न्यूयॉर्क
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अब तक पूरे यूक्रेन पर कब्जा करने की अपनी मंशा से पीछे हटने के कोई संकेत नहीं दिए हैं। इसके साथ ही, वह पूर्व सोवियत संघ के उन इलाकों पर भी दावा कर सकते हैं जो अब यूरोप का हिस्सा बन चुके हैं। यह दावा रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में किया गया है, जिसमें छह अमेरिकी खुफिया सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा पुतिन को लेकर तैयार आकलनों में यह संभावना जताई गई है कि यदि हालात अनुकूल रहे तो वह सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि यूरोप से जुड़े कुछ पूर्व सोवियत क्षेत्रों पर भी नजर बनाए रख सकते हैं। इन खुफिया रिपोर्टों में से सबसे हालिया आकलन सितंबर 2025 में तैयार किया गया था।
गौरतलब है कि फरवरी 2022 में पुतिन ने यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर सैन्य आक्रमण का आदेश दिया था। तब से रूसी सेनाएं लगभग तीन वर्षों से यूक्रेन में युद्ध लड़ रही हैं। इस दौरान भारी जनहानि, व्यापक तबाही और लाखों लोगों का विस्थापन हुआ है।
हालांकि अब अमेरिका और उसके सहयोगी इस युद्ध को समाप्त कराने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि युद्ध पुतिन की शर्तों पर खत्म नहीं होता, तो उन्हें अपनी अपेक्षा से कम क्षेत्रीय लाभ से संतोष करना पड़ सकता है। इसके बावजूद अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि उनकी दीर्घकालिक महत्वाकांक्षाएं अभी भी व्यापक हैं।
पुतिन सार्वजनिक रूप से यह दावा करते रहे हैं कि रूस यूरोपीय देशों के लिए कोई खतरा नहीं है, लेकिन अमेरिकी खुफिया आकलन इस बयान से सहमत नहीं हैं। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की खुफिया समिति के डेमोक्रेटिक सदस्य माइक क्विगली ने रॉयटर्स से कहा,
“खुफिया जानकारियां लगातार एक ही बात कहती हैं—पुतिन और ज्यादा क्षेत्र चाहते हैं। यूरोपीय देश भी यही मानते हैं। पोलैंड को यही डर है, और बाल्टिक देशों को लगता है कि सबसे पहले उन्हीं पर हमला हो सकता है।”
वर्तमान स्थिति में रूस यूक्रेन के लगभग 20 प्रतिशत भूभाग पर नियंत्रण रखता है, जिसमें डोनबास क्षेत्र का बड़ा हिस्सा शामिल है। लेकिन पुतिन पूरे डोनबास पर कब्जा करना चाहते हैं, जबकि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की इस मांग को पूरी तरह खारिज कर चुके हैं।
इस रिपोर्ट के बाद यूरोप और अमेरिका में सुरक्षा को लेकर चिंताएं और गहरा गई हैं, क्योंकि यह संकेत देता है कि यूक्रेन युद्ध केवल क्षेत्रीय संघर्ष नहीं, बल्कि यूरोपीय स्थिरता के लिए भी एक दीर्घकालिक चुनौती बन सकता है।






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