नई दिल्ली,
भारत में क्यूबा के राजदूत जुआन कार्लोस मार्सन ने कहा है कि क्यूबा अगले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अमेरिका द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों की निंदा से जुड़ा एक मसौदा प्रस्ताव पेश करेगा। राजदूत ने भरोसा जताया कि इस प्रस्ताव को भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक बार फिर मजबूत समर्थन मिलेगा।
नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस वार्ता में राजदूत मार्सन ने कहा कि क्यूबा और भारत के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए 65 वर्ष हो चुके हैं, और दोनों देशों के बीच सदैव “मजबूत और भरोसेमंद रिश्ते” रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि भारत इस प्रस्ताव का पहले की तरह इस बार भी समर्थन करेगा।”
राजदूत ने बताया कि 28 और 29 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में “क्यूबा के विरुद्ध अमेरिका द्वारा लगाए गए आर्थिक, वाणिज्यिक और वित्तीय अवरोध को समाप्त करने की आवश्यकता” शीर्षक वाले प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान होगा। यह प्रस्ताव महासभा में 33वीं बार लाया जा रहा है।
मार्सन ने आरोप लगाया कि अमेरिकी सरकार विभिन्न देशों — विशेष रूप से लैटिन अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका की सरकारों — पर दबाव बना रही है ताकि वे इस प्रस्ताव का समर्थन न करें। इसके बावजूद उन्होंने विश्वास जताया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक बार फिर क्यूबा के साथ खड़ा रहेगा।
उन्होंने कहा, “क्यूबा अवरोध की निंदा करते हुए महासभा में यह प्रस्ताव पेश करने जा रहा है। पिछले वर्ष 183 देशों ने हमारे प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था, जबकि केवल दो देश — अमेरिका और इज़राइल — विरोध में थे। कुछ देश मतदान से अनुपस्थित रहे। हमें इस बार भी उतना ही व्यापक समर्थन मिलने की उम्मीद है।”
राजदूत ने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाया गया यह अवरोध केवल क्यूबा की अर्थव्यवस्था को ही नहीं, बल्कि वैश्विक मानवीय सिद्धांतों और अंतरराष्ट्रीय कानून की भावना को भी प्रभावित करता है।






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