बांग्लादेश में कथित ईशनिंदा के आरोप में एक हिंदू मजदूर की बर्बर हत्या ने पूरे उपमहाद्वीप को झकझोर दिया है। इस नृशंस घटना पर भारत के प्रमुख मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस्लाम के नाम पर ऐसी हिंसा न केवल अपराध है, बल्कि खुद इस्लाम की शिक्षाओं का घोर अपमान भी है।
घटना मयमनसिंह ज़िले के भालुका क्षेत्र की है, जहां एक कपड़ा कारखाने के बाहर 25 वर्षीय दीपू चंद्र दास को कथित तौर पर इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, लिंचिंग के दौरान बर्बरता की सारी सीमाएं लांघ दी गईं, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया।
इस हत्या की कड़ी निंदा करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदानी ने इसे “बेहद शर्मनाक” करार दिया। उन्होंने कहा, “जब मुसलमान इस तरह के कृत्य करते हैं, तो हमें शर्म से सिर झुकाना पड़ता है। इसकी जितनी निंदा की जाए, उतनी कम है।” मौलाना मदानी ने दो टूक कहा कि किसी भी सभ्य समाज में किसी को दूसरे इंसान की जान लेने का अधिकार नहीं है। चाहे आरोप कितना भी गंभीर क्यों न हो, सज़ा देने की एक कानूनी प्रक्रिया होती है और उसी का पालन किया जाना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि अपराधी मुसलमान हों और पीड़ित गैर-मुस्लिम, तो यह अपराध और भी जघन्य हो जाता है। “किसी की हत्या करना या अपमानित करना इस्लाम में जायज़ नहीं है। इस्लाम किसी भी कीमत पर ऐसी हिंसा की अनुमति नहीं देता,” उन्होंने कहा। मौलाना मदानी ने चिंता जताई कि भारतीय उपमहाद्वीप में उग्रवाद बढ़ रहा है और इसे रोकने के लिए सामूहिक, वैचारिक और कानूनी प्रयासों की जरूरत है।#WATCH | Delhi | On the mob lynching of Dipu Chandra Das in Bangladesh, Jamiat Ulama-i-Hind president Maulana Mahmood Madani says, "This is very shameful. When Muslims do such things, we hang our heads in shame, and this cannot be condemned enough. Firstly, no one in a civilised… pic.twitter.com/wjCfyCPp2R
— ANI (@ANI) December 21, 2025
इसी तरह अखिल भारतीय इमाम परिषद के प्रमुख डॉ. इमाम उमर अहमद इल्यासी ने भी इस हत्या को “मानवता पर कलंक” बताया। उन्होंने कहा कि दीपू चंद्र दास के हत्यारों द्वारा दिखाई गई बर्बरता किसी भी धर्म, नैतिकता और सभ्यता के खिलाफ है। इल्यासी ने ज़ोर देकर कहा, “इस्लाम किसी भी हालत में साथी मनुष्यों की हत्या की इजाज़त नहीं देता। इस्लाम दूसरों की जान बचाने का धर्म है, न कि उन्हें मारने का।”
डॉ. इल्यासी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय हैं। उन्होंने मानवाधिकार संगठनों, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ऐसे मामलों में स्पष्ट और कठोर रुख अपनाना चाहिए।
इल्यासी ने बांग्लादेशी समाज से आत्ममंथन की अपील करते हुए याद दिलाया कि भारत ने हमेशा बांग्लादेश का साथ दिया है—चाहे वह बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग हो या वित्तीय और मानवीय सहायता। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के बीच विश्वास और सहयोग हिंसा, नफरत और उग्रवाद से नहीं, बल्कि मानवता, कानून और आपसी सम्मान से मजबूत होता है।
भारतीय मुस्लिम नेताओं का साझा संदेश साफ है—ईशनिंदा के नाम पर हिंसा किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। यह न तो इस्लाम का रास्ता है और न ही किसी सभ्य समाज का। उन्होंने मांग की कि दोषियों को कानून के तहत सख्त सज़ा मिले और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। साथ ही, उग्रवाद के खिलाफ क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर एकजुट होकर निर्णायक कार्रवाई की जाए, ताकि मानवता पर लगा यह दाग और गहरा न हो।Imam Umer Ahmed Ilyasi condemns lynching of a Hindu man in Bangladesh.
— News Algebra (@NewsAlgebraIND) December 21, 2025
"Humanity has been shamed" - he said pic.twitter.com/d3ZoLvePGq






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