खास रपटः जम्मू-कश्मीर का लीथियम भंडार क्या उसके लिए खाड़ी देशों वाला तेल साबित होगा

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 21-02-2023
सलाल गांव में लीथियम निक्षेप के साथ अधिकारी
सलाल गांव में लीथियम निक्षेप के साथ अधिकारी

 

मंजीत ठाकुर

 

जम्मू-कश्मीर में मिला लीथियम भंडार भारत के लिए सुनहरे भविष्य का इशारा है. दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था और दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश में लीथियम का सबसे बड़ा भंडार मिला है. 

 

यह देश के लिए एक गेम-चेंजर हो सकता है और इससे मैन्युफैक्चिंग सेक्टर को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा क्योंकि अन्य वस्तुओं के अलावा स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक कारों के लिए बैटरी में लीथियम का उपयोग होता है.

 

क्यों अहम है लीथियम

 

लीथियम आयन बैटरीज का इस्तेमाल टर्बाइन, सोलर पैनलों और इलेक्ट्रिक गाड़ियों में होता है और यह सभी हरित ऊर्जा के लिए जरूरी हैं. दुनिया भर के लीथियम आयन बैटरी निर्माण क्षमता का 77 फीसद हिस्सा चीन के नियंत्रण में है और चीन में दुनिया की आला 10 मैन्युपैक्चरिंग कंपनियों में से छह अवस्थित हैं.

 

Salal Dam Awaz the voice

 

लीथियम बैटरी से कैसे मिलेगी इकोनॉमी को ऊर्जा

 

भारत में देश भर में 20 लीथियम खनन अन्वेषण परियोजनाएँ हैं और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने जम्मू-कश्मीर में इस धातु के 5.9 मिलियन टन के भंडार की खोज की पुष्टि की है.

 

जाहिर है इस खोज से देश को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आगे जाने में मदद मिलेगी और बैटरी वाले कारों (ईवी) की तरफ शिफ्ट होने में तेजी आएगी. घरेलू बैटरी की वजह से कारों की लागत और कीमत भी कम होगी.

 

भारत ने 2030 तक देश में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में 30 फीसद की वृद्ध का लक्ष्य रखा ताकि देश कच्चे तेल के आयात को कम कर सके और साथ ही कार्बन उत्सर्जन पर भी लगाम लगा सके.

 

देश अब तक लीथियम के आयात पर ही बैटरी बनाने के लिए निर्भर था. कंसल्टेंसी आर्थर डि लिट्ल के मुताबिक, भारत बैटरी के लिए जरूरी सामानों के आयात का 70 फीसद हिस्सा चीन और हांगकांग से मंगाता है. साथ ही, घरेलू मांग को बढ़ाने और बैटरी की कीमत में कमी लाने के लिए भारत को बैटरी निर्माण में 10 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है.

 

अभी सरकार घरेलू तौर पर बैटरी निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए एडवान्स्ड केमिस्ट्री-सेल स्कीम के तहत 2.2 अरब डॉलर की मदद दे रही है.

 

यह खोज भारत की हरित औद्योगिक शक्ति बनने की आकांक्षाओं को बढ़ा सकती है और लिथियम उपलब्धता के लिए मध्यम और दीर्घकालिक दृष्टिकोण को बदल सकती है, जिससे देश अमेरिका और चीन के बीच लीथियम पाने के लिए किसी कूटनीतिक पेच में फंसने से भी बच सकता है. इस खोज के बाद भारत लीथियम संसाधनों के मामले में दुनिया में छठे स्थान पर आ गया है.

 

सलाल का पुल

 

गौरतलब है कि इस खोज के बाद भारत लीथियम के बड़े निर्माता ऑस्ट्रेलिया से ठीक पीछे और चीन से आगे हो जाएगा.

 

बैटरी ही है फ्यूचर

विश्व बैंक के एक अध्ययन से पता चलता है कि लिथियम और कोबाल्ट जैसी महत्वपूर्ण धातुओं की मांग 2050 तक लगभग 500 फीसद बढ़ने की उम्मीद है.

 

2030 तक दुनियाभर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बाजार 823.75 अरब डॉलर का हो जाएगा और 2021 से 2030 के बीच इसमें 18.2 फीसद की सकल विकास दर (कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट)होने की उम्मीद है.

 

विश्व बैंक का अनुमान है कि 2028 तक भारत का बाजार 23.76फीसद की सीएजीआर दर्ज करेगा. ऐसे में, भारत अपनी महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति को सुरक्षित करने और इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की कोशिशें कर रहा है.

 

मौजूदा वक्त में भारत अपना सारा लीथियम ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना से आयात करता है और अपनी लीथियम-आयन सेल की आवश्यकता का 70 फीसद चीन और हांगकांग से आयात करता है. 

 

दुनिया के लीथियम लीडर

 

 

चंट चीन से मुकाबले की बैटरी

चीन के पास वर्तमान में वैश्विक लीथियम-आयन बैटरी निर्माण क्षमता का 77 फीसद हिस्से पर नियंत्रण है और दुनिया की 10 मैन्युफैक्टरिंग कंपनियों में से छह वहीं स्थिति हैं.

 

नतीजतन, यूरोपीय संघ, अमेरिका, कनाडा, भारत और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं वैकल्पिक आपूर्ति का लाभ उठाने की कोशिश कर रही हैं जो इस क्षेत्र में चीन के भू-राजनैतिक प्रभुत्व को चुनौती दे सकती हैं. मिसाल के तौर पर, कथित राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का जवाब देते हुए, कनाडा सरकार ने चीनी कंपनियों को कनाडाई लिथियम-खनन कंपनियों से विनिवेश करने के लिए कहा है.

 

चीन के साथ बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता भारत की सुरक्षा चिंताओं को और भी बढ़ा रही है. खासकर, लंबे समय से चल रहे और हाल ही में बढ़ते क्षेत्रीय और सीमा विवादों के मद्देनजर यह और भी अधिक महत्वपूर्ण है.

 

चीन पर निर्भरता कम करने के लिए, भारत सरकार और उद्योग देश के महत्वपूर्ण खनिज भंडार का दोहन करने के लिए 'दुर्लभ पृथ्वी मिशन' पर जोर दे रहे हैं. देश में, जम्मू-कश्मीर में लीथियम की खोज से पहले, दुनिया के दुर्लभ खनिजों के निक्षेप का 6 फीसद हिस्सा मौजूद था. इस खोज के बाद यह हिस्सेदारी बढ़ जाएगी.

 

और लीथियम वाले गांव कश्मीर के सलाल का हाल

 

जम्मू-कश्मीर के खनन सचिव अमित शर्मा ने मीडिया को बताया कि 220 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) के सामान्य ग्रेड के मुकाबले, सलाल में पाया जाने वाला लीथियम 500 पीपीएम से अधिक ग्रेड का है. यहां 5.9 मिलियन टन का भंडार मिला है और इसके खनन के साथ ही भारत लीथियम के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा.

 

सलाल में लीथियम का भंडार अब तक खोजा गया सबसे शुद्ध भंडार है.

 

गांव में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की टीम द्वारा दो साल की कड़ी मेहनत के बाद यह खोज की गई है.

 

टीम के साथ मजदूरी का काम करने वाले एक ग्रामीण ने बताया कि टीम ने कोविड महामारी के दौरान भी काम किया और इस दौरान उसके एक सदस्य की मौत हो गई. हालांकि, जब तीन महीने पहले सर्वेक्षण के लोग यहां से गए तो इतनी बड़ी खोज के बारे में ग्रामीणों को बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं.

 

सलाल के सरपंच मोहिंदर सिंह ने आवाज-द वॉयस को फोन पर बताया कि 1984 के आसपास उड़ीसा सीमेंट कंपनी ने भी गांव में पांच जगहों पर खुदाई की थी. "बाद में उनकी ओर से कुछ नहीं सुना गया."

 

हालांकि, स्थानीय लोगों को हमेशा से पता था कि उनके गाँव का पथरीला इलाका खास है. “यहां तक कि ड्रिल करना या हथौड़े से तोड़ना बहुत कठिन है.

 

सिंह कहते हैं, "हमारे पूर्वजों ने सोचा था कि चट्टान में एक प्रकार का लोहा था और जंगली जानवरों को फसलों और खेल से दूर रखने के लिए अपने देश के बने रिवॉल्वर के लिए छर्रों के रूप में इसके छोटे टुकड़ों का इस्तेमाल किया."

 

सिंह कहते हैं कि पहले के अनुभव को देखते हुए ग्रामीणों को बड़ी उम्मीदें नहीं थीं. वह कहते हैं, “उन्होंने लगभग 200 जगहों पर खुदाई की और फिर हम इसके बारे में भूल गए. लेकिन जब जीएसआई ने 10 फरवरी को सलाल में 5.9 मिलियन मीट्रिक टन लीथियम की खोज के बारे में ट्वीट किया, तो हम बहुत खुश हुए.”

 

मोहिंदर सिंह का कहना है कि ग्रामीण गर्व से भरे हुए हैं कि उनकी मिट्टी भारत को इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का एक प्रमुख बैटरी निर्माता बनने में सक्षम बनाएगी. “हम जानते हैं कि यहाँ लीथियम बहुत शुद्ध है; हम यह भी मानते हैं कि अंदर सोना जैसी अन्य कीमती धातुएं हो सकती हैं.”

 

सलाल के उप सरपंच राजिंदर सिंह ने कहा, 'यह हम सभी के लिए बहुत खुशी का क्षण है और हम गर्व महसूस कर रहे हैं. रेलवे परियोजनाओं और माता वैष्णो देवी मंदिर के बाद, जो स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख स्रोत हैं, यह परियोजना हमारे लिए गेम-चेंजर साबित होने जा रही है."

 

सलाल में करीब 5,000 लोग रहते हैं. लेकिन बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के कारण पुनर्वास उनके लिए नई बात नहीं है.

 

वह ग्राम निकाय की एक बैठक आयोजित करने की योजना बना रहे हैं और नियोजित उत्खनन परियोजना में स्थानीय लोगों को एक लीथियम उत्पाद या शायद एक रिफाइनरी और नौकरियों के आश्वासन की फैक्ट्री स्थापित करने सहित मांगों के एक चार्टर की योजना बना रहा है.