मालदीव : विश्व का पहला मुस्लिम देश जिसने तंबाकू को कहा ‘ना’

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 06-11-2025
Maldives: The world's first Muslim country to say 'no' to tobacco.
Maldives: The world's first Muslim country to say 'no' to tobacco.

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

हिंद महासागर में भारत के करीब स्थित छोटा सा द्वीपीय राष्ट्र मालदीव ने स्वास्थ्य और सामाजिक नीति के क्षेत्र में एक ऐसा क्रांतिकारी निर्णय लिया है जिसने वैश्विक स्तर पर चर्चाओं का बाज़ार गर्म कर दिया है। मालदीव तंबाकू पर 'पीढ़ीगत प्रतिबंध' (Generational Ban) लगाने वाला दुनिया का पहला मुस्लिम बहुल देश बन गया है। यह निर्णय सिर्फ एक कानूनी बदलाव नहीं है, बल्कि यह सरकारों के लिए एक शक्तिशाली घोषणा है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य किसी भी आर्थिक या राजनीतिक लाभ, यहाँ तक कि तंबाकू से मिलने वाले भारी-भरकम सरकारी राजस्व से भी ऊपर है।

भारत जैसे देशों में, जहाँ सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान की बिक्री और खरीद पर आंशिक प्रतिबंध है, वहीं मालदीव ने सीधे तंबाकू की पूरी पीढ़ी को ही प्रतिबंधित करने का फैसला लिया है। यह कदम इस आशंका को बल देता है कि इस मुस्लिम राष्ट्र ने यह कठोर कदम महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर जैसे गंभीर स्वास्थ्य खतरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उठाया है, हालाँकि आधिकारिक कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना है।

एक पीढ़ी को तंबाकू से आज़ाद करने का दृढ़ संकल्प

मालदीव में जो प्रतिबंध प्रभावी हुआ है, वह अपनी प्रकृति में अभूतपूर्व है। यह दुनिया का पहला पूर्ण पीढ़ीगत धूम्रपान निषेध है, जिसका उद्देश्य भविष्य को बीमारियों से बचाना है।

प्रतिबंध का मौलिक सिद्धांत: इस कानून के तहत, 1जनवरी, 2007को या उसके बाद पैदा हुए किसी भी व्यक्ति को मालदीव के भीतर तंबाकू उत्पादों को खरीदने, धूम्रपान करने या इस्तेमाल करने पर स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

यह प्रतिबंध तंबाकू के सभी रूपों—पारंपरिक सिगरेट, बीड़ी, हुक्का—पर लागू होता है। इसके अलावा, यह वेप्स (Vapes) और इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर पहले से लागू प्रतिबंधों को मज़बूत करता है, जो उम्र की परवाह किए बिना सभी नागरिकों पर लागू हैं। यह कानून शनिवार से प्रभावी हो गया है, जिसका पूर्ण प्रवर्तन (Enforcement) देश का स्वास्थ्य मंत्रालय कर रहा है।

इस दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र ने अब खुदरा विक्रेताओं के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे तंबाकू बिक्री से पहले ग्राहक की उम्र सत्यापित करें। इसका स्पष्ट अर्थ है कि 2007 की कटऑफ तिथि के बाद पैदा हुई पूरी पीढ़ी के लिए तंबाकू तक पहुँच स्थायी रूप से अवरुद्ध हो गई है।

मालदीव की सरकार ने इसे इस साल की शुरुआत में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू द्वारा शुरू किया था, जो 1नवंबर से लागू हुआ। सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है: "सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना और तंबाकू मुक्त पीढ़ी को बढ़ावा देना।"

दिलचस्प बात यह है कि यह उपाय लक्जरी पर्यटन के लिए जाने जाने वाले इस राष्ट्र में आने वाले विदेशी पर्यटकों (Visitors) पर भी लागू होता है। इसका मतलब है कि यदि कोई विदेशी पर्यटक 1 जनवरी 2007 के बाद पैदा हुआ है, तो उसे मालदीव में तंबाकू उत्पाद नहीं बेचे जा सकते।

गहन सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती पर प्रतिक्रिया

स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस उपाय को लगभग 5लाख लोगों के राष्ट्र में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती को संबोधित करने वाला बताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डेटा भयावह संकेत देते हैं:

15 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 25प्रतिशत मालदीवीयन तंबाकू का सेवन करते हैं।2021के सर्वेक्षणों के अनुसार, 13-15वर्ष की आयु के युवाओं में तंबाकू उपयोग की दर 50प्रतिशत के करीब पहुँच रही है, जो भविष्य के लिए एक बड़ा संकट है।

WHO तंबाकू को प्रति वर्ष लगभग 70 लाख वैश्विक मौतों के लिए ज़िम्मेदार मानता है, और इसे इतिहास के सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक करार देता है।

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पहल से लागू हुए इस प्रावधान के पीछे का मुख्य बल यह है कि जब युवा पीढ़ी में तंबाकू की लत इतनी तेज़ी से बढ़ रही हो, तो राजस्व के लालच से ऊपर उठकर एक कठोर, विघटनकारी (Disruptive) समाधान आवश्यक हो जाता है।

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सर्वाइकल कैंसर: एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य चिंता

तंबाकू प्रतिबंध के पीछे एक और गंभीर चिंता काम कर रही है, और वह है महिलाओं में कैंसर का बढ़ता बोझ। मालदीव में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है और यह एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के एक अध्ययन ने यहाँ जोखिम कारकों की उच्च व्यापकता पाई, जैसे कि कम उम्र में शादी या बच्चे को जन्म देना। हालाँकि तंबाकू का उपयोग सीधे सर्वाइकल कैंसर से नहीं जुड़ा है, लेकिन यह समग्र कैंसर और फेफड़ों के कैंसर के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है।

मालदीव में सरकार ने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए पहला नेशनल कैंसर कंट्रोल प्लान (2022-2026) लॉन्च किया है। इसके तहत रोकथाम, शीघ्र पता लगाने और उपचार सहित व्यापक कैंसर नियंत्रण प्रयासों की आवश्यकता को पूरा करने पर ज़ोर दिया जा रहा है।

HPV टीकाकरण कवरेज को बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में सहायक है। मालदीव की कैंसर सोसाइटी जैसे संगठन जागरूकता और स्क्रीनिंग बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन निदान और उपचार के लिए बुनियादी ढांचे में अभी भी सुधार की आवश्यकता है। कैंसर की इन चिंताओं ने निश्चित रूप से सरकार को अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए तंबाकू पर एक ऐतिहासिक, कठोर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रेरित किया है।

कठोर दंड और वैश्विक तुलना

मालदीव की सरकार ने इस कानून को प्रभावी बनाने के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया है:

नाबालिग व्यक्ति को तंबाकू उत्पाद बेचने पर 50,000रुफिया ($3,200) का भारी जुर्माना लगाया जाएगा।

वेप डिवाइस का उपयोग करने पर 5,000रुफिया ($320) का जुर्माना लगाया जाएगा।

मालदीव का यह कदम अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी चर्चा का विषय है, खासकर इसलिए क्योंकि अन्य देशों ने ऐसे प्रयासों में या तो देरी की है या वे पीछे हट गए हैं:

यूके (UK) में इसी तरह का पीढ़ीगत प्रतिबंध अभी भी विधायी प्रक्रिया से गुज़र रहा है।

न्यूजीलैंड, जिसने ऐसा कानून लागू किया था, ने इसे पेश किए जाने के एक साल से भी कम समय बाद नवंबर 2023में रद्द कर दिया था।

ऐसे में, मालदीव ने दुनिया को यह दिखाया है कि दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ, राष्ट्र अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आर्थिक हितों को दरकिनार कर सकते हैं।

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मालदीव: एक छोटा राष्ट्र, बड़ा संकल्प

मालदीव, जिसे ढिहेवी राज्जेयगे जुम्हूरिय्या के नाम से जाना जाता है, हिंद महासागर में 1,200छोटे मूंगे के द्वीपों की एक श्रृंखला है, जिसकी जनसंख्या लगभग 5.6लाख है। यह एक बहुदलीय गणतंत्र है जहाँ इस्लाम राज्य धर्म है।

यह राष्ट्र अपनी शानदार अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है, जो मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है। इस आर्थिक मॉडल के बावजूद, स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना एक सराहनीय निर्णय है।

मालदीव का यह ऐतिहासिक और साहसी फैसला न केवल उसकी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वास्थ्यपूर्ण भविष्य सुनिश्चित करेगा, बल्कि यह अन्य विकासशील और राजस्व-निर्भर राष्ट्रों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बनेगा कि जन-स्वास्थ्य ही किसी भी राष्ट्र की सच्ची संपत्ति है।

इस "पीढ़ीगत प्रतिबंध" के माध्यम से, मालदीव ने दिखाया है कि एक छोटा सा राष्ट्र भी दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक के ख़िलाफ़ एक महासंग्राम शुरू कर सकता है।