नई दिल्ली/ढाका
बांग्लादेश में हालिया हिंसा और अशांति को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार पर सीधा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कानून-व्यवस्था पूरी तरह बिखर गई है और हिंसा “सामान्य स्थिति” बन चुकी है।
शेख हसीना ने कहा कि इंक़िलाब मंचो के नेता उस्मान हादी की हत्या मौजूदा शासन में फैली अराजकता का प्रतीक है। “मेरी सरकार को गिराने वाली अव्यवस्था यूनुस के दौर में और बढ़ गई है। अंतरिम सरकार या तो हिंसा से इनकार करती है या उसे रोकने में असमर्थ है। इससे देश भीतर से अस्थिर हो रहा है और पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते भी प्रभावित हो रहे हैं,” उन्होंने कहा। उनके मुताबिक भारत इस अराजकता, अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और संस्थागत क्षरण को स्पष्ट रूप से देख रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि यूनुस ने चरमपंथी विचारधाराओं से जुड़े लोगों को सत्ता के केंद्रों में जगह दी, दोषी आतंकियों को रिहा किया और अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड़े समूहों को सार्वजनिक जीवन में भूमिका दी। “वे अनुभवी राजनेता नहीं हैं। आशंका है कि कट्टरपंथी ताकतें उन्हें ढाल बनाकर संस्थानों का कट्टरपंथीकरण कर रही हैं,” हसीना ने चेताया।
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर बढ़ते तनाव को लेकर भी उन्होंने अंतरिम सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि भारत-विरोधी बयानबाजी, धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में विफलता और भीड़ हिंसा ने विश्वास को ठेस पहुंचाई है। “भारत दशकों से बांग्लादेश का सबसे भरोसेमंद मित्र रहा है। ये रिश्ते किसी अस्थायी सरकार से बड़े हैं,” उन्होंने कहा।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर को लेकर दिए गए भड़काऊ बयानों की आलोचना करते हुए हसीना ने कहा कि ऐसी बयानबाजी खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना है, जो राष्ट्रीय हितों के खिलाफ जाती है। उन्होंने दो टूक कहा कि यूनुस को विदेश नीति का पुनर्संरेखण करने का कोई जनादेश नहीं है।
शेख हसीना ने स्पष्ट किया कि वे तभी बांग्लादेश लौटेंगी जब देश में वैध सरकार और स्वतंत्र न्यायपालिका बहाल होगी। उनके अनुसार, लोकतंत्र की वापसी के साथ ही बांग्लादेश फिर स्थिरता और पड़ोसियों के साथ संतुलित साझेदारी की राह पर लौटेगा।






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