मर्यादा पुरुषोत्तम राम: उर्दू शायरी में सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक

Story by  फिरदौस खान | Published by  onikamaheshwari | Date 29-09-2025
Ram is the Imam of India
Ram is the Imam of India

 

डॉ. फ़िरदौस ख़ान

नवरात्रि शुरू होने वाली है. नवरात्रि के साथ ही रामलीलाओं का मंचन भी शुरू हो जाएगा. फिर विजयदशमी के दिन एक तरफ़ देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना होगी, तो दूसरी तरफ़ दशहरा मनाया जाएगा. इस दिन राम का रूप धारण करने वाले कलाकार रावण के पुतले को अग्निबाण मारकर जला देंगे. हिन्दुओं का यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है. इससे यह शिक्षा मिलती है कि अत्याचारी कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, एक न एक दिन उसका सर्वनाश होना निश्चित है. अनेक त्यौहार राम से जुड़े हुए हैं जैसे रामनवमी, दशहरा और दिवाली आदि. ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर कहते हैं-

उस बुत-ए-काफ़िर का ज़ाहिद ने भी नाम ऐसा जपा

दाना-ए-तस्बीह हर इक राम-दाना हो गया

राम केवल एक राजा ही नहीं थे, बल्कि वे जनमानस से बहुत गहरे से जुड़े थे. एक पुत्र के रूप में, एक भाई के रूप में और एक मित्र के रूप में यानी हर रूप में उन्होंने अपने कर्तव्यों का मन से पालन किया. अपनी प्रजा के लिए उन्होंने अपनी पत्नी तक का त्याग कर दिया, और पत्नी से प्रेम के कारण पुनर्विवाह नहीं किया. राम से लोगों का यह जुड़ाव केवल हिन्दू धर्म के लोगों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मुसलमान भी उनका उतना ही सम्मान करते हैं.      

Maryada Purushottam Ram - Samachar Just Click

उर्दू और फ़ारसी के सुप्रसिद्ध शायर अल्लामा इक़बाल ने राम को हिन्दुस्तान का इमाम कहा है. उनकी नज़्म देखें-  

लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द

सब फ़लसफ़ी हैं ख़ित्ता-ए-मग़रिब के रामे-हिन्द

ये हिन्दियों के फ़िक्रे-फ़लक उसका है असर

रिफ़अत में आस्मां से भी ऊंचा है बामे-हिन्द

इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक सरिश्त

मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द

है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़

अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द

एजाज़ इस चिराग़े-हिदायत का है

यही रौशन तिराज़ सहर ज़माने में शामे-हिन्द

तलवार का धनी था, शुजाअत में फ़र्द था

पाकीज़गी में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था

राम स्वयं में एक पूरी सभ्यता और संस्कृति थे. उनकी पत्नी सीता भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं. वे राजसी ऐश्वर्य त्याग कर अपने पति के साथ वनवास जाती और अनेक कष्टों का सामना करती हैं. उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी अपने भाई के साथ वनवास जाते हैं और दिन-रात उनकी सेवा करते हैं. वे भारतीय जीवन दर्शन और पारिवारिक संबंधों के आदर्श स्थापित करते हैं. मौलाना ज़फ़र अली ख़ान कहते हैं- 

न नाक़ूस से है और न असनाम से है

हिन्द की गर्मी-ए-हंगामा तेरे नाम से है  

नक़्श-ए तहज़ीब-ए हुनूद अब भी नुमाया है अगर

तो वो सीता से है, लछमन से है और राम से है

राम का सम्पूर्ण जीवन मर्यादामय था, तभी तो उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है. सागर निज़ामी कहते हैं- 

ज़िन्दगी की रूह था, रूहानियत की शाम था

वो मुजस्सम रूप में इंसान का इरफ़ान था

हिन्दियों के दिल में, बाक़ी है मोहब्बत राम की

मिट नहीं सकती क़यामत तक हुकूमत राम की

राम के जीवन के लभगभ सभी पक्षों पर लिखा गया है. यह वनवास ही था, जिसने राम को ‘राम’ बनाया. राम के वनवास के बारे में मशहूर शायर व फ़िल्म गीतकार जां निसार अख़्तर कहते हैं-

उजड़ी-उजड़ी हर आस लगे

ज़िन्दगी राम का बनवास लगे

इसी तरह हफ़ीज़ बनारसी लिखते हैं-

एक सीता की रफ़ाक़त है तो सबकुछ पास है

ज़िन्दगी कहते हैं जिसको राम का बन-वास है

उर्दू शायरों ने राम की ख़ूबसूरती पर बहुत कुछ लिखा है. फ़िराक़ गोरखपुरी सीता के स्वयंवर के मौक़े पर राम के सौन्दर्य का मनोहारी वर्णन करते हुए कहते हैं-

ये हल्के सलोने सांवलेपन का समां

जमुना जल में और आसमानों में कहां

सीता पे स्वयंवर में पड़ा राम का अक्स

या चांद के मुखड़े पे है ज़ुल्फ़ों का धुआं

नज़ीर अकबराबादी का ये दोहा बहुत ही लोकप्रिय है. लोग इसे कहावत के तौर पर भी ख़ूब इस्तेमाल करते हैं.

दिल चाहे दिलदार को तन चाहे आराम

दुविधा में दोहू गए माया मिली न राम

अमीर ख़ुसरो ने अपनी मुकरियों में राम का ज़िक्र किया है. वे कहते हैं- 

बखत बखत मोए वा की आस

रात दिना ऊ रहत मो पास

मेरे मन को सब करत है काम

ऐ सखि साजन? ना सखि राम

मशहूर शायर व फ़िल्म गीतकार कैफ़ी आज़मी तसव्वुर करते हैं कि आज के दौर में अगर राम अयोध्या वापस आएं, तो वे कैसा महसूस करेंगे. उनकी नज़्म ‘दूसरा बनवास’ मुलाहिज़ा फ़रमाएं-      

राम बनवास से जब लौटकर घर में आये

याद जंगल बहुत आया जो नगर में आये

रक़्से-दीवानगी आंगन में जो देखा होगा

छह दिसम्बर को श्रीराम ने सोचा होगा

इतने दीवाने कहां से मेरे घर में आये

धर्म क्या उनका है, क्या जात है ये जानता कौन

घर ना जलता तो उन्हें रात में पहचानता कौन

घर जलाने को मेरा, लोग जो घर में आये

शाकाहारी हैं मेरे दोस्त, तुम्हारे ख़ंजर

तुमने बाबर की तरफ़ फेंके थे सारे पत्थर

है मेरे सर की ख़ता, ज़ख़्म जो सर में आये

पांव सरयू में अभी राम ने धोये भी न थे

कि नज़र आये वहां ख़ून के गहरे धब्बे

पांव धोये बिना सरयू के किनारे से उठे

राम ये कहते हुए अपने दुआरे से उठे

राजधानी की फ़ज़ा आई नहीं रास मुझे

छह दिसम्बर को मिला दूसरा बनवास मुझे

अब्दुर्रऊफ़ मख़्फ़ी राम को सम्बोधित करते हुए उनसे सवाल पूछते हैं-

सितम मिटाने तुम आए थे मेरी लंका में

बताओ राम ये क्या है तुम्हारी बस्ती में

इसी तरह क़ल्ब-ए-हुसैन नादिर कहते हैं-

हो गए राम जो तुम ग़ैर से ए जान-ए-जहां

जल रही है दिल-ए-पुरनूर की लंका देखो

कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए धर्म के नाम पर इतना रक्तपात करते हैं कि बहुत से लोग धर्म के नाम से भी चिढ़ने लगते हैं और नास्तिक हो जाते हैं. मशहूर शायर और फ़िल्म गीतकार साहिर लुधियानवी कहते हैं-

जिस राम के नाम पे ख़ून बहे उस राम की इज़्ज़त क्या होगी

जिस दीन के हाथों लाज लुटे इस दीन की क़ीमत क्या होगी

इसी तरह अनवारी अंसारी कहते हैं-

लड़वा रहे हैं राम को जो भी रहीम से

इन मज़हबी ख़ुदाओं से क्या दोस्ती करें

रहबर जौनपुरी कितनी प्रासंगिक बात कहते हैं-

रस्म-ओ-रिवाज-ए-राम से आरी हैं शर-पसंद

रावण की नीतियों के पुजारी हैं शर-पसंद

अब इंसान ने इतने रूप धारण कर लिए हैं कि उसके असल रूप की पहचान करना मुश्किल हो गया है. ऐसे में लोग साधु-संतों को भी शक की नज़र से देखने लगे हैं. बशीर बद्र कहते हैं-

हज़ारों भेस में फिरते हैं राम और रहीम

कोई ज़रूरी नहीं है भला भला ही लगे

हालात जो भी हों, लेकिन इतना तय है कि राम आज भी जनमानस से जुड़े हैं. सैयद सफ़दर रज़ा खंडवी कहते हैं-

सत-गुरु लिख या रहीम-ओ-राम लिख

एक है उसके हज़ारों नाम लिख

डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी राम के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का ज़िक्र करते हुए कहते हैं-

चिश्ती सुब्हो-शाम कर, बारंबार सलाम.

रोम-रोम में बस रहा, तेरा तुझ में राम.

राम चरित के शोध का, चिश्ती यह निष्कर्ष.

राम हमारे देश के, उत्तम हैं आदर्श..

प्रभु की मर्ज़ी से किया, रावण से संघर्ष.

चिश्ती सच यूं पा गया, झूठे पे उत्कर्ष..

बन में पितृ आदेश पर, जीवन किया हलाल.

अरु चिश्ती भ्रातृत्व की, उत्तम राम मिसाल..

मिटा दशानन का सभी, पल में अत्याचार.

चिश्ती अपने राम का, अजब ग़ज़ब किरदार..

मानवता का राम ने, किया नवीन उद्धार.

धर्म स्थापित कर दिया, चिश्ती करि संहार..

रामराज क़ायम हुआ, दुष्ट हुआ बे-नाम.

धरम ने अधरम से किया, चिश्ती वह संग्राम...

 

(लेखिका शायरा, कहानीकार और पत्रकार हैं)