राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
नई दिल्ली. भारत ने अरब देशों को गोबर का निर्यात शुरू कर दिया है, जो एक अनोखा और महत्वपूर्ण व्यापारिक घटनाक्रम है. यह निर्यात भारत के किसानों के लिए आय का एक नया स्रोत बनाएगा और अरब देशों को अपनी कृषि उत्पादकता में सुधार करने में मदद करेगा.
सनातन वैदिक हिंदू धर्म के अनुसार, गाय में 33 कोटि यानी प्रकार के देवताओं का वास होता है. इसलिए गाय के गोबर का पवित्र और आध्यात्मिक महत्व है. हर पवित्र पूजा से पहले पूजन स्थल को गाय के गोबर से लीपा जाता है. वैज्ञानिक शोधों में पाया गया है कि गाय का गोयर न केवल संक्रमण रोधी है, बल्कि परमाणु विकरण को भी निष्प्रभावी करने में सक्षम है.
हालांकि, हिंदुओं के गाय और उसके गोबर से अनुराग की न केवल उपेक्षा की जाती है, बल्कि कई लोग तंज भी करते हैं. अरब देशों से गोबर की मांग बढ़ने के बाद गाय के गोर की उपयोगिता सिद्ध होने लगी है. गाय का गोबर न केवल पवित्र माना जाता है, बल्कि भारतीय कृषक सदियों से सर्वोत्तम खाद के रूप में इसका उपयोग करते रहे हैं.
कुवैत भारत से गोबर का सबसे बड़ा आयातक है. कुवैत के वैज्ञानिकों ने पाया है कि गाय का गोबर खजूर की खेती में एक बेहतरीन खाद के रूप में काम करता है. गोबर मिट्टी की उर्वरता और जल धारण क्षमता को बढ़ाता है, जिससे खजूर के पेड़ों की वृद्धि और फल उत्पादन में वृद्धि होती है. भारत ने कुवैत को गाय के गोबर की जो पहली निर्यात खेप भेजी है, वह खेप राजस्थान और उत्तर प्रदेश के गोशालाओं से इकट्ठा किए गए गोबर से बनी है. संयुक्त अरब अमीरात भी भारत से गोबर का आयात कर रहा है. साथ ही ओमान में भी गोबर की मांग बढ़ रही है.
निर्यात की मात्राः
कुवैत में भारतीय निर्यात की पहली खेप में 192 मीट्रिक टन गोबर शामिल है और उसने भारत को 5000 मीट्रिक टन गोबर का ऑर्डर दिया है और यह उम्मीद है कि भविष्य में यह मात्रा बढ़ेगी. भारत को संयुक्त अरब अमीरात ने 2000 मीट्रिक टन और ओमान ने 1000 मीट्रिक टन गोबर भेजने का ऑर्डर दिया है. इसके अलावा, अमेरिका, सिंगापुर और मालदीव भी भारतीय गोबर का आयात कर रहा है. इसलिए गोबर को गोशालाओं से इकट्ठा किया जा रहा है. इसे सुखाया जाता है और पाउडर बनाया जाता है. इसे वांछित मात्रा में पैकिंग के बाद, अरब देशों में निर्यात किया जा रहा है.
शासकीय समर्थन
भारत सरकार इस निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किसानों और निर्यातकों को सहायता प्रदान कर रही है. सरकार गोबर इकट्ठा करने, प्रसंस्करण और निर्यात के लिए बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए भी काम कर रही है.
भारत में प्रति वर्ष लगभग 30 करोड़ टन गाय का गोबर का उत्पादन होता है. गोबर का उपयोग ऊर्जा, खाद और अन्य उपयोगी उत्पादों के लिए किया जा सकता है. भारत सरकार गोबर के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है.
यद्यपि, कुछ लोग इस निर्यात को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि इससे भारत में गोबर की कमी हो सकती है. अन्य लोग इस निर्यात को एक सकारात्मक विकास के रूप में देखते हैं, क्योंकि यह भारत के किसानों के लिए आय का एक नया स्रोत बनाएगा और अरब देशों को अपनी कृषि उत्पादकता में सुधार करने में मदद करेगा.
भारत द्वारा अरब देशों को गोबर का निर्यात एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा. यह भारत के किसानों के लिए आय का एक नया स्रोत बनाएगा और अरब देशों को अपनी कृषि उत्पादकता में सुधार करने में मदद करेगा. यह भारत के कृषि उत्पादों के लिए नए बाजारों को खोलने में भी मदद करता है.
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