राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
हिंदुस्तान का अजीम सरमाया है यहां की गंगा-जमुनी तहजीब, जो सभी धर्मों और वर्गों के बावजूद सभी भारतीयों को एकसूत्र में पिरोती है. सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं, प्रवासी भारतीयों ने जिन दीगर मुल्कों में अपने हुनर, इल्म और कामयाबी का लोहा मनवाया है, वहां-वहां वे अपने साथ सामाजिक सौहार्द का ये बीज भी अपने साथ ले गए. इसी हिंदुस्तानी गंगा-जमुनी तहजीब की ताजा मिसाल अमेरिका में भी देखने को मिली. भारतीय मूल की अमेरिकी महिला नबीला सैय्यद ने सबसे कम उम्र में इलिनोइस सीट पर चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया है. इस भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम महिला ने रिपब्लिकन उम्मीदवार क्रिस बोस को शिकस्त दी है. और इस जीत का श्रेय नबीला अपनी हमवतन दोस्त अनुषा थोटकुरा को दे रही हैं.
अनुषा थोटकुरा ही नबीला के चुनाव अभियान की मैनेजर और कर्ताधर्ता थीं. नबीला ने खुद स्वीकार किया है कि अगर उन्हें अनुषा जैसी विश्वस्त दोस्त न मिली होती, तो उन्हें चुनाव अभियान में काफी दिक्कतें हो सकती थी. मध्यावधि चुनाव में अपनी जीत के बाद उन्होंने अपनी भारतीय-अमेरिकी अभियान प्रबंधक और दोस्त अनुषा थोटकुरा को धन्यवाद दिया. नबीला ने ट्वीट किया, ‘‘इस अभियान की कहानी मेरी अविश्वसनीय मित्र और अभियान प्रबंधक अनुषा थोटकुरा के बिना नहीं कही जा सकती.’’
नबीला इस चुनाव को जीतने वाली अबतक की सबसे कम उम्र की महिला सदस्य बन गई हैं. उन्होंने अपनी दोस्त अनुषा का जिक्र करते हुए ट्वीट किया- जब हम 9 साल पहले हाई स्कूल में डिबेट (बहस) के दौरान मिले थे, तो मैंने कभी नहीं सोचा था हम एक साथ इतना कुछ करेंगे. जॉर्जिया में दरवाजे खटखटाने से लेकर सीनेट को पलटने से लेकर स्कूल बोर्ड रेस में काम करने तक..और अब, यह ऐतिहासिक अभियान.
The story of this campaign cannot be told without telling the story of my incredible friend and campaign manager, Anusha Thotakura @Anusha625.
— Nabeela Syed (@NabeelaforIL) November 15, 2022
Many people don’t know that this campaign was run by a young, 24 year old Indian-American woman. pic.twitter.com/TmNsewcs8h
24 वर्षीय अनुषा थोटकुरा, सिटीजन एक्शन में कार्यक्रम निदेशक हैं, जो इलिनोइस-आधारित राजनीतिक गठबंधन है, जिसने उचित करों, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य इलाज, सेवानिवृत्ति सुरक्षा के लिए अभियानों का नेतृत्व किया है. कोविड-19 महामारी के दौरान सैयद और थोटकुरा ने इसे पर विचार किया. पलाटाइन में जन्मी सैयद ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से स्नातक की हैं, उनके पास राजनीति विज्ञान और व्यवसाय में डिग्री है.
सैयद के अनुसार, थोटकुरा पहली और एकमात्र दोस्त थीं, जिन्होंने उनहें इस चुनाव की रेस में शामिल होने के लिए कहा..और उसने न केवल मुझे दौड़ने (चुनाव लड़ने) के लिए कहा, बल्कि उसने इस विजयी अभियान को प्रबंधित किया..हम जानते थे कि यह एक डेमोक्रेट के लिए कठिन लड़ाई होगी, मेरे जैसी रंग की 23 वर्षीय महिला के लिए ये मुश्किल होगा, लेकिन अनुषा ने इस जिले में कुछ देखा और उसने मुझमें कुछ देखा.
चुनाव प्रचार के दौरान, उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, करों और समान अधिकारों सहित समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर वादा किया. थोटकुरा को अभियान की रणनीति निर्धारित करने, वेबसाइट बनाने, अभियान टीम को डिजाइन करने और प्रबंधित करने का काम सौंपा गया था, जिसे उसने अपनी नौकरी और पढ़ाई के साथ संतुलित किया.
सैयद ने लिखा, अनुषा एक ऐसे अभियान का नेतृत्व करना चाहती थी जो मतदाताओं से यथासंभव वास्तविक रूप से जुड़ा हो..ऐसा कुछ भी नहीं है जो अनुषा नहीं कर सकती. उसने कहा कि शुरू में वह राजनीति से अलग हो गई थी, लेकिन धीरे-धीरे फिर वह राजनीति की तरफ रुख किया और खासकर 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत के बाद.
सक्रिय राजनीति में आने से पहले, सैयद ने स्कूल बोर्ड के चुनाव के लिए अभियान प्रबंधक के रूप में काम किया और चुनाव के विभिन्न पहलुओं पर गैर-लाभकारी संस्थाओं के साथ काम किया था, जिसमें अभियान के लिए धन जुटाना शामिल था.
थोटकुरा ने सैयद को जवाब में लिखा, एक उम्मीदवार खोजें, जो आपको प्रेरित करे, जिस तरह से नबीला सैयद ने मुझे प्रेरित किया, बाकी सब आसान है.
हाल ही में समाप्त मध्यावधि परिणामों से पता चला है कि सैयद की तरह मुस्लिम अमेरिकी राजनीति में मुख्य धारा में हैं, काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस के विश्लेषण के अनुसार, उन्होंने स्थानीय, राज्य और संघीय मध्यावधि चुनावों में कम से कम 83 सीटें जीतीं. लगभग 150 मुस्लिम अमेरिकी इस साल चुनावी रेस में शामिल हुए थे, जिसमें 23 राज्यों में 51 राज्य विधायी उम्मीदवार शामिल थे.
(एजेंसी इनपुट सहित)