आवाज़ द वॉयस ब्यूरो
कश्मीर घाटी में एक मुस्लिम कुम्हार, मोहम्मद उमर, धार्मिक सद्भाव की एक शानदार मिसाल पेश कर रहे हैं. श्रीनगर के निशात इलाके के रहने वाले उमर, रोशनी के त्योहार दिवाली से पहले लगभग 20,000 मिट्टी के दीये बनाने में दिन-रात व्यस्त हैं. उनकी यह कड़ी मेहनत न केवल उनकी आजीविका का जरिया है, बल्कि सद्भाव, सह-अस्तित्व और मानवता का एक सुंदर संदेश भी देती है.
उमर एक मेहनती और उत्साही कुम्हार हैं जो इस प्राचीन कला को पुनर्जीवित करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. फिलहाल, वह दिवाली के लिए मिट्टी के दीये बनाने की समय सीमा को पूरा करने के लिए लगभग पूरे दिन काम कर रहे हैं.
मोहम्मद उमर दिवाली के लिए मिट्टी के दीये बना रहे हैं
मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में उमर ने कहा, "ईद के दौरान हिंदू हमारे लिए चीजें बनाते हैं और हमें रोजगार के अवसर मिलते हैं. इसी तरह दिवाली के दौरान हम उनके लिए चीजें बनाकर अपना गुजारा करते हैं. इस तरह हम सभी एकता और सद्भाव के बंधन में रहते हैं. हम दिवाली को खुशी और एकता के त्योहार के रूप में मनाते हैं."
घाटी में कुम्हारों के लिए दिवाली के आर्थिक महत्व पर बात करते हुए उन्होंने कहा, "जब दिवाली आती है, तो हमें रोजगार के अवसर भी मिलते हैं. जो भी हमसे मिट्टी के दीये खरीदता है, वह उन्हें थोक बाजार में बेचता है और लाभ कमाता है. दिवाली आने पर हम खुश होते हैं, क्योंकि तब बहुत सारे ऑर्डर आते हैं."
उन्होंने आगे बताया कि "किसी ज़माने में कश्मीर में 600 से ज़्यादा परिवार इस पेशे से जुड़े थे, लेकिन अब मुट्ठी भर परिवार ही इस उद्योग से जुड़े हैं." उमर के अनुसार, अगर जम्मू-कश्मीर की पारंपरिक कलाओं को पुनर्जीवित किया जाए, तो घाटी में बेरोज़गारी की समस्या काफी हद तक हल हो सकती है.
उनके शब्दों में, "अगर हम कश्मीर में इस लुप्त कला को वापस ला सकें, तो बेरोज़गारी की समस्या अपने आप हल हो जाएगी."स्नातक की डिग्री पूरी करने के बाद, उमर ने अपने पूर्वजों की कला को जीवित रखने का फैसला किया. वे कहते हैं, "मिट्टी के बर्तन बनाना हमारी पारिवारिक परंपरा है।.मेरे चाचा और पिता दोनों यह काम करते थे.मैंने यह कला अपने पिता से सीखी."
मोहम्मद उमर का मिट्टी का दीया धूप में सूख रहा है
कश्मीरी उद्यमी उमर ने यह भी बताया कि जब लोगों को प्लास्टिक से बनी रोज़मर्रा की चीज़ों के दुष्प्रभावों के बारे में पता चला, तो मिट्टी के उत्पादों की मांग बढ़ गई. उनके शब्दों में, "जब लोगों को प्लास्टिक के बर्तनों या कांच के हानिकारक प्रभावों का एहसास हुआ, तो हमारे उत्पादों की मांग बढ़ गई, क्योंकि हमारे बनाए उत्पादों का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता."
हालिया ऑर्डर के बारे में उन्होंने कहा, "पिछले साल हमें 15,000 मिट्टी के दीयों का ऑर्डर मिला था. इस साल हम 20,000 दीये बनाने पर काम कर रहे हैं. अब तक लगभग 5,500 दीये तैयार हो चुके हैं. दिवाली में अभी कुछ दिन बाकी हैं, इसलिए हमें उम्मीद है कि हम 20,000 से ज़्यादा दीये बना पाएंगे."
प्रकाश का त्योहार दिवाली, अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की आध्यात्मिक विजय का प्रतीक है. दिवाली हर साल कार्तिक मास की 15 तारीख को अमावस्या की रात को मनाई जाती है.इस साल दिवाली पूरे देश में 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी.