किन्नर सलमा खान कर रहीं मुंबई में असहायों की मदद

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 24-05-2021
एक किन्नर ऐसा भी
एक किन्नर ऐसा भी

 

शाहताज खान / पुणे

आजकल हालात इतने खराब हो गए हैं कि देने वालों के हाथ खाली हैं. दुनिया की लाचारी हम भी देख रहे हैं,.हम उनका बुरा वक्त देख रहे हैं, जिनके पास अच्छा समय है. अब हमारी हैसियत के अनुसार जिम्मेदारी बनती है. इसे पूरा करने के लिए आप जो कर सकते हैं, करें. बुरे समय में सबकी मदद करो, यही मानव सेवा है. ये शब्द मुंबई में किन्नरों के अधिकारों और न्याय के लिए अपने समुदाय की आवाज उठाने वाली सलमा खान के हैं.

सलमा खान ने आवाज-द वॉयस से बात करते हुए बताया कि आज उनकी टीम मुंबई में जरूरतमंदों को राशन बांट रही हैं. वे कहती हैं कि ये सभी लोग हमें खाना देते रहे हैं और हम चाहते हैं कि कोई शर्मिंदा न हो. हम उनकी मजबूरी समझते हैं इसलिए हर जगह फोटो नहीं खिंचवाते हैं.

वास्तव में, जब भी किसी किन्नर का नाम आता है, तो वे अक्सर ट्रैफिक सिग्नल पर प्रार्थना और ताली बजाने के लिए खड़े दिखते हैं. दरवाजे पर किन्नरों का एक समूह मौजूद आता है, नाचता है, प्रार्थना करता है. वे तब तक नाचते और गाते रहते हैं, जब तक कि उनके हाथों में बधाई नहीं दी जाती. जब भी वे एक किन्नर को देखते हैं, तो अक्सर ऐसे विचार मन में घूमने लगते हैं कि वे भीख मांगने आए होंगे.

लेकिन जब मुंबई से किन्नरों का एक समूह झुग्गी-झोपड़ियों में राशन किट लेकर पहुंचा, तो लोगों को उनके बारे में अपना विचार बदलना पड़ा, क्योंकि वे लेने के लिए नहीं देने आए थे. जैसे वे अचानक किसी खुशी के मौके पर नाचते-गाते हैं. वे इस मुश्किल समय में इस बार दरवाजे मदद करने के लिए आए हैं, लेकिन मौन में.

लगातार लॉकडाउन में हर कोई अपने दम पर लोगों की मदद कर रहा है. भीख मांगने के लिए जो हाथ उठाते थे, वह अब लोगों की मदद करने में किसी से पीछे नहीं हैं. दवाओं, राशन किट, मास्क और सैनिटाइजर के साथ. किन्नर मां ट्रस्टसमाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने में सबसे आगे है.

किन्नर मां ट्रस्ट

किन्नर मां ट्रस्ट का गठन 2014 में किया गया था. ट्रस्ट की अध्यक्ष सलमा खान हैं. सलमा खान ने किन्नरों की दुर्दशा को देखते हुए मुंबई में ट्रस्ट की स्थापना की. वह मानती हैं कि तीसरे लिंग के मुद्दों को कभी सुलझाया नहीं गया है.

वे कहती हैं कि हम भी इस समाज का हिस्सा हैं. हम भी इंसान हैं. हम सहानुभूति, दया और करुणा नहीं चाहते, हम अपना अधिकार चाहते हैं. ट्रस्ट का उद्देश्य बताते हुए सलमा खान कहती हैं कि जब तक हमारे पास ताकत है, हम भीख मांगकर और सेक्स करके अपना पेट भरते हैं. लेकिन बुढ़ापे में हमारा जीवन बेहद कठिन हो जाता है. कई तरह की बीमारियां हमारी चिंताओं को बढ़ा देती हैं.

ट्रस्ट के प्रयास 

हमारे पास कोई कर्मचारी नहीं है. किन्नर मां ट्रस्ट लगातार अपने समाज के मुद्दों को लोगों के सामने उठाता रहा है. सलमा चाहती हैं कि उनकी शिक्षा, कॉलेज में प्रवेश, नौकरी के अवसर, उनके लिए आश्रय गृह की व्यवस्था उनके समाज में हो. ट्रस्ट के प्रयास जारी हैं. सलमा खान और उनके कुछ सहयोगी लगातार उनके समुदाय की मदद कर रहे हैं.

उनका मानना है कि इस तरह के प्रयास ही काफी नहीं हैं. लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है. हालांकि, ट्रस्ट शुरू से ही हर महीने की 4 तारीख को बीमार और बुजुर्ग लोगों को राशन और दवा बांटता रहा है. कोरोना ने मामला और बिगाड़ दिया है. सलमा खान का कहना है कि हमारे लिए सबसे जरूरी है कि हम जल्द से जल्द किन्नर समुदाय का टीकाकरण कराएं, इसके लिए ट्रस्ट लगातार प्रयास कर रहा है.

https://hindi.awazthevoice.in/upload/news/162184690532_Kinnar_Salma_Khan_support_for_the_helpless_in_Mumbai_2.jpg

महाराष्ट्र के राज्यपाल के साथ बैठक के दौरान


सलमा खान

सलमा खान अन्य किन्नरों से थोड़ी अलग हैं. उन्होंने सामाजिक कार्य में मास्टर्स किया है. वह मुंबई जिला उपनगरीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) लोक अदालत की पहली ट्रांसजेंडर सदस्य हैं. इसके अलावा, महाराष्ट्र राज्य ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स एंड वेलफेयर बोर्ड की वह उपाध्यक्ष भी हैं. उनका पालन-पोषण मुंबई में हुआ था. उनके माता-पिता आरटीओ में काम करते थे.

सलमा खान का कहना है कि उनकी मां ने उनकी उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने आवाज द वॉयस को बताया, “जब मुझे 2018 में लोक अदालत में काम करने का मौका मिला, तो मैंने हां कहने में एक सेकेंड भी नहीं लिया. जब मैं पहली बार लोक अदालत में अपनी सीट पर बैठी थी, तो लोग देख रहे थे. हालंकि मुझे आश्चर्य हुआ कि हर कोई मेरे साथ था और मेरा सम्मान करता था.

https://hindi.awazthevoice.in/upload/news/162184692532_Kinnar_Salma_Khan_support_for_the_helpless_in_Mumbai_3.jpg

सलमा खान - एक अलग अंदाज और मिजाज में


राहत गतिविधियां

कोरोना ने हर खास और आम व्यक्ति के जीवन को प्रभावित किया है. पहली लहर के बाद दूसरी लहर आने तक लोग खुद पर काबू नहीं रख पाए. उस समय केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने विभिन्न सुविधाओं और वित्तीय सहायता की घोषणा की. लेकिन ऑटो रिक्शा चालकों, सड़क किनारे छोटी दुकानों और घर की सफाई करने वालों के लिए कई वित्तीय सहायता की घोषणा की गई है.

https://hindi.awazthevoice.in/upload/news/162184694932_Kinnar_Salma_Khan_support_for_the_helpless_in_Mumbai_4.jpg

जरूरतमंदों की मदद करती हैं सलमा खान


सलमा का कहना है कि इसी तरह तीसरे लिंग के लिए कोई सहायता की घोषणा नहीं की गई है. इस पर वे अपने स्टैंड के साथ आगे आईं और विरोध किया और कहा कि हम भी इंसान हैं. हमें भूख भी लगती है. हम भी बीमार हो जाते हैं. हमारे पास पेट भरने के सारे साधन नहीं हैं और व्यवस्था नहीं है.