अर्सला खान/नई दिल्ली
कानपुर में पैगंबर मोहम्मद की जयंती पर निकाले गए जुलूस में “आई लव यू मोहम्मद” लिखे पोस्टरों को लेकर शुरू हुआ विवाद अब कई राज्यों में चर्चा का विषय बन गया है. इस विवाद के बाद एक ओर कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों ने आपत्ति जताई और पुलिस ने मुक़दमे दर्ज कर लिए, तो दूसरी ओर मुस्लिम समाज में भी सोशल मीडिया पर “आई लव यू मोहम्मद” अभियान चलने लगा. इस पूरे घटनाक्रम के बीच विभिन्न मुस्लिम संगठनों और धार्मिक नेताओं ने शांति, संयम और कानूनी दायरे में रहकर अपनी बात रखने की अपील की है.
कानपुर में चैन और शांति की अपील – अब्दुल क़ुद्दूस हादी
उत्तर प्रदेश के नाएब जमीयत उलेमा, अब्दुल क़ुद्दूस हादी ने कानपुर के लोगों से विशेष तौर पर शांति बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा, “आई लव मोहम्मद विवाद के चलते कानपुर के लोगों से मेरी अपील है कि वे चैन और शांति बनाए रखें. ऐसे समय में हमें धैर्य और समझदारी का परिचय देना चाहिए, ताकि माहौल बिगड़ने न पाए.”
मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी: विवाद को और न बढ़ाएं 
ऑल इंडिया तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम के अध्यक्ष मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने भी अपने बयान में संयम और शांति की अपील की. उन्होंने कहा, “हम सभी को चाहिए कि आई लव मुहम्मद विवाद को और न बढ़ाएं। पैगंबर मोहम्मद का सम्मान हमारी आस्था का हिस्सा है, लेकिन हमें हर हाल में कानून और व्यवस्था का सम्मान करना होगा. हमारी प्राथमिकता समाज में शांति और भाईचारे को बनाए रखना होनी चाहिए.”
डॉ. शमसुद्दीन तांबोली: ग़ैर-ज़रूरी प्रतिक्रिया से तनाव
मुस्लिम सत्यशोधक मंडल के अध्यक्ष डॉ. शमसुद्दीन तांबोली ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में अत्यधिक प्रतिक्रिया देने से सामाजिक तनाव बढ़ता है. उन्होंने लिखा, “भारत में मज़हबी जज़्बात को ठेस पहुँचाकर आम जन-जीवन को अस्त-व्यस्त करने वाली उन्मादी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.
कानपुर में निकाले गए जुलूस में ‘आई लव यू मोहम्मद’ लिखे पोस्टर पर कुछ हिंदुत्ववादी लोगों ने बिना वजह विरोध किया और पुलिस ने मुक़दमे दर्ज कर लिए. इसमें मुक़दमा दर्ज करने जैसा क्या था, यह समझ से परे है. लेकिन, इसकी प्रतिक्रिया मुस्लिम समाज में भी देखने को मिली. कई राज्यों में सोशल मीडिया पर ‘आई लव यू मोहम्मद’ मुहिम चलाई गई. हालांकि यह प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी, लेकिन क्या इसकी सच में ज़रूरत थी? आज के संवेदनशील माहौल में यह बर्ताव तनाव पैदा करने की वजह बन सकता है.
ऐसे मामलों को सब्र से संभालना होता है. मज़हब और कट्टरता को घर की दहलीज़ के अंदर रखने के बजाय इसका सार्वजनिक दिखावा महंगा पड़ सकता है. इससे मज़हबी संवाद और सामाजिक सद्भाव बढ़ने के बजाय एक बार फिर सामाजिक तनाव को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे मौक़ों पर संयम, सावधानी और समझदारी वाला रुख़ अपनाना समाज और देश के हित में होता है.”
मौलाना तौफीक अशरफ़ी: पैगंबर की शिक्षा और देशप्रेम
पुणे के गुलशन-ए-गरीब नवाज़ मदरसे के प्रमुख और अहले सुन्नत वल जमात की एक प्रमुख आवाज़ मौलाना तौफीक अशरफ़ी ने पैगंबर मोहम्मद के प्रति प्रेम को मुस्लिम ईमान का अभिन्न अंग बताया. उन्होंने कहा, “पैगंबर मोहम्मद से प्रेम हर मुसलमान के ईमान का एक अभिन्न अंग है. ‘आई लव मुहम्मद’ आंदोलन इसी प्रेम की एक सुंदर अभिव्यक्ति है. लेकिन, इस प्रेम को व्यक्त करते समय हमें कानून और व्यवस्था का सम्मान करना चाहिए. मुसलमानों को अपनी बात शांतिपूर्ण और कानूनी तरीकों से, प्रशासन की अनुमति लेकर रखनी चाहिए.
पैगंबर सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि ‘रहमतुल-लिल-आलमीन’ हैं, यानी पूरी दुनिया के लिए रहमत (दया) और करुणा का प्रतीक हैं. हमारी हर कृति में उनकी यह शिक्षा झलकनी चाहिए. पैगंबर ने स्वयं सिखाया है कि ‘हुब्बुल वतनी’ यानी अपने देश से प्रेम, ईमान का हिस्सा है. हमारा देशप्रेम हमारे आचरण से सिद्ध होना चाहिए, यही समय की मांग है.”
सभी नेताओं का साझा संदेश: संयम, शांति और कानूनी रास्ता
इन बयानों से यह साफ झलकता है कि मुस्लिम नेतृत्व विवाद को बढ़ावा देने के बजाय उसे शांतिपूर्वक संभालने के पक्ष में है. अब्दुल क़ुद्दूस हादी और मुफ़्ती अशफ़ाक़ क़ादरी दोनों ने शांति की अपील की. डॉ. तांबोली ने ग़ैर-ज़रूरी प्रतिक्रियाओं के ख़तरों की ओर इशारा किया, तो मौलाना तौफीक अशरफ़ी ने पैगंबर मोहम्मद की करुणा और देशप्रेम के संदेश को याद दिलाया.

इन सभी प्रतिक्रियाओं का मूल स्वर यही है कि पैगंबर मोहम्मद के प्रति प्रेम को किसी उकसावे या विवाद का आधार बनाने के बजाय कानूनी, शांतिपूर्ण और संयमित तरीक़े से व्यक्त करना ही समय की मांग है.
प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल
डॉ. तांबोली ने यह भी कहा कि सरकार और प्रशासन को ऐसे माहौल को रोकने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए, ताकि धार्मिक तनाव की घटनाएं न बढ़ें। मुस्लिम नेताओं ने भी प्रशासन से अपेक्षा जताई है कि वह किसी भी उकसावे या विवाद को समय रहते रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए।
पैगंबर के प्रेम में शांति का संदेश
कानपुर के “आई लव मोहम्मद” विवाद ने जहां समाज में हलचल पैदा की है, वहीं मुस्लिम नेतृत्व की ओर से यह संदेश भी स्पष्ट किया गया है कि पैगंबर के प्रति प्रेम और सम्मान का प्रदर्शन कानून और शांति की सीमा में रहकर होना चाहिए. यही रास्ता न केवल समाज और देश के हित में है बल्कि पैगंबर मोहम्मद की शिक्षा के अनुरूप भी है.