अल्जीयर्स (अल्जीरिया)
थलसेना प्रमुख (COAS) जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अल्जीरिया स्थित शेरशेल मिलिट्री अकादमी का दौरा किया और यहां कैडेट्स को नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए तैयार करने में अकादमी की अहम भूमिका पर जानकारी ली। इस संबंध में जानकारी भारतीय सेना के अतिरिक्त महानिदेशालय जन सूचना (ADGPI) ने बुधवार को साझा की।
ADGPI ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में बताया कि जनरल द्विवेदी ने अकादमी के संकाय सदस्यों से बातचीत की, उनके समर्पण और उत्कृष्ट प्रशिक्षण मानकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि वे भारतीय सशस्त्र बलों के प्रशिक्षण संस्थानों और शेरशेल अकादमी के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और सहयोग को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं।
ADGPI के अनुसार— “जनरल उपेंद्र द्विवेदी, COAS ने अल्जीरिया के प्रमुख अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान शेरशेल मिलिट्री अकादमी का दौरा किया। COAS को अकादमी की अहम भूमिका के बारे में बताया गया, जो कैडेट्स को अल्जीरियाई सेना में अधिकारियों के रूप में नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए तैयार करती है। उन्होंने संकाय की सराहना करते हुए उत्कृष्ट मानकों को बनाए रखने और राष्ट्र सेवा में उत्कृष्टता के लिए प्रयासरत रहने के लिए प्रेरित किया। साथ ही भारतीय सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों और अकादमी के बीच सहयोग और प्रथाओं के आदान-प्रदान की उम्मीद जताई।”
सोमवार को जनरल द्विवेदी ने गार्ड ऑफ ऑनर की समीक्षा की और भारत-अल्जीरिया रक्षा संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने अल्जीरिया के थल सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोस्तेफा स्माली से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया।
यह यात्रा हाल ही में भारत के राष्ट्रपति और रक्षा प्रमुख के अल्जीरिया दौरों के बाद हुई है, जो दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत करने को लेकर भारत के महत्व को रेखांकित करती है।
इससे पहले, 30 जुलाई से 1 अगस्त तक अल्जीयर्स में आयोजित डिफेंस सेमिनार में भारतीय रक्षा उद्योगों ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया था, जिसने रक्षा उद्योग और तकनीकी सहयोग की नींव रखी।
गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर में सफलता के बाद यह जनरल उपेंद्र द्विवेदी की पहली विदेशी यात्रा है, जो विदेशों में भारत की रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करने में भारतीय सेना की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।