Meet Gwalior CSP Hina Khan, Madhya Pradesh Police Officer Who Joined `Jai Shri Ram` Chant To Control Mob
ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
ग्वालियर की नगर पुलिस अधीक्षक (सीएसपी) हिना खान इन दिनों अपने शांत, संयमित और अद्भुत व्यवहार के लिए पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उन्होंने एक स्थानीय वकील के नेतृत्व में उग्र होती भीड़ को सिर्फ अपनी समझदारी और संयम से नियंत्रित कर दिया — वो भी उस समय, जब स्थिति किसी भी पल हिंसक हो सकती थी।
मामला ग्वालियर के सिद्धेश्वर मंदिर का है, जहाँ बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा और उनके समर्थक सुंदर कांड का पाठ करने पहुंचे थे। मगर उस दौरान शहर में डॉ. भीमराव आंबेडकर की मूर्ति को लेकर तनाव व्याप्त था। स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए एसडीएम ने मंदिर परिसर सहित आसपास के क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर रखी थी, जिसके तहत किसी भी धार्मिक या सार्वजनिक सभा पर रोक थी।
इसी आदेश का पालन करते हुए सीएसपी हिना खान ने जब मिश्रा और उनके समर्थकों को रोकने की कोशिश की, तो माहौल अचानक गर्म हो गया। समर्थक नारेबाज़ी करने लगे, और मिश्रा ने अधिकारी पर “सनातन विरोधी” होने का आरोप लगा दिया। भीड़ में उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, और देखते ही देखते हालात नियंत्रण से बाहर जाने की स्थिति में पहुँच गए।
लेकिन इसी क्षण सीएसपी हिना खान ने अपने अद्भुत संयम और साहस का परिचय दिया। न तो उन्होंने बल प्रयोग किया, न कोई आक्रामक प्रतिक्रिया दी। बल्कि, जब समर्थक “जय श्री राम” के नारे लगा रहे थे, तब उन्होंने शांत मुस्कान और आत्मविश्वास भरे स्वर में स्वयं भी कहा — “जय श्री राम।”
उनके इस अप्रत्याशित लेकिन संवेदनशील जवाब ने जैसे भीड़ के दिलों को छू लिया। माहौल, जो कुछ मिनट पहले तक उग्र था, अचानक शांत हो गया। नारे थम गए, आवाज़ें धीमी पड़ गईं और भीड़ सन्नाटे में आ गई। किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि एक पुलिस अधिकारी, वो भी एक मुस्लिम महिला, इतनी समझदारी और संवेदनशीलता के साथ स्थिति को संभालेंगी।
रिपोर्टों के अनुसार, यह टकराव पूरी तरह प्रशासनिक प्रक्रिया से जुड़ा था। हिना खान ने मिश्रा को स्पष्ट बताया कि वह सिर्फ एसडीएम के आदेश का पालन कर रही हैं, जिसमें कानून-व्यवस्था बनाए रखने हेतु धार्मिक सभाओं पर अस्थायी रोक लगाई गई थी। बावजूद इसके, मिश्रा इस निर्णय को “सनातन विरोधी” बताते हुए विरोध करते रहे।
लेकिन हिना खान ने न तो अपना संतुलन खोया, न किसी तरह का कठोर कदम उठाया। उन्होंने सांस्कृतिक संवेदनशीलता और संवेदनशील संवाद के माध्यम से भीड़ की भावनाओं को शांत किया। उनके दृढ़, मगर मानवीय व्यवहार ने दिखाया कि वास्तविक ताकत संवाद और सम्मान में होती है, न कि टकराव में।
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान, 4,000 से अधिक पुलिसकर्मी शहर के अलग-अलग इलाकों में तैनात थे। ग्वालियर शहर में धारा 144 के आदेश के तहत सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध था। फिर भी, सीएसपी हिना खान के शांत नेतृत्व के कारण, सिद्धेश्वर मंदिर क्षेत्र में संभावित टकराव टल गया और बड़ी कानून-व्यवस्था की समस्या बनने से पहले ही स्थिति सामान्य हो गई।
हिना खान, जो मध्य प्रदेश के गुना जिले से हैं, 2016 बैच की राज्य पुलिस सेवा अधिकारी हैं और 2018 में मध्य प्रदेश पुलिस में शामिल हुईं। वर्तमान में वे ग्वालियर जिले के विश्वविद्यालय क्षेत्र की सीएसपी के रूप में कार्यरत हैं।
पेशे से फिजियोथेरेपी में स्नातक होने के बावजूद, उन्होंने अपने प्रशासनिक कौशल और दृढ़ता से यह साबित किया कि महिला अधिकारी संकट की घड़ी में भी न केवल संयम रख सकती हैं, बल्कि सामाजिक सद्भाव का उदाहरण भी पेश कर सकती हैं।
स्थानीय नागरिकों, सुरक्षा अधिकारियों और कई सामाजिक संगठनों ने उनके इस व्यवहार की सराहना की है। सोशल मीडिया पर भी लोग उन्हें “शांति की प्रहरी” और “सच्ची अधिकारी” कहकर सम्मानित कर रहे हैं।
इस घटना ने यह संदेश दिया है कि धर्म या पहचान से ऊपर उठकर, इंसानियत और विवेक से ही समाज में शांति लाई जा सकती है। ग्वालियर की सीएसपी हिना खान ने यह साबित कर दिखाया कि जब एक महिला अधिकारी “जय श्री राम” कहती है, तो वो नारा विभाजन का नहीं, बल्कि शांति और सद्भाव का प्रतीक बन जाता है।