दुबई
ईरान और इज़राइल के बीच तनावपूर्ण टकराव तीसरे दिन भी जारी रहा। रविवार को इज़राइल ने एक बार फिर ईरान के भीतर हवाई हमले किए, वहीं ईरान ने भी इज़राइल पर मिसाइलें दागी। कुछ मिसाइलें इज़राइली वायु रक्षा प्रणाली को चकमा देकर देश के मध्य क्षेत्रों में इमारतों पर गिरीं।
इस बीच, ईरान और अमेरिका के बीच ओमान में प्रस्तावित परमाणु वार्ता रद्द कर दी गई है, जिससे पश्चिम एशिया में लंबे संघर्ष की आशंका और गहरा गई है।
शुक्रवार को इज़राइल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर अचानक बमबारी की थी, जिसमें कई शीर्ष सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए थे। इसके जवाब में ईरान ने भी अपने हमले तेज कर दिए। रविवार को ईरान ने दावा किया कि इज़राइल ने उसकी दो तेल रिफाइनरियों को भी निशाना बनाया है।
रविवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे ईरान की राजधानी तेहरान में जोरदार विस्फोटों की आवाज़ सुनाई दी। रिवॉल्यूशनरी गार्ड से जुड़ी एक अर्ध-सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार, एक हमला वली-ए-असर इलाके में हुआ, जबकि दूसरा किसी अन्य शहर में।
वहीं दूसरी ओर, इज़राइल में शाम चार बजे के करीब एक बार फिर हवाई हमलों के सायरन बजे। यह पहला मौका था जब संघर्ष शुरू होने के बाद दिन के समय ईरान की ओर से हमला हुआ। हालांकि, इन हमलों में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने रविवार को तेहरान में विदेशी राजनयिकों के समक्ष कहा कि अगर इज़राइल अपने हमले बंद कर देता है, तो ईरान भी अपनी जवाबी कार्रवाई रोक देगा।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा,
"अगर आक्रमण बंद हो जाते हैं, तो हमारी जवाबी प्रतिक्रिया भी बंद हो जाएगी।"
यह पहली बार था जब अराघची इज़राइली हमले के बाद सार्वजनिक रूप से सामने आए।
इज़राइली सेना ने रविवार को ईरान को चेतावनी दी कि वह अपने सैन्य हथियार निर्माण केंद्रों को तुरंत खाली कर दे, जिससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि नई बमबारी किसी भी समय शुरू हो सकती है।
सेना के प्रवक्ता कर्नल अविचे अद्राई ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर फारसी भाषा में यह चेतावनी जारी की।
ईरान और इज़राइल के बीच यह टकराव अब खुले युद्ध का रूप लेता जा रहा है। अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता इस बात को लेकर है कि यह लड़ाई पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र को अस्थिर कर सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह संघर्ष यदि आगे बढ़ा तो इसमें लेबनान के हिज़बुल्ला, यमन के हूती, और इराक की शिया मिलिशिया जैसे ईरान समर्थित गुट भी शामिल हो सकते हैं, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच ईरान और अमेरिका के बीच ओमान में होने वाली परमाणु वार्ता का रद्द होना एक बड़ा कूटनीतिक झटका माना जा रहा है। इससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने के प्रयासों को भारी नुकसान हुआ है।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि वार्ता फिर से शुरू नहीं होती और युद्ध तेज होता है, तो यह पूरे क्षेत्र को एक लंबे और खतरनाक संघर्ष में धकेल सकता है।
इस बढ़ते संघर्ष को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं जल्द ही शांति वार्ता की पहल कर सकती हैं, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं है कि दोनों पक्ष झुकने को तैयार हैं।