Lok Sabha Election 2024: In BJP's resolution letter, emphasis is on future rather than emotions and names.
मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली
राम मंदिर, अनुच्छेद 370 हटाने, सीएए, तीन तलाक जैसे कोर एजेंडा के पूरा होने का असर है कि ‘मोदी की गारंटी 2024’ के नाम से जारी भारतीय जनता पार्टी के इस बार के घोषणापत्र में जज्बाती नारों को खास अहमियत नहीं दी गई है.
69 पेज के
बीजेपी के संकल्प पत्र के पेज नंबर 54 पर यदि यूसीसी कानून के जिक्र को हाशिए पर रखा जाए तो इसमें देश के विकास, पर्यावरण, बुनियादी ढांचा सुधारने, महिला-युवा को बेहतर अवसर उपलब्ध कराने, दूसरे देशों में भारतीय संस्कृति-भाषा, योग, आयुर्वेद का विस्तार करने, चिकित्सा, कृषि, शिक्षा, खेल के क्षेत्र में व्यापक सुधार लाने की योजनाओं का विशेष जिक्र है.
चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बजाने से कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था-‘‘मोदी की गारंटी, गारंटी की गारंटी है.’’भाजपा के संकल्प पत्र में उनके इस संवाद का भरपूर असर दिखता है. उन्हांेने बीजेपी के हर प्रस्ताव पर इसकी ‘गारंटी जताई है.’
इस संकल्प पत्र पर मोदी की विभिन्न मुद्राओं में कई तस्वीरें हैं. किसी तस्वीर में वो बाइडेन के साथ दिख रहे हैं, तो किसी तस्वीर में जी 20 के साथी देशों के शीर्ष नेता के साथ. संकल्प पत्र में दलितों के पांव पखारते भी मोदी की तस्वीर है. राम मंदिर को भी इसमें दिखाया गया है. मोदी की गाय को दुलारती तस्वीर भी संकल्प पत्र में जगह दी गई है.
श्रमिकों, शिल्पकारों, वैज्ञानिकों, खिलाड़ियों,किसानांे के साथ ही इसमें तस्वीर हैं.संकल्प की शुरूआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष नड्डा और राजनाथ सिंह के संदेश छपे हैं. इसके बाद इंडेक्स है, जिसमें गरीब परिवार जन, मिडिल क्लास परिवार जन, नारी शक्ति, यंग सिटिजन्स,सीनियर सिटीजन,किसान सम्मान, फिशरमैन्स फैमली,श्रमिक सम्मान,स्मॉल ट्रेडर्स एवं विश्वकर्मा, सबका साथ सबका विकास,विश्व बंधु भारत, सुरक्षित भारत, प्रास्पेरियस भारत, ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब, वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर, विरासत भी, विकास भी, गुड गवर्नेंस, स्वस्थ भारत, क्वाटिली एजुकेशन, स्पोर्ट्स डेवलपमेंट, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन, सस्टेनबल भारत आदि शीर्षक से विभिन्न वर्गों के लिए तरह-तरह के वादे और घोषणाएं किए गए हैं.
‘मोदी की गारंटी फॉर गुड गवर्नेंस’ शीर्षक के तहत किए गए वादों में दूसरे प्वाइंट पर यूसीसी का जिक्र है. जाहिर है, जब मोदी अपने तमाम वादों की गारंटी ले रहे हैं तो अगले पांच साल का कार्यकाल यदि उन्हें मिला तो यूसीसी लागू किया जा सकता है.
संकल्प पत्र की शुरुआत में मोदी सरकार के 10 वर्षों की उपलब्धियों का विशेष तौर से जिक्र किया गया है. आम तौर से सरकारें पिछले पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धियां अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में गिनाती हैं, पर केंद्र की मौजूदा सरकार की पार्टी के घोषणा पत्र में पांच की जगह पिछले दस वर्षों के कामकाज गिनाए गए हैं.
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में न केवल अल्पसंख्यकों को लेकर कई तरह की घोषणाएं की हैं, बल्कि सरकार बनने पर उत्तराखंड में हाल में लागू यूसीसी कानून को निरस्त करने के भी संकेत दिए हैं. इसके इतर बीजेपी के संकल्प पत्र में मुसलमानों को लेकर किसी तरह का कोई वादा नहीं किया गया है, न ही इसमें मथुरा-काशी के मुद्दे को विशेष महत्व दिया गया है.
घोषणा पत्र में काशी सहित कुछ मंदिरों के सौंदर्यीकरण का अवश्य जिक्र है, वह भी सरसरी तौर पर. अधिकतर बातें देश को आगे बढ़ाने को लेकर की गई हैं.