भारत के ‘वाटर स्ट्राइक’ से पाकिस्तान के 21 प्रतिशत खरीफ फसलों पर सूखे का खतरा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 06-05-2025
21 percent of Pakistan's Kharif crops are at risk of drought due to India's 'water strike'
21 percent of Pakistan's Kharif crops are at risk of drought due to India's 'water strike'

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ लिए गए कड़े फैसलों में से एक — सिंधु जल संधि को "स्थगित" करने का कदम — अब पाकिस्तान की जल सुरक्षा के लिए गहराते संकट में बदलता दिख रहा है.

पाकिस्तान के सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण (IRSA) ने चेतावनी दी है कि भारत से पानी की आपूर्ति में आई तेज गिरावट के चलते देश को खरीफ सीजन के पहले चरण में 21% पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है.
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IRSA की बैठक में गहराई चिंता, चिनाब नदी के प्रवाह में गिरावट को लेकर अलर्ट

5 मई को इस्लामाबाद स्थित IRSA मुख्यालय में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में सलाहकार समिति (IAC) ने खरीफ सीजन (मई–सितंबर 2025) के लिए जल आपूर्ति की समीक्षा की. बैठक की अध्यक्षता IRSA प्रमुख साहिबजादा मुहम्मद शब्बीर ने की.

बैठक में चिनाब नदी के मराला हेडवर्क्स पर जल प्रवाह में अचानक आई गिरावट पर गहरी चिंता व्यक्त की गई. समिति ने कहा कि भारत द्वारा पानी की आपूर्ति कम करने के कारण पाकिस्तान में पानी का संकट गहराने की आशंका है.

IRSA की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार,"भारत से पानी की कम आपूर्ति के कारण मराला में चिनाब नदी का बहाव अप्रत्याशित रूप से गिर गया है, जिससे खरीफ सीजन के शुरुआती दिनों में पानी की 21% कमी आ सकती है। यदि यह स्थिति बनी रही, तो स्थिति की दोबारा समीक्षा की जाएगी."देर खरीफ (11 जून से सितंबर) के लिए 7% पानी की कमी की संभावना जताई गई है.

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बांधों के गेट बंद, चिनाब में जलस्तर घटा; भारत में स्थानीय लोगों का समर्थन

जम्मू-कश्मीर के बगलिहार और सलाल बांधों के गेट बंद किए जाने के बाद चिनाब नदी के जलस्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई है.अखनूर क्षेत्र में स्थानीय लोगों ने कहा कि चिनाब नदी, जो पहले 25–30 फीट की ऊंचाई पर बहती थी, अब मात्र 1.5–2 फीट तक सीमित रह गई है.

स्थानीय निवासी कल्याण सिंह ने  बातचीत में कहा:"हम पीएम मोदी के सिंधु जल संधि को स्थगित करने के फैसले के साथ हैं. हम नहीं चाहते कि पाकिस्तान को एक बूंद भी पानी मिले। भारत के जवानों और प्रधानमंत्री को हमारा पूरा समर्थन है."
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संधि की पृष्ठभूमि: भारत-पाकिस्तान के जल समझौते की राजनीति

1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधु जल संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का उपयोग करने का अधिकार मिला था.

इस संधि के अनुसार, भारत सिंधु प्रणाली के कुल जल संसाधनों में से केवल 20% का ही इस्तेमाल कर सकता है, जबकि शेष 80% पाकिस्तान को जाता है.लेकिन हालिया परिस्थितियों में भारत ने यह कहते हुए संधि को स्थगित रखा है कि सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने वाले देश को अब रियायत नहीं दी जा सकती
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पाकिस्तान की कृषि पर संकट के बादल

भारत के इस कदम से पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत में खरीफ फसलों — विशेषकर धान, गन्ना और कपास — की बुआई पर गहरा असर पड़ सकता है.जल प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि अगर पानी की स्थिति जल्द नहीं सुधरी, तो भूजल स्तर और बिजली उत्पादन दोनों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

भारत का रुख सख्त, पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश

भारत ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को शह देना बंद नहीं करता, तब तक सिंधु जल सहित किसी भी द्विपक्षीय समझौते की स्वीकृति को 'स्वचालित' नहीं माना जाएगा.भारत द्वारा पाकिस्तान के विमानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद करने और एलओसी पर सख्त जवाबी कार्रवाई जैसे फैसले भी इसी नीति का हिस्सा हैं.

भारत-पाक जल संबंधों में दशकों से चली आ रही "संधि आधारित सहमति" अब एक कूटनीतिक हथियार के रूप में उभर रही है. सिंधु जल संधि का स्थगन जहां पाकिस्तान के लिए जल संकट और कृषि संकट का कारण बन सकता है, वहीं भारत के लिए यह अपनी सुरक्षा और सामरिक नीति को मजबूती देने का अवसर बन चुका है.