ब्रह्मोस की ताकत देख खौफ में पाकिस्तान, अब दुनिया देखेगी भारत का दम

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 11-05-2025
Pakistan is scared after seeing the power of Brahmos, now the world will see the power of India
Pakistan is scared after seeing the power of Brahmos, now the world will see the power of India

 

अर्सला खान/नई दिल्ली

 
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन और टेस्टिंग सुविधा केंद्र का उद्घाटन किया. ब्रह्मोस मिसाइल, जो कि भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है, चलिए जानते हैं उसकी ताकत के बारे में विस्तार से...
 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रोडक्शन यूनिट का वर्चुअल उद्घाटन कर दिया. जो उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर का हिस्सा है. ये यूनिट भारत को डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनाने में अहम योगदान बनाएगी. साथ ही इससे उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. खास बात तो ये है कि ये यूनिट दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक का निर्माण करेगी, जिसकी रेंज 290 से 400 किलोमीटर और अधिकतम गति मैक 2.8 होगी.

 
 
 
यह मिसाइल भारत और रूस के ज्वाइंट वेंचर ब्रह्मोस एयरोस्पेस का प्रोडक्ट है, जिसे जमीन, समुद्र या हवा से लॉन्च किया जा सकता है और इसमें फायर एंड फोरगॉट सिस्टम का यूज किया गया है. मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के अलावा, ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन और टेस्टिंग सुविधा भी शुरू की जाएगी. आधिकारिक बयान के अनुसार, यह सुविधा मिसाइलों की टेस्टिंग और संयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. आपको बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल भारत ने पाकिस्तान पर भी किया है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस यूनिट की क्या ​खासियत है और कितने रुपए में तैयार किया गया है.
 
 
इन सुविधाएं है लैस
 
ब्रह्मोस मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता इसकी गति है. यह माक 2.8 से माक  3.0 तक की रफ्तार से उड़ान भर सकती है, जो कि ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज है. इसके साथ ही यह मिसाइल 200 से 300 किलोग्राम तक का पारंपरिक वॉरहेड ले जाने में सक्षम है और इसकी मारक क्षमता प्रारंभ में 290 किलोमीटर थी.इस मिसाइल को जमीन, समुद्र, वायु और पनडुब्बियों से दागा जा सकता है, जो इसे अत्यधिक बहुउपयोगी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है. वायुसेना के लिए BrahMos-A संस्करण को सुखोई-30 एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों से दागा जा सकता है. ब्रह्मोस मिसाइल की सटीकता, गति और रडार से बचने की क्षमता इसे दुनिया की सबसे घातक मिसाइलों में से एक बनाता है. यह मिसाइल न केवल भारत की शक्ति को बढ़ता है, बल्कि देश को मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी बनाता है. भारत ने ब्रह्मोस को फिलीपींस जैसे मित्र देशों को निर्यात करना भी शुरू कर दिया है, जिससे यह मिसाइल ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की एक वैश्विक पहचान बन रही है.

इस मौके पर प्रदेश के सीएम आदित्यनाथ और डिफेंस मिनिस्टर ने टाइटेनियम और सुपर अलॉयज मैटेरियल्स प्लांट (स्ट्रैटेजिक मैटेरियल्स टेक्नोलॉजी कॉम्प्लेक्स) का भी उद्घाटन किया. यह प्लांट एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर्स के लिए हाई क्वालिटी के प्रोडक्शन करेंगे. जिसका उपयोग चंद्रयान जैसे मिशनों और लड़ाकू विमानों में किया जाएगा. कैंपस में डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम (DTIS) भी विकसित किया जा रहा है, जिसकी कार्यक्रम के दौरान इसकी नींव भी रखी गई. DTIS डिफेंस प्रोडक्ट्स के टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन में मदद करेगा. खास बात तो ये है कि ये ​यूनिट हर साल 100 से ज्यादा ब्रह्मोस मिसाइल तैयार करेगी.
 
 
कॉरिडोर में छह नोड शामिल

यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में की थी. इस कॉरिडोर में छह नोड हैं – लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, आगरा, झांसी और चित्रकूट – जहां डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए बड़े निवेश किए जा रहे हैं. लखनऊ में 300 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित ब्रह्मोस प्रोडक्शन यूनिट राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए 80 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थित है. साढ़े तीन साल में बनकर तैयार हुई इस यूनिट में दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का निर्माण किया जाएगा – यह भारत-रूस की संयुक्त परियोजना है जिसकी रेंज 290 से 400 किलोमीटर है और इसकी अधिकतम गति मैक 2.8 है. ब्रह्मोस को जमीन, समुद्र या हवा से लॉन्च किया जा सकता है और इसमें फायर एंड फॉरगेट सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह बेहद सटीक है और इसे रोकना मुश्किल है.
 
 
दूसरे नंबर पर CM योगी का राज्य!

तमिलनाडु के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा राज्य है, जिसने डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर स्थापित किया है. दोनों कॉरीडोर मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिसका उद्देश्य डिफेंस इंपोर्ट को कम करना, स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना, रोजगार पैदा करना और निजी फर्मों, एमएसएमई और स्टार्टअप की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है. उत्तर प्रदेश कॉरिडोर में छह नोड पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे जैसे प्रमुख एक्सप्रेसवे के पास स्थित हैं. कॉरिडोर का विकास उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) के तहत किया जा रहा है. इसकी रणनीतिक स्थिति कच्चे माल, तैयार उत्पादों और निर्यात के परिवहन के लिए उत्कृष्ट रसद प्रदान करती है. यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में इसकी भूमिका का समर्थन करता है.