदाहरण के तौर पर, World Of Workshops द्वारा प्रचारित एक फोटोग्राफी वर्कशॉप की विषय सूची में "Leading Lines, Rule of Thirds, Frames, Foreground-Background" जैसे कम्पोज़िशन रूल्स का ज़िक्र मिलता है, जिसका भाग वह रहे हैं. यह बताता है कि वे इस सिद्धांत को अपने शिक्षण कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण मानते हैं.