धर्म नहीं, इंसानियत है सबसे बड़ा रिश्ता:मदीना में संत प्रेमानंद के लिए उठे हाथ

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 14-10-2025
Saint Premanand Maharaj's health deteriorates; hands raised for prayers in Medina
Saint Premanand Maharaj's health deteriorates; hands raised for prayers in Medina

 

अर्सला खान/नई दिल्ली

मथुरा-वृंदावन के पूज्य संत प्रेमानंद जी महाराज के लिए इन दिनों पूरे देश में प्रार्थनाओं की लहर है. महाराज की तबीयत बिगड़ने की खबर आने के बाद भक्तों से लेकर अनुयायियों तक सब उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना कर रहे हैं, लेकिन इस बार सबसे भावनात्मक दृश्य मदीना से आया, जहां एक भारतीय मुस्लिम युवक ने, पवित्र खिजरा में पहुंचकर, प्रेमानंद जी महाराज के लिए अल्लाह से दुआ मांगी और सिर्फ यही नहीं लाखों मुस्लमान ऐसे हैं जो प्रेमानंद महाराज की तबीयत में सुधार के लिए दुआ कर रहें हैं.

मदीना से उठी दुआ, भारत में गूंजा संदेश

वीडियो में युवक कहते हुए नजर आता है “प्रेमानंद जी महाराज मेरे लिए पिता समान हैं. अरब से लौटा मुसलमान भी उनके लिए दुआ करता है.” यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया है. हजारों लोगों ने इसे साझा करते हुए लिखा कि यह “भारत की असली तस्वीर” है, जहां मज़हब से पहले इंसानियत आती है.
 
 
 
प्रयागराज के रहने वाले इस युवक का नाम अब्दुल रहीम बताया जा रहा है. वे कुछ दिन पहले खिजरा के लिए मदीना गए थे. वहीं से उन्होंने यह वीडियो बनाया, जिसमें वे हाथ उठाकर संत प्रेमानंद जी महाराज के लिए स्वास्थ्य लाभ की दुआ मांगते हैं. रहीम ने कहा, “महाराज सिर्फ हिंदुओं के नहीं, बल्कि पूरे देश के आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं. उन्होंने हमेशा इंसानियत की बात की, इसलिए मैंने उनके लिए अल्लाह से दुआ मांगी.”
 
 
 
इस वीडियो के सोशल मीडिया पर आते ही लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदायों के लोग इस एकता की मिसाल देखकर भावुक हो उठे. एक यूज़र ने लिखा, “यही है भारत—जहां वृंदावन की गली से लेकर मदीना की धरती तक, प्रेम और आस्था की धारा एक ही है.”
 
प्रेमानंद महाराज के लिए मुस्लमान कौन? 

संत प्रेमानंद जी महाराज उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन स्थित एक प्रमुख धार्मिक पीठ के प्रमुख हैं. उनके प्रवचन लाखों लोग सुनते हैं, लेकिन उन्हें सबसे अलग बनाता है उनका दृष्टिकोण, जहां धर्म केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि मानवता की सेवा है. 
 
कई मौकों पर उन्होंने कहा है....“धर्म किसी को बांटने के लिए नहीं, जोड़ने के लिए है,” महाराज ने खुले में नमाज पढ़ने के मुद्दे पर भी मुसलमानों के अधिकारों का समर्थन किया था. उन्होंने अपने एक प्रवचन में कहा था, “अगर कोई सड़क पर नमाज पढ़ता है, तो उसकी नीयत अल्लाह से जुड़ने की है, इसमें आपत्ति कैसी? जब कोई मंदिर में आरती करता है, तो सड़क से आती आवाज़ें भी ईश्वर तक जाती हैं. दोनों में कोई फर्क नहीं.” उनकी इस सोच ने न केवल हिंदुओं बल्कि मुसलमानों के दिल में भी जगह बनाई. 
 
बीमार होने के बाद भी अनुयायियों की उम्मीद कायम

पिछले कुछ दिनों से प्रेमानंद जी महाराज की तबीयत नाजुक बताई जा रही है. वृंदावन आश्रम में डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी देखरेख कर रही है. इसके बावजूद भक्तों और अनुयायियों की श्रद्धा कम नहीं हुई है. देशभर से लोग उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और चर्चों में प्रार्थनाएं कर रहे हैं. वाराणसी के एक मुस्लिम व्यापारी मोहम्मद फैज़ान ने कहा, “हमने महाराज को कई बार सुना है. वे कहते थे कि मुसलमानों और हिंदुओं का खून एक जैसा है, बस पूजा का तरीका अलग है. आज वे बीमार हैं तो हमारी जिम्मेदारी है कि हम भी उनके लिए दुआ करें.”
 
 

 
जब प्रेमानंद जी ने कहा था — "मुसलमान भी हमारे भाई हैं"

कुछ वर्ष पहले वृंदावन में आयोजित एक सत्संग में महाराज ने कहा था, “जो लोग धर्म के नाम पर नफरत फैलाते हैं, वे ईश्वर के असली भक्त नहीं. अगर तुम्हारे दिल में नफरत है, तो भगवान कभी निवास नहीं करेगा.” उन्होंने हमेशा यह संदेश दिया कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है. उनका मानना है कि “राम और रहमान में फर्क केवल भाषा का है, भावना का नहीं.”
 
 

 
मदीना से उठी आवाज़, भारत के दिलों तक पहुंची

मदीना से आई यह दुआ अब सिर्फ एक वीडियो नहीं रही, बल्कि भारत की धार्मिक एकता का प्रतीक बन गई है. सोशल मीडिया पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदायों के लोग इस घटना को साझा कर रहे हैं और इसे "वृंदावन से मदीना तक फैले प्रेम का संदेश" बता रहे हैं. दिल्ली की रहने वाली सीमा शर्मा ने लिखा, “आज मदीना से एक मुसलमान ने जो दुआ मांगी, वो पूरे देश के लिए अमन की दुआ बन गई.” वहीं एक अन्य यूज़र ने कहा, “प्रेमानंद जी ने जो सिखाया था. धर्म से पहले इंसानियत वो आज मदीना में साकार हुआ.”
 

 
एक भारत, एक भावना-प्रेमानंद 

प्रेमानंद जी महाराज की तबीयत की खबर ने भले उनके अनुयायियों को चिंतित किया हो, लेकिन इससे एक सुंदर सच्चाई फिर सामने आई. भारत की असली ताक़त उसकी एकता और आपसी मोहब्बत है. जब मदीना में बैठा एक मुसलमान वृंदावन के संत के लिए दुआ करता है, तो यह साबित होता है कि इंसानियत अब भी ज़िंदा है. वृंदावन की प्रार्थनाएं और मदीना की इबादतें जब एक दिशा में उठती हैं, तो यह धरती फिर याद दिलाती है “धर्म अलग हो सकते हैं, लेकिन दुआएं एक ही आसमान तक जाती हैं.”