शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज की जा रही हैंः महरंग बलूच

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 08-01-2024
 Mehrang Baloch
Mehrang Baloch

 

इस्लामाबाद. बलूच कार्यकर्ता महरंग बलूच ने आरोप लगाया कि बलूच नरसंहार के खिलाफ रैली में भाग लेने वाले शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ‘फर्जी’ एफआईआर दर्ज की जा रही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी राज्य ‘निरंतर बल और हिंसा’ के साथ जन आंदोलन को समाप्त करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसे पूरे देश में समर्थन प्राप्त है.

महरंग बलूच ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘हमारे जन आंदोलन के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज की जा रही हैं. इस समय, कल मलीर कराची में बलूच नरसंहार के खिलाफ रैली के आयोजकों और प्रतिभागियों के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज की गईं. यह राज्य निरंतर बल और हिंसा से इस जन आंदोलन को खत्म करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह असंभव है. इस शांतिपूर्ण जन आंदोलन को पूरे देश में जनता का समर्थन प्राप्त है.’’

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया, इस बीच, पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने इस्लामाबाद में बलूचिस्तान प्रांत से लापता लोगों के परिवारों के साथ दुर्व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जताई और संघीय सरकार को लिखित में एक वचन पत्र देने का निर्देश दिया कि अब से किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

पिछले महीने, प्रदर्शनकारियों का एक समूह - ज्यादातर महिलाएं और बच्चे - प्रांत में जबरन गायब किए जाने के विरोध में बलूचिस्तान के तुरबत जिले से इस्लामाबाद पहुंचे. हालांकि, इस्लामाबाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई शुरू की और उनमें से दर्जनों को गिरफ्तार कर लिया, इस कदम की नागरिक समाज के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं ने भी व्यापक रूप से आलोचना की.

बाद में, अधिकारियों ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के आदेश पर प्रदर्शनकारियों को रिहा करने की घोषणा की. इससे पहले 5 जनवरी को महरंग बलूच ने पश्तून तहफुज मूवमेंट (पीटीएम) के प्रमुख मंजूर पश्तीन की गिरफ्तारी पर अदालत की चुप्पी को ‘संविधान और कानून के साथ मजाक’ करार दिया था.

उन्होंने कहा कि पश्तीन को रिहा करने के उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद उन्हें जेल के सामने से गिरफ्तार किया गया, उन्होंने इसे ‘फासीवाद की पराकाष्ठा’ बताया. उन्होंने कहा, ‘‘पीटीएम नेता मंजूर पश्तीन की रिहाई के बाद जेल के सामने अपहरण जैसी गिरफ्तारी फासीवाद की पराकाष्ठा है. जो लोग कहते हैं कि आप अदालतों से निराश क्यों हैं, उनसे अनुरोध है कि जब अदालतें विफल हो जाती हैं लोगों को न्याय दिलाना है तो अदालतों से निराशा हजार गुनाह बेहतर है. मंजूर पश्तीन को रिहा करने का आदेश हाईकोर्ट से आया था, लेकिन अदालत के आदेश को रौंदकर दोबारा गिरफ्तार करना और अदालतें इस पर खामोश हैं. संविधान और कानून के साथ मजाक है.

 

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