आवाज द वाॅयस / नई दिल्ल्ली
राजधानी दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में आज एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व क्षण देखने को मिला, जब मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने अपना अखिल भारतीय मुस्लिम महासम्मेलन आयोजित किया. इस आयोजन में देशभर से आए हज़ारों कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने न केवल भाग लिया, बल्कि उस विज़न को भी साझा किया जो भारत में सामाजिक सद्भाव, सकारात्मक नेतृत्व और राष्ट्र निर्माण में मुस्लिम समाज की सक्रिय भूमिका का प्रतीक बनकर उभरा.
मंच के इस महासम्मेलन का उद्देश्य केवल एक संगठनात्मक सभा नहीं था, बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश था कि भारत का मुस्लिम समाज अब केवल दर्शक की भूमिका में नहीं रहेगा, बल्कि देश के विकास, एकता और अखंडता में एक निर्णायक भागीदार की भूमिका निभाएगा.
इस सम्मेलन में मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार, वक्फ पर बनी जेपीसी के चेयरमैन व वरिष्ठ सांसद जगदंबिका पाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जाटिया, अजमेर शरीफ दरगाह के चेयरमैन ख्वाजा नसरुद्दीन, ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के चीफ इमाम मौलाना उमेर इलियासी, NCMEI के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शाहिद अख्तर, बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी, निजामुद्दीन दरगाह के चेयरमैन सलमी निजामी, राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल, डॉ. शालिनी अली, शाहिद सईद, जमीयत हिमायतुल इस्लाम संगठन के अध्यक्ष कारी अबरार जमाल सहित अनेक गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही.
मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने अपने जोशीले और राष्ट्रवादी भाषण में आतंकवाद, नशाखोरी और समाज में फैली नकारात्मक प्रवृत्तियों पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म, जाति या रंग नहीं होता, यह केवल शैतानियत है. उन्होंने भारत की सांस्कृतिक पहचान को रेखांकित करते हुए कहा, "हम हिन्दुस्तानी थे, हैं और रहेंगे, हमारी पहचान पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता."
उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ी और हमेशा महिलाओं की अस्मिता की रक्षा में सबसे आगे रहा है. इंद्रेश कुमार ने बिहार में रोहिंग्या और घुसपैठियों के मुद्दे पर भी गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि यदि बाहर से आए लोग स्थानीय संसाधनों और नौकरियों पर कब्ज़ा करेंगे, तो यहां के मुसलमानों के लिए अवसर और भी सीमित हो जाएंगे.
इस अवसर पर NCMEI के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शाहिद अख्तर ने मंच की 25 वर्षों की यात्रा की सराहना करते हुए भविष्य की दिशा भी स्पष्ट की. उन्होंने कहा कि यह केवल एक जश्न का क्षण नहीं, बल्कि अगले 25 वर्षों के लिए नई ऊर्जा और नई दिशा तय करने का वक्त है.
डॉ. अख्तर ने राष्ट्र निर्माण में मुस्लिम समाज की सक्रिय भागीदारी का आह्वान करते हुए कहा कि हम केवल दर्शक नहीं रह सकते. उन्होंने सुलह केंद्र, स्किल डेवलपमेंट सेंटर, छात्रवृत्ति योजनाएं और करियर गाइडेंस सेल स्थापित करने की योजना की घोषणा की, ताकि मुस्लिम समाज शिक्षा और रोजगार की मुख्यधारा से जुड़ सके.
उन्होंने यह भी कहा कि हज़रत मोहम्मद साहब की शिक्षाएं मुसलमानों की आस्था की बुनियाद हैं. इस भावना को अन्य धर्मों द्वारा समझा जाना चाहिए.राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफज़ल ने मंच की यात्रा को याद करते हुए भावुक होते हुए बताया कि यह आंदोलन मात्र दो कमरों से शुरू हुआ था और पहले सम्मेलन में केवल 110 लोग शामिल हुए थे.
आज, यह मंच 10,000 से अधिक कार्यकर्ताओं को एकत्रित कर एक सशक्त सामाजिक आंदोलन बन चुका है. उन्होंने कहा कि अब मंच लाखों कार्यकर्ताओं के साथ एक राष्ट्रीय शक्ति बनने की ओर अग्रसर है.
कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने भी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की भूमिका और राष्ट्र निर्माण में इसके योगदान की सराहना की. सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि मंच ने हमेशा देश को बांटने वाली ताकतों को करारा जवाब दिया है.
उन्होंने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को एक सकारात्मक कदम बताया. अजमेर शरीफ दरगाह के चेयरमैन ख्वाजा नसरुद्दीन ने भारत को दुनिया का सबसे न्यायप्रिय देश बताया, जबकि मौलाना उमेर इलियासी ने कहा कि "हिंदू-मुस्लिम सबका DNA एक है. यह साझा पहचान हमारे एकता के मूल में है." पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जाटिया ने मंच की निरंतर प्रगति की प्रशंसा की. इसे राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण सहभागी बताया.
महिला प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ. शालिनी अली ने मंच पर भावनात्मक और सशक्त भाषण देते हुए मुस्लिम महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि तीन तलाक की समाप्ति के बाद मुस्लिम महिलाओं में नई चेतना आई है.
अब उनका लक्ष्य शिक्षा, कौशल विकास और आर्थिक स्वतंत्रता के जरिए उन्हें सशक्त बनाना है. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि महिला सशक्तिकरण केवल सामाजिक आवश्यकता नहीं, आधुनिक भारत की मजबूरी है. उन्होंने मुस्लिम महिलाओं से राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में निर्णायक भूमिका निभाने का आग्रह किया.
मंच ने अब तक के अपने सफर में तीन तलाक समाप्ति, राम मंदिर निर्माण, अनुच्छेद 370 और 35A की समाप्ति, PFI पर प्रतिबंध, वक्फ संशोधन कानून, तिरंगा यात्राएं और आतंकवाद विरोधी अभियानों जैसे मुद्दों पर मजबूत भूमिका निभाई है. इस महासम्मेलन में यह संकल्प लिया गया कि आने वाले वर्षों में शिक्षा, रोजगार, महिला सशक्तिकरण, नशामुक्ति और सामाजिक समरसता को लेकर और भी संगठित और आक्रामक अभियान चलाए जाएंगे.
यह सम्मेलन निश्चित रूप से मुस्लिम समाज में नई सोच, सकारात्मक नेतृत्व और नीतिगत सुधार की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा.