आईसीएमआर-एसटीएस 2024-25 से सम्मानित जेएमआई के बीडीएस छात्र

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 19-08-2025
Two JMI BDS students awarded ICMR-STS 2024-25 grant
Two JMI BDS students awarded ICMR-STS 2024-25 grant

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के दंत चिकित्सा संकाय ने एक बार फिर अपनी शैक्षणिक और अनुसंधान उत्कृष्टता का परचम लहराया है. संकाय की ओर से यह घोषणा की गई कि बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) कार्यक्रम के दो प्रतिभाशाली छात्रों को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), नई दिल्ली द्वारा प्रतिष्ठित अल्पकालिक छात्रवृत्ति (एसटीएस) 2024-25 रिसर्च ग्रांट से सम्मानित किया गया है.

यह उपलब्धि न केवल छात्रों के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि विश्वविद्यालय की उस प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है जिसके तहत वह अपने छात्रों को अनुसंधान और नवाचार की दिशा में लगातार प्रेरित करता आया है.

आईसीएमआर-एसटीएस कार्यक्रम भारत में एमबीबीएस और बीडीएस स्नातक छात्रों के बीच अनुसंधान क्षमता और रुचि को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया एक राष्ट्रीय स्तर का उपक्रम है.

इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भावी चिकित्सक और दंत चिकित्सक केवल सिद्धांत तक ही सीमित न रहें, बल्कि वास्तविक शोध परियोजनाओं पर काम करके व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त करें.

इस कार्यक्रम के अंतर्गत चुने गए प्रत्येक छात्र को उनके द्वारा अनुमोदित शोध कार्य को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के दौरान पूरा करने के लिए ₹50,000 का वजीफ़ा प्रदान किया जाता है.

इससे उन्हें न केवल आर्थिक सहयोग मिलता है बल्कि एक मजबूत शोध वातावरण में कार्य करने का अनूठा अवसर भी हासिल होता है. इस वर्ष जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दंत चिकित्सा संकाय से चयनित दो छात्राएँ हैं — सुश्री फोना राव और सुश्री ज़ायरा हुसैन.

सुश्री फोना राव की परियोजना का शीर्षक है “कम्पेरेटिव इवेल्यूशन ऑफ टू रेडियोग्राफिक मेथड्स ऑफ डेंटल एज एस्टीमेशन इन चिल्ड्रन एंड एडोलसेंट्स: ए स्टैंडपॉइंट ऑफ फोरेंसिक ओडोंटोलॉजी.”

यह शोध दंत आयु अनुमान की दो अलग-अलग रेडियोग्राफिक विधियों की तुलना करते हुए बाल और किशोरावस्था के रोगियों में फॉरेंसिक ओडोंटोलॉजी के महत्व पर केंद्रित है. उनके इस अभिनव शोध कार्य का मार्गदर्शन प्रो. (डॉ.) अमन चौधरी कर रहे हैं, जो अपने क्षेत्र में लंबे समय से विशेषज्ञता रखते हैं.

दूसरी ओर, ज़ायरा हुसैन की परियोजना का विषय है “कम्पेरेटिव असेसमेंट ऑफ टेम्पोरोमेनडीबुलर जॉइंट एंड मेसटिकेटरी मसल्स एक्टिविटी यूसिंग यूनीलेटरल वर्सस बायलेटरल जॉव ओपनर इन पेशेंट्स विद ट्रिस्मस.”

उनका अध्ययन ट्रिस्मस (मुँह न खोल पाने की समस्या) से ग्रसित रोगियों में जबड़े की गतिविधियों का तुलनात्मक विश्लेषण करता है. इस शोध कार्य का मार्गदर्शन प्रो. (डॉ.) डेबोरा सिबिल कर रही हैं.

जामिया का दंत चिकित्सा संकाय लंबे समय से शोध और नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहित करता आ रहा है. पिछले कई वर्षों में यहाँ के छात्रों ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने उत्कृष्ट शोध कार्यों से पहचान बनाई है.

आईसीएमआर-एसटीएस पुरस्कार प्राप्त करना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि संकाय का शैक्षणिक वातावरण और संकाय सदस्यों का मार्गदर्शन छात्रों को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

संकाय की डीन प्रो. (डॉ.) केया सरकार, जो अंडरग्रेजुएट रिसर्च पहलों की प्रबल समर्थक रही हैं, ने इस उपलब्धि पर दोनों छात्राओं को हार्दिक बधाई दी. उन्होंने यह कहा कि यह उपलब्धि केवल छात्रों की मेहनत और लगन का परिणाम नहीं है बल्कि उनके मार्गदर्शकों की सतत प्रेरणा और सटीक दिशा-निर्देशों का भी फल है.

उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तरह के शोध कार्य न केवल छात्रों की शैक्षणिक यात्रा को समृद्ध करेंगे बल्कि आने वाले समय में दंत चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी ठोस योगदान देंगे.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया का दंत चिकित्सा संकाय इस सफलता पर गर्व महसूस करता है और पुरस्कार विजेताओं सहित उनके मार्गदर्शकों को हार्दिक शुभकामनाएँ देता है.

यह उपलब्धि विश्वविद्यालय की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है जिसके तहत वह शैक्षणिक उत्कृष्टता, अनुसंधान नवाचार और समाज की सेवा को सर्वोपरि मानता है. संकाय का विश्वास है कि निरंतर प्रयास और समर्पण के माध्यम से आने वाले वर्षों में और भी अधिक छात्र-छात्राएँ इस प्रकार के प्रतिष्ठित सम्मान अर्जित करेंगे और विश्वविद्यालय की शान को और ऊँचा उठाएँगे.