हम एक बार फिर ‘द चेंजमेकर्स’ की दूसरी श्रृंखला लेकर हाज़िर हैं.इस बार पूर्वोत्तर की उन कहानियों के साथ, जिनके बारे में अब तक बहुत कम लोगों ने सुना है.हमारी असम टीम ने इस बार भी अथक मेहनत की है, और कई कहानियाँ तो इतनी प्रेरणादायक हैं कि पढ़कर आप चौंक उठेंगे.सोमवार से शुरू होकर अगले दस दिनों तक हम हर दिन एक अनोखी कहानी लेकर आएंगे — पूर्वोत्तर के उन मुस्लिम नायकों की, जिन्होंने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का साहसिक कार्य किया है.
आबिद आज़ाद
एक युवा बैंक अधिकारी, जो अपने आरामदायक कार्यालय की बजाय असम के गाँव-शहरों में घूम-घूम कर भूखों को खाना खिलाते हैं.कोविड-19के समय से ही आबिद आज़ाद ज़रूरतमंदों तक भोजन पहुँचा रहे हैं — चाहे सड़क पर हो या अस्पतालों में.गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (GMCH) में शाम व रात के समय बाँटा गया भोजन, मुस्लिमों के लिए इफ्तार और सहरी बन जाता है, तो अन्य धर्मों के लोगों के लिए एक पौष्टिक व स्वादिष्ट भोजन.
अहमद अली
अहमद अली, एक अनपढ़ रिक्शा चालक, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से असम के श्रीभूमि ज़िले में नौ स्कूलों की स्थापना की.इस वर्ष उन्हें गणतंत्र दिवस समारोह के लिए विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उनकी सराहना की.शिक्षा से वंचित रहने के बावजूद अहमद अली ने यह ठान लिया कि उनके गाँव का कोई बच्चा अशिक्षित न रहे.
नज़रुल हक़
₹10,000 की मामूली पूँजी से अपने उद्यम की शुरुआत करने वाले नज़रुल हक़ आज असम के प्रमुख मछली उद्यमियों में गिने जाते हैं.‘असम गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित हक़ ने असंख्य युवाओं को रोजगार दिया और राज्य के मछली पालन क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया.
नवाब अली
क्रिकेट जगत में ‘नवाबदा’ के नाम से लोकप्रिय नवाब अली, असम के सचिन तेंदुलकर कहे जा सकते हैं.उन्होंने पहले रणजी कप्तान पराग दास और फिर उनके बेटे रियान पराग को टीम इंडिया तक पहुँचाया.खुद भले ही वे बहुत लंबा क्रिकेट करियर न बना पाए, लेकिन उन्होंने असम और भारत को कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी दिए हैं.
डॉ. मुस्तफा ए. बर्बुहिया
हाइलाकांडी ज़िले के एक छोटे से गाँव से निकलकर, डॉ. मुस्तफा बर्बुहिया अमेरिका में पैथोलॉजी के टॉप 100प्रभावशाली लोगों में स्थान बना चुके हैं.उन्हें Top 20 Heroes of Pathology in the US के रूप में भी मान्यता मिली है — जो असम के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.
सयदुल्लाह नोंगरम
मेघालय में खासी मुस्लिमों की आवाज़ बनकर उभरे सयदुल्लाह नोंगरम ने शिलांग में ‘मदीना मस्जिद’ का निर्माण कराया, जो भारत की पहली और एशिया की पहली कांच की मस्जिद मानी जाती है.यह मस्जिद केवल इबादतगाह नहीं, बल्कि एक इस्लामिक लर्निंग सेंटर, स्कूल और आधुनिक उच्च शिक्षा कॉलेज भी है.
अर्शेल अख्तर
गुवाहाटी के पहले ‘साइकिल मेयर’ के रूप में चुने गए अर्शेल अख्तर ने परिवहन के पर्यावरण अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया है.वे अपनी दो स्वयंसेवी संस्थाओं — Pedal for a Change और The Green Lane Foundation — के ज़रिए शहरी मोबिलिटी को लेकर काम कर रहे हैं.उन्होंने गुवाहाटी साइकिल काउंसलर्स समूह भी बनाया है जो शहर में सुरक्षित और प्रेरक साइकिल संस्कृति स्थापित कर रहा है.
नाहिद आफरीन
2015 में इंडियन आइडल जूनियर की सेकंड रनर-अप बनने के बाद, नाहिद ने 2016में फिल्म अकीरा से बॉलीवुड में डेब्यू किया.2024में उन्हें UNICEF इंडिया की यूथ एडवोकेट बनाया गया.वे बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर ख़ान, जो UNICEF की राष्ट्रीय राजदूत हैं, के साथ मिलकर काम कर रही हैं.
मौलाना नुरुल अमीन क़ासिमी
इस्लाम के सिद्धांतों को स्पष्ट और समावेशी तरीक़े से पेश करने वाले मौलाना नुरुल अमीन क़ासिमी आज उन चंद धार्मिक नेताओं में से हैं, जो समाज में इस्लाम को लेकर फैली भ्रांतियों को मिटाने का साहसिक प्रयास कर रहे हैं.वे गहन चिंतन और संवाद के माध्यम से इस्लामी विचारधारा को सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत करते हैं.
डॉ. अनवरुद्दीन चौधरी
“द बर्डमैन ऑफ असम” के नाम से मशहूर डॉ. अनवरुद्दीन चौधरी असम सरकार के आयुक्त और सचिव पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं.वे उत्तर-पूर्व के पक्षियों पर पुस्तकें लिखने वाले पहले व्यक्ति हैं.उन्होंने अब तक 28 किताबें, 50 तकनीकी रिपोर्ट और 900 से अधिक वैज्ञानिक लेख प्रकाशित किए हैं.2003 में, उनके प्रयासों से सफेद पंखों वाले वुड डक को असम का राज्य पक्षी घोषित किया गया.
प्रस्तुति: आवाज द वाॅयस ब्यूरो