यरुशलम/शरम अल-शेख
यरुशलम और शरम अल-शेख से शुरू होकर एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुँचे शांति प्रयासों के बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को गाज़ा संघर्ष पर अंतरराष्ट्रीय समझौते को एक "शानदार दिन" बताया. इसराइल और हमास के बीच बंधकों और कैदियों के आदान-प्रदान के कुछ ही घंटों बाद ट्रंप और मिस्र, कतर तथा तुर्की के नेताओं ने मिस्र के शरम अल-शेख में आयोजित सम्मेलन में युद्धविराम को औपचारिक रूप देने के लिए एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए.
इस दौरे में ट्रंप पहले यरुशलम पहुँचे जहाँ उन्होंने इसराइली संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सराहना की. इसके बाद वे सीधे मिस्र रवाना हुए, जहाँ विश्व के 24 से अधिक नेताओं की मौजूदगी में गाज़ा युद्धविराम को मजबूत करने के लिए समझौता किया गया. ट्रंप ने इस मौके को "पूरी दुनिया के लिए एक अद्भुत दिन" बताया और कहा कि यह दस्तावेज़ युद्धविराम के क्रियान्वयन से संबंधित नियमों और शर्तों को स्पष्ट करेगा, उन्होंने दोहराया कि “यह समझौता टिकेगा.”
इस समझौते के तहत, हमास ने गाज़ा में दो वर्षों से बंदी बनाए गए अंतिम 20 इसराइली बंधकों को रिहा कर दिया, जिनमें महिलाएं और बुज़ुर्ग शामिल हैं. बदले में इसराइल ने 1,968 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया है, जिनमें से अधिकांश पर सुरक्षा से जुड़ी धाराओं में मुकदमे चल रहे थे. इस कैदी आदान-प्रदान को शांति की दिशा में बड़ी सफलता माना जा रहा है.
ट्रंप ने बताया कि यह समझौता उनके 20-बिंदु गाज़ा शांति योजना का हिस्सा है, जिसे उन्होंने सितंबर के अंत में पेश किया था. उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना का "दूसरा चरण" अब शुरू हो चुका है. हालांकि उन्होंने माना कि सभी चरण आपस में जुड़े हुए हैं और इनकी सीमाएं स्पष्ट नहीं हैं.
शरम अल-शेख में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ट्रंप ने कहा कि सीसी ने हमास के साथ बातचीत में अहम भूमिका निभाई है. बदले में सीसी ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए उन्हें "वह एकमात्र व्यक्ति बताया जो हमारे क्षेत्र में शांति ला सकता है."
सम्मेलन में ट्रंप ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से भी संक्षिप्त मुलाकात की, हालांकि हमास और इसराइली प्रतिनिधि इस वार्ता में शामिल नहीं हुए.
हालांकि यह समझौता एक बड़ा कदम है, लेकिन चुनौतियाँ अभी बाकी हैं. एक ओर हमास ने अब तक निरस्त्रीकरण से इनकार कर दिया है, वहीं दूसरी ओर इसराइल ने गाज़ा से पूरी तरह हटने की कोई स्पष्ट प्रतिबद्धता नहीं जताई है। इस वजह से समझौते का भविष्य अभी भी बातचीत और अमल पर निर्भर करता है.
हमास के प्रवक्ता हज़ेम क़ासिम ने इस मौके पर चेतावनी देते हुए कहा कि ट्रंप और अन्य मध्यस्थों को इसराइल के आचरण की निगरानी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह दोबारा फिलिस्तीनी जनता पर हमले न करे.
गाज़ा में इसराइली सैन्य कार्रवाई के दौरान अब तक भारी जनहानि हुई है. हमास-शासित गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2023 से अब तक 67,869 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और 1,70,105 घायल हुए हैं. इनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्वसनीय माने जाते हैं. वहीं, 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इसराइल पर किए गए हमले में 1,139 इसराइली नागरिक मारे गए थे और लगभग 200 को बंधक बनाया गया था.
इसराइल की ओर से अब तक इस बात की पुष्टि नहीं की गई है कि वह गाज़ा से सैन्य वापसी के लिए तैयार है या नहीं। ऐसे में यह देखना बाकी है कि यह समझौता केवल अस्थायी युद्धविराम है या शांति की दिशा में एक स्थायी समाधान की शुरुआत\
गाज़ा युद्धविराम को लेकर हुए इस समझौते से मध्य पूर्व में लंबे समय से चली आ रही हिंसा और अस्थिरता के बीच शांति की एक उम्मीद जगी है. लेकिन असली परीक्षा अब शुरू होती है—क्या यह समझौता ज़मीन पर टिकेगा? क्या सभी पक्ष अपनी प्रतिबद्धताओं पर कायम रहेंगे? और सबसे बड़ा सवाल—क्या यह शांति केवल एक राजनीतिक उपलब्धि है या लोगों की ज़िंदगी में राहत लाने वाला असली परिवर्तन?