अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू करने का जारी किया मसौदा, 27 अगस्त से प्रभावी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 26-08-2025
America issued a draft to impose 50 percent tariff on Indian products, effective from August 27
America issued a draft to impose 50 percent tariff on Indian products, effective from August 27

 

वॉशिंगटन

अमेरिकी कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) ने भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 50% शुल्क लगाने का मसौदा नोटिस जारी किया है। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप है, जिसके तहत उन्होंने भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की थी।

नोटिस के अनुसार, यह निर्णय राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश 14329 (6 अगस्त 2025) को लागू करने के लिए लिया गया है, जिसका शीर्षक है – “रूसी संघ की सरकार से अमेरिका को होने वाले खतरों का समाधान।” आदेश में स्पष्ट किया गया कि भारत से आयातित वस्तुओं पर नई सीमा शुल्क दर लागू होगी।

मसौदा नोटिस 27 अगस्त 2025 को प्रकाशित किया जाएगा और उसी दिन से यह शुल्क प्रभावी होगा। 27 अगस्त की आधी रात (12:01 ईडीटी) से अमेरिका में उपभोग हेतु आयातित या गोदाम से निकाली गई भारतीय वस्तुओं पर बढ़ा हुआ शुल्क लगेगा।

इससे पहले 30 जुलाई को राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था,“भारत हमारा मित्र है, लेकिन वर्षों से हमने उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ऊँचे हैं और उनके पास सबसे सख्त और परेशान करने वाली गैर-आर्थिक व्यापार बाधाएँ हैं। साथ ही, वे रूस से सबसे अधिक सैन्य उपकरण और ऊर्जा खरीदते हैं, जबकि पूरी दुनिया रूस से यूक्रेन में हत्या बंद करने की अपील कर रही है। इसलिए भारत को 25% टैरिफ के साथ अतिरिक्त दंड भी चुकाना होगा।”

इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वॉशिंगटन के इस दबाव के बीच स्पष्ट किया कि भारत रास्ता निकालेगा।उन्होंने अहमदाबाद में कहा,“कितना भी दबाव आए, हम अपनी ताक़त बढ़ाते रहेंगे। आज आत्मनिर्भर भारत अभियान को गुजरात से बहुत ऊर्जा मिल रही है और इसके पीछे दो दशकों की मेहनत है।”

उद्योग संगठन फिक्की (FICCI) ने अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त शुल्क को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और कहा कि इसका भारत के निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा। कई व्यापार संगठनों ने भी निराशा जताते हुए इसे भारतीय निर्यात बाजार के लिए झटका माना, हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने माना कि इससे निर्यात विविधीकरण और आपूर्ति श्रृंखला पुनर्संरेखण (supply chain realignment) के नए अवसर भी खुल सकते हैं।

कई उद्योग नेताओं ने अल्पकालिक व्यवधानों की आशंका जताई, वहीं कुछ ने भरोसा जताया कि भारत की मजबूत विनिर्माण क्षमता, विशेषकर फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में, इस प्रभाव को झेलने में सक्षम होगी और नए व्यापार साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करेगी।