एक थाली, हज़ार कहानियां: विश्व बिरयानी दिवस पर जानिए बिरयानी की विरासत

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 06-07-2025
World Biryani Day: O Biryani, how many colors do you have?
World Biryani Day: O Biryani, how many colors do you have?

 

अर्सला खान/नई दिल्ली 

जब बात भारतीय व्यंजनों की होती है, तो बिरयानी का ज़िक्र सबसे पहले आता है. यह केवल एक व्यंजन नहीं, बल्कि एक संस्कृति, एक भावना और लाखों लोगों के दिलों की धड़कन बन चुकी है. जब भी घर में दस्तरखान पर या बाहर किसी दावत में बिरयानी लगाई जाती है तो ये आवाज जरूर आती है..

'अरे जरा एक प्लेट और लगाना'
 
 
हर एक निवाले में इतिहास की महक, मसालों की खुशबू और परंपराओं की परतें समाई होती हैं. 11 जुलाई को विश्व बिरयानी दिवस मनाया जाता है, जो इस शाही डिश के प्रति लोगों के प्रेम और गौरव का प्रतीक बन चुका है. इस अवसर पर जानते हैं बिरयानी की शुरुआत, इसके नाम की उत्पत्ति और दुनियाभर में इसके विविध स्वादों के बारे में इस लेख में जानते हैं.
 
बिरयानी की शुरुआत: कहां से आई यह शाही डिश?

बिरयानी की जड़ें इतिहास में बहुत गहराई से जुड़ी हैं. माना जाता है कि इसकी शुरुआत मध्य एशिया या फारस से हुई. वहां एक चावल और मीट का मिश्रित व्यंजन ‘बिरिंच’ प्रचलित था, जिसे धीरे-धीरे फारसी भाषा में 'बिरयान' कहा जाने लगा, जिसका अर्थ है 'भुना हुआ'.
 
 
भारत में इसकी दस्तक मुगल साम्राज्य के ज़रिये हुई. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मुमताज़ महल, शाहजहां की बेगम, ने सैनिकों के लिए पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन की मांग की, जिसके चलते रसोइयों ने चावल, मांस और मसालों को एक साथ पका कर बिरयानी जैसी डिश बनाई. वहीं, एक मत यह भी है कि मुगल सम्राट हुमायूं के साथ आए फारसी रसोइयों ने इसे भारतीय रसोई में पेश किया.
 
 
‘बिरयानी’ शब्द की उत्पत्ति फारसी शब्द ‘बिरयान’ और ‘बिरिंच’ से हुई मानी जाती है. ‘बिरयान’ का अर्थ होता है 'तलना' या 'भूनना', जबकि ‘बिरिंच’ का अर्थ होता है 'चावल'. इसलिए बिरयानी का अर्थ हुआ – भुने हुए मसालों में पकाया गया चावल. यह नाम दर्शाता है कि इसमें चावल और मांस या सब्ज़ियों को धीमी आंच पर, मसालों के साथ मिलाकर पकाया जाता है.
 
दुनिया भर में बिरयानी के कितने रंग हैं?

आज बिरयानी सिर्फ एक डिश नहीं, बल्कि एक ग्लोबल फूड आइडेंटिटी बन चुकी है. दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इसे वहां की स्थानीय संस्कृति, मसालों और स्वाद के अनुसार अपनाया और ढाला गया है. आज बिरयानी में शाकाहारी विकल्प, सीफूड वर्जन, जैविक मसालों से बनी बिरयानी, और फ्यूजन स्टाइल्स (जैसे चॉकलेट बिरयानी, पनीर टिक्का बिरयानी) तक देखने को मिलते हैं. यहां जानिए कुछ मशहूर किस्में....
 
भारत की बिरयानियां

हैदराबादी बिरयानी – केसर, दही, और मसाले में मेरिनेटेड मटन या चिकन से बनी यह बिरयानी दम पद्धति से पकाई जाती है.
 
 
लखनवी (अवधी) बिरयानी – नफासत और हल्के मसालों का संयोजन. चावल और मीट अलग-अलग पकते हैं और फिर परतों में मिलाए जाते हैं.
 
 
कोलकाता बिरयानी – इसमें आलू का उपयोग विशेष पहचान है, साथ ही स्वाद हल्का और खुशबूदार होती है.
 
 
 
मालाबारी बिरयानी (केरल) – इसमें नारियल का स्वाद, करी पत्ते और स्थानीय मसाले झलकते हैं.
 
 
दक्षिण भारत की अंगूर और डिंडीगुल बिरयानी – तीखे मसालों और सीरगा सांबा चावल से बनने वाली यह खासियतें तमिलनाडु से आती हैं.
 
 
अंतरराष्ट्रीय बिरयानियां

पाकिस्तानी सिंधी और कराची बिरयानी – अधिक मसालेदार और तीखी.
 
 
अफगानी बिरयानी – हल्की मसालेदार और सूखे मेवों से युक्त.
 
 
इरानी बिरयानी – कम मसालों के साथ सुगंधित चावल और भुना हुआ मांस.
 
 
 
म्यांमार की दनपाऊ बिरयानी – हल्की-सी मिठास और सूखे मेवे इसका हिस्सा होते हैं.
 
 
अरबी बिरयानी – इसमें जीरा, दालचीनी और इलायची का उपयोग ज़्यादा होता है.
 
 
क्यों खास है विश्व बिरयानी दिवस?

‘विश्व बिरयानी दिवस’ केवल एक डिश को सेलिब्रेट करने का दिन नहीं, बल्कि एकता, विविधता और स्वाद के उत्सव का प्रतीक है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे एक ही व्यंजन, अलग-अलग क्षेत्रों में अलग रूप लेकर भी लोगों को जोड़ने का काम करता है. सोशल मीडिया पर इस दिन #WorldBiryaniDay ट्रेंड करता है, और लोग अपनी पसंदीदा बिरयानी की तस्वीरें और रेसिपी साझा करते हैं.
 
 
बिरयानी न सिर्फ पेट, बल्कि दिल को भी खुश करती है. इसका इतिहास हमें बताता है कि कैसे एक शाही पकवान ने दुनिया के हर कोने में अपनी जगह बना ली. विश्व बिरयानी दिवस का असल अर्थ यही है — स्वाद, संस्कृति और साझेपन का उत्सव. तो अगर आपने आज तक अपनी पसंदीदा बिरयानी नहीं चुनी, तो अब समय है कि आप इस व्यंजन की विविधता को जानें, स्वाद लें और सराहें.  क्योंकि बिरयानी सिर्फ खाना नहीं, एक एहसास है – जो हर कौर में इतिहास, परंपरा और प्यार को समेटे होता है.