काशी विद्यापीठ में डिप्रेशन, तनाव और ब्लड प्रेशर से बचाव अब म्यूजिक थेरेपी से

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-08-2025
Prevention of depression, stress and blood pressure through music therapy at Kashi Vidyapeeth
Prevention of depression, stress and blood pressure through music therapy at Kashi Vidyapeeth

 

गिरिजा शंकर शुक्ल वाराणसी

वाराणसी, बनारस—जहां संगीत की धुनें सदियों से आध्यात्म और संस्कृति का स्रोत रही हैं, वहीं अब ये सुर और राग लोगों की मानसिक और शारीरिक बीमारियों का इलाज भी बन रहे हैं. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में देश का पहला म्यूजिक थेरेपी लैब और रिसर्च सेंटर शुरू हो चुका है, जो संगीत चिकित्सा को एक नई दिशा दे रहा है.
 
यह सेंटर न केवल अवसाद, चिंता, अनिद्रा, हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर समस्याओं के बिना दवा इलाज का विकल्प प्रस्तुत करता है, बल्कि महामृत्युंजय मंत्र जैसे प्राचीन मंत्रों के माध्यम से वृद्धावस्था में होने वाली बीमारियों से निजात दिलाने का संकल्प भी रखता है.
 
संगीत थेरेपी: सुरों से स्वास्थ्य की नई किरण

काशी विद्यापीठ का यह म्यूजिक थेरेपी सेंटर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त और वित्त पोषित है. यहां मनोविज्ञान विभाग के अंतर्गत स्थापित इस केंद्र में दो तरह के कमरे बनाए गए हैं: एक्टिव म्यूजिक रूम और रिसेप्टिव म्यूजिक रूम.
 
एक्टिव रूम में मरीज स्वयं संगीत बनाकर और बजाकर आनंद लेते हैं, जबकि रिसेप्टिव रूम में वे संगीत सुनकर आराम करते हुए उपचार पाते हैं. फिलहाल यह सुविधा विश्वविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों, कर्मचारियों और उनके परिवार वालों के लिए उपलब्ध है, लेकिन जल्द ही इसे आम जनता के लिए भी खोलने की योजना है, जहां एक सत्र की फीस मात्र 100 रुपये रखी जाएगी.
 
इस संगीत चिकित्सा केंद्र का उद्देश्य है बिना दवाओं के रोगियों को मानसिक और शारीरिक समस्याओं से राहत देना. विशेषज्ञों के अनुसार, संगीत में मौजूद रागों और तालों का मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव होता है, जिससे तनाव कम होता है, रक्तचाप नियंत्रित रहता है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है.
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राग और स्वास्थ्य: सुरों में छुपा उपचार

म्यूजिक थेरेपी में विभिन्न रागों का उपयोग किया जाता है जो अलग-अलग बीमारियों के लिए लाभकारी होते हैं. उदाहरण के लिए, राग तोड़ी सिरदर्द और गुस्से को कम करता है, राग भैरवी ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है, राग पहाड़ी नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है और राग दरबारी तनाव को दूर करता है. संगीत के ये मधुर स्वर न केवल मस्तिष्क को सुकून देते हैं, बल्कि शरीर की विभिन्न समस्याओं से लड़ने की शक्ति भी बढ़ाते हैं.
 
वाद्ययंत्रों का भी यहां इलाज में अहम योगदान है. सितार मानसिक तनाव, सिरदर्द और एकाग्रता की कमी को दूर करता है. बांसुरी से ब्लड प्रेशर, चिंता और श्वास संबंधी परेशानियां कम होती हैं. वहीं सारंगी, वायलिन और पियानो इमोशनल थकान, अकेलेपन, मनोबल की कमी, अनिद्रा और मूड स्विंग्स जैसी समस्याओं में लाभकारी साबित होते हैं.
 
मनोरोगियों के लिए संगीत का सहारा

काशी विद्यापीठ ने पांडेयपुर स्थित मानसिक अस्पताल के साथ एक एमओयू भी किया है, जिसके तहत मनोरोगियों का इलाज भी संगीत चिकित्सा से किया जाएगा. यह कदम मनोरोग के क्षेत्र में नयी उम्मीद लेकर आया है, जहां दवा के साथ संगीत के उपचार को भी अपनाया जाएगा. मानसिक रोगों के लिए यह उपचार एक संवेदनशील और प्रभावी तरीका माना जा रहा है, जो रोगियों के आत्मविश्वास और उपचार में सुधार लाता है.
 
शिक्षा और अनुसंधान: म्यूजिक थेरेपी की नई दिशा

माहात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में म्यूजिक थेरेपी का एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किया गया है, जिसमें इस वर्ष 22 छात्र एडमिशन ले चुके हैं. बीए, एमए के छात्र और चिकित्सक इस कोर्स में भाग लेते हैं.
 
इस कोर्स में छात्रों को न केवल संगीत चिकित्सा के सिद्धांत पढ़ाए जाते हैं, बल्कि प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि वे भविष्य में इसे एक पेशेवर चिकित्सा पद्धति के रूप में उपयोग कर सकें.
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लोक संगीत और जीवन दर्शन: परंपरा से जुड़ाव

इसी कड़ी में काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर में 1 अगस्त 2025 को आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला "लोक संगीत में निहित जीवन दर्शन" ने लोक संगीत की सांस्कृतिक गहराइयों को उजागर किया.
 
इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य प्रो. रमेश चंद्र यादव ने किया और मुख्य वक्ता डॉ. दुर्गेश कुमार उपाध्याय ने लोकगीतों में छुपे जीवन दर्शन और सामाजिक संदेशों पर प्रकाश डाला.
 
उन्होंने पारंपरिक लोक गीतों जैसे बखारी, भुभुरिया और केवाड़ी का सांस्कृतिक महत्व समझाया और छात्रों को बारहमासा की पारंपरिक धुनों का अभ्यास कराया.
 
कार्यशाला में छात्रों ने लोक संगीत के माध्यम से जीवन के विविध पहलुओं को समझा और यह जाना कि संगीत न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का वाहक भी है.
 
इस प्रकार के कार्यक्रमों से युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़ने का अवसर मिलता है.
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डॉ. दुर्गेश उपाध्याय: संगीत चिकित्सा के प्रणेता

डॉ. दुर्गेश के. उपाध्याय, सहायक प्रोफेसर और संगीत चिकित्सा कोशिका एवं अनुसंधान केंद्र के समन्वयक, ने संगीत चिकित्सा के महत्व और प्रभाव पर विस्तार से प्रकाश डाला.
 
उनका कहना है कि संगीत चिकित्सा न केवल दवाओं के विकल्प के रूप में उभर रही है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य सुधारने और तनाव कम करने में भी अत्यंत प्रभावी है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के विभिन्न रागों में उपचारात्मक गुण छिपे हैं, जिन्हें समझकर सही ढंग से प्रयोग किया जाए तो यह जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करता है.
 
भविष्य की दिशा: संगीत से समृद्ध स्वास्थ्य

म्यूजिक थेरेपी लैब और रिसर्च सेंटर के माध्यम से काशी विद्यापीठ ने यह साबित किया है कि संगीत केवल कला या मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली चिकित्सा पद्धति भी है. आने वाले समय में जब मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, ऐसे में संगीत चिकित्सा जैसे प्राकृतिक, सस्ते और दुष्प्रभाव रहित उपचार विकल्पों की मांग बढ़ेगी.
 
काशी विद्यापीठ की यह पहल देश में संगीत चिकित्सा को नई पहचान दिलाने के साथ ही अनेक रोगियों के लिए आशा की किरण साबित होगी. यहां के शोध और शिक्षा कार्यक्रम आने वाले वर्षों में संगीत चिकित्सा को व्यापक स्तर पर फैलाने में मदद करेंगे, जिससे अधिक से अधिक लोग स्वस्थ, खुशहाल और तनावमुक्त जीवन जी सकेंगे.
 
वाराणसी की सांस्कृतिक विरासत और संगीत की गूंज अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी दस्तक दे रही है. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में स्थापित म्यूजिक थेरेपी सेंटर न केवल रोगों के इलाज का नया मार्ग प्रस्तुत कर रहा है, बल्कि यह दिखा रहा है कि कैसे राग, मंत्र और वाद्ययंत्र हमारे शरीर और मन को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं.
 
संगीत के माध्यम से न सिर्फ जीवन को मधुर बनाया जा सकता है, बल्कि यह हमें एक स्वस्थ, तनावमुक्त और सकारात्मक जीवन जीने का आधार भी प्रदान करता है. यही है बनारस का नया गीत—सुरों की ताकत से बीमारियों को हराना.