हरम शरीफ में पत्थर पर कुरान उकेरने वाले जयपुर के अजमल अबु धाबी के मंदिर की फर्श बनाएंगें सुंदर

Story by  फरहान इसराइली | Published by  [email protected] | Date 15-02-2024
हरम शरीफ में पत्थर पर कुरान उकेरने वाले जयपुर के अजमल अधु धाबी के मंदिर की फर्श बनाएंगें सुंदर
हरम शरीफ में पत्थर पर कुरान उकेरने वाले जयपुर के अजमल अधु धाबी के मंदिर की फर्श बनाएंगें सुंदर

 

फरहान इसराइली / जयपुर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबु धाबी के जिस स्वामीनारायण मंदिर का उद्घाटन किया, क्या आपको उसके कुछ दिलचस्प पहलू की जानकारी है. बता दूं कि मंदिर को शिल्पकारी और दूसरी कलाओं से जिन लोगों ने सजाया-संवारा है उनमें जयपुर के मोहम्मद अजमल भी शामिल हैं.

हाल ही सीतापुरा के जेईसीसी में हुए इंडिया स्टोन मार्ट-2024 में डिजाइनिंग के लिए मोहम्मद अजमल को फर्स्ट प्राइज भी मिला था.अजमल अगले चार साल तक इस मंदिर के फर्श को अपने हुनर से सजाने का काम करेंगे.मोहम्मद अजमल लक्ष्मी निवास मित्तल के लंदन स्थित घर का भी डेकोरेशन कर चुके हैं.इसके अलावा उन्होंने मक्का में हरम शरीफ में पत्थर पर कुरआन उकेरी थी.

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यूएई की सात सिटीज को दर्शाएगा मंदिर

अजमल ने बताया, “बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) की ओर से बनवाया जा रहा यूएई का स्वामी नारायण मंदिर अरब और भारत की संस्कृति का प्रतीक होगा.मंदिर में कुल सात गुंबद बनाए गए हैं.

यह सातों गुंबद यूएई की सात सिटीज अबु धाबी, दुबई, अजमान, फुजैराह, रास अल खैमा, शारजाह और उम्म अल कुवैन के प्रतीक हैं.इन सभी गुंबदों में छत की तरफ जो स्टोन कार्विंग हुई है, वह उदयपुर के पास पिंडवाड़ा में ट्रस्ट की फैक्ट्री में तैयार हो रही है.”

 फर्श पर इन कार्विंग्स को उसकी कॉपी यानी छाया की तरह फर्श पर उकेरने का काम अजमल और उनकी टीम कर रही है.यह सात डोम यानी गुंबद भारतीय वास्तुकला को दिखाने के लिए हैं.यानी मंदिर खाड़ी देश की संस्कृति और भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का प्रतीक बनकर दुनिया के सामने आएगा.

नैरोबी का घर देखने के बाद मिला प्रोजेक्ट

अजमल ने बताया कि उन्हांने 2021नैरोबी के एक बिजनेसमैन का पांच मंजिला बंगला तैयार किया है.यह बंगला भारतीय वास्तुकला, स्टोन वर्क और यहां के पत्थरों की खासियत को दर्शाते हुए तैयार किया गया.

इस घर को बनाने में उन्हें 5साल का समय लगा.इस घर को देखने यूएई के स्वामी नारायण मंदिर के कुछ अधिकारी और ट्रस्ट के लोग भी गए.काम देखकर उन्होंने अजमल से सैंपल मंगवाया और करीब 6 महीने की कवायद के बाद यह प्रोजेक्ट उन्हें मिला.

चार साल तक टीम रहेगी यूएई में

अजमल और उनकी टीम को इस मंदिर के काम का प्रोजेक्ट साल 2021 में मिला.उन्हें 42 महीनों की टाइम लाइन में सातों डिजाइन फाइनल करने हैं.करीब 100 एकड़ में फैले इस मंदिर में हिंदुओं के पूजा करने की जगह तो है ही, साथ ही यहां के परिसर में मुस्लिमों के लिए एक मस्जिद, क्रिश्चियंस के लिए चर्च, यहूदियों के लिए पूजा स्थल, पोप, दलाई लामा एवं अन्य प्रमुख धर्मा के लिए भी उनके प्रार्थना स्थल बनाए जाएंगे.

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मंदिर में किए गए काम के कुछ दिलचस्प पहलू

  • मंदिर भारत और अरब संस्कृति का प्रतीक: मंदिर में 7गुंबद हैं जो यूएई के 7शहरों का प्रतिनिधित्व करते हैं.गुंबदों में भारतीय वास्तुकला की नक्काशी है.
  • अजमल का योगदान: अजमल और उनकी टीम मंदिर के फर्श को सजाने का काम कर रहे हैं। फर्श पर गुंबदों की नक्काशी की छाया उकेरी जाएगी.
  • विशेष पत्थर और नक्काशी: मंदिर में इस्तेमाल किए गए पत्थर और नक्काशी के लिए उपयोग किए गए रसायन अगले 1000साल तक टिके रहेंगे.
  • अन्य धर्मों के लिए भी जगह: मंदिर में हिंदुओं के पूजा स्थल के अलावा मुस्लिमों, ईसाइयों, यहूदियों और अन्य धर्मों के लिए भी पूजा स्थल बनाए गए हैं.
  • अजमल का अनुभव: अजमल ने पहले लक्ष्मी निवास मित्तल के लंदन स्थित घर का डेकोरेशन किया था और मक्का में हरम शरीफ में पत्थर पर कुरान भी उकेरी थी.

 

परियोजना की अवधि: अजमल और उनकी टीम 4साल तक मंदिर में काम करेंगे.

अन्य रोचक तथ्य:

  • मंदिर अबू धाबी से 20किलोमीटर दूर है.
  • मंदिर के परिसर में एक टेंट सिटी भी बनाई जा रही है.
  • मंदिर में इस्तेमाल किए गए पत्थरों को चिपकाने के लिए इस्तेमाल किए गए रसायन को इटली से मंगाया गया है.
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संभावित प्रश्न:

मंदिर का निर्माण कब पूरा होगा?

मंदिर का निर्माण कितना खर्च आएगा?

मंदिर का डिजाइन किसने किया है?

टिप्पणी:यह मंदिर भारत और अरब संस्कृति के बीच एक महत्वपूर्ण पुल है.अजमल और उनकी टीम का काम इस मंदिर को और भी खूबसूरत बना रहा है.

यह अबू धाबी से 20 किमी दूर है.यहां टेंट सिटी भी बनाई जा रही है.अजमल ने बताया, “काम पूरा होने के बाद उन्हें इस काम के लिए करीब 90 लाख से 1 करोड़ रुपए तक मिलेंगे.एक फ्लोर का काम पूरा होने में करीब 6 महीने का समय लगेगा.”इस मंदिर में इस्तेमाल किए गए पत्थर और नक्काशी के लिए उपयोग किए गए पत्थरों को चिपकाने वाला केमिकल अगले 1000 साल तक टिके रहेंगें.