जमशेद जी टाटाः जिन्हें पंडित नेहरू ने ‘ वन-मैन प्लानिंग कमीशन’ कहा था

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 05-03-2024
Jamshedji Tata: Whom Pandit Nehru called 'One-Man Planning Commission'
Jamshedji Tata: Whom Pandit Nehru called 'One-Man Planning Commission'

 

 यूसुफ तहमी / दिल्ली

आज से लगभग 185 साल पहले भारत के गुजरात के नौसारी में एक पारसी परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ, जिसका नाम जमशेद जी टाटा रखा गया.यह बच्चा बड़ा होकर आज पाकिस्तान की जीडीपी से भी अधिक मूल्य का व्यापारिक साम्राज्य खड़ा कर चुका है.

उन्हें 'भारतीय उद्योग के जनक' के रूप में जाना जाता है.उद्योग जगत में वे इतने प्रभावशाली थे कि जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें 'वन-मैन प्लानिंग कमीशन' कहा था.उन्होंने जमशेदजी को साहस और दूरदर्शिता की एक दुर्लभ भावना दी। मिश्रण भी कहा जाता है.

आज न सिर्फ दर्जनों कंपनियों के नाम उनके नाम पर हैं.एक शहर का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है, जिसका सपना तो उन्होंने देखा था लेकिन साकार उनके बेटे ने किया.वह कई मामलों में भारत में एक अग्रणी व्यक्ति हैं.

उन्होंने न केवल भारत को पहली स्वदेशी हवाई सेवा दी,स्टील और कपड़ा कारखाने और ताज महल होटलों की एक श्रृंखला भी दी, जो भारत सहित दुनिया भर के लगभग एक दर्जन देशों में मौजूद हैं.

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टाटा उद्योग समूह को दुनिया की सबसे परोपकारी कंपनियों में से एक होने का गौरव प्राप्त है.यह सक्रिय रूप से परोपकारी और शैक्षिक गतिविधियों में शामिल है.लगभग 9 वर्षों तक अपने पिता के साथ काम करने का अनुभव प्राप्त करने के बाद, 29 वर्ष की आयु में, जमशेद जी टाटा ने 21 हजार रुपये की पूंजी के साथ एक ट्रेडिंग कंपनी शुरू की जो धीरे-धीरे टाटा समूह बन गई.

जमशेद जी टाटा का जन्म 3मार्च 1839 को एक धार्मिक परिवार में हुआ था.उनके दादा और उनसे पहले के लोग पारसी धर्म के विद्वान थे.अपने धर्म की सेवा में लगे हुए थे.उनका परिवार गरीबी से त्रस्त था.शायद इसीलिए जमशेदजी के पिता नौशिरवानजी टाटा ने वाणिज्य के क्षेत्र में प्रवेश किया.वे व्यापार के लिए बंबई जो अब मुंबई है, आये.

वह 14 साल की उम्र में अपने पिता के साथ मुंबई आ गए.17 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया.दो साल बाद 1858में ग्रीन एक विद्वान (स्नातक स्तर की डिग्री) बन गये.उनके जीवन के प्रमुख लक्ष्यों में एक स्टील कंपनी खोलना, एक विश्व-प्रसिद्ध अध्ययन केंद्र स्थापित करना, एक अनोखा होटल खोलना और एक जलविद्युत परियोजना स्थापित करना शामिल था.

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कहा जाता है कि जब उन्हें एक होटल से बाहर निकाल दिया गया, तो उन्होंने समुद्र तट पर मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया के सामने स्थित ताज महल होटल के रूप में भारत का सबसे भव्य होटल खोलने का फैसला किया.यह होटल 20 वीं सदी की शुरुआत में 4.21 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था.

यह भारत का पहला होटल था जिसमें बिजली, पंखा और सामने सफेद रंग की व्यवस्था थी.जमशेदजी के बेटे दुरबजी टाटा ने 1907में देश की पहली स्टील कंपनी, टाटा स्टील एंड आयरन कंपनी (टीएससीओ) खोली.यह उस समय भारत की एकमात्र कंपनी थी जो अपने कर्मचारियों को पेंशन, आवास, चिकित्सा सुविधाएं और कई अन्य सुविधाएं प्रदान करती थी.

उनके लिए एक शहर बसाया गया जो पहले बिहार प्रांत में था.अब झारखंड में है. टाटा बिजनेस ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी के नाम पर इसका नाम जमशेदपुर रखा गया.शहर की रूपरेखा भारत का पहला नियोजित शहर था जिसमें चौड़ी सड़कें और चिकित्सा सुविधाओं के साथ शैक्षणिक संस्थान और धार्मिक इमारतें थीं.

आज बेंगलुरु का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस यानी आईआईएससी दुनिया के मशहूर संस्थानों में से एक है.उन्होंने इसकी स्थापना का सपना देखा था. इसके लिए उन्होंने अपनी आधी से ज्यादा संपत्ति दान कर दी, जिसमें मुंबई की 14इमारतें और चार संपत्तियां शामिल थीं.

कैंसर रोगियों के लिए विश्व प्रसिद्ध टाटा मेमोरियल अस्पताल मुंबई में स्थित है.इसके अलावा देशभर के कई शैक्षणिक संस्थानों और खेल क्षेत्र में भी टाटा की सहायता शामिल है.1869 में, उन्होंने बॉम्बे के चिंचपोकली में एक दिवालिया तेल मिल खरीदी और इसे एक कपास मिल में बदल दिया. इसका नाम बदलकर एलेक्जेंड्रा मिल रखा.दो साल बाद मिल को अच्छे मुनाफे पर बेच दिया.

1874 में उन्होंने डेढ़ लाख रुपये की लागत से सेंट्रल इंडिया स्पिनिंग, वीविंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी नाम से एक नया व्यवसाय शुरू किया.तीन साल बाद, 1जनवरी 1877को, रानी विक्टोरिया को भारत की महारानी घोषित किया गया.साथ ही उन्होंने नागपुर में एम्प्रेस मिल्स की स्थापना की.

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1892 में, उन्होंने जेएन टाटा एंडोमेंट की स्थापना की, जिसने भारतीय छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया.उन्होंने हीराबाई दाबू से शादी की, जिनसे उनके दो बच्चे दुरबजी और रतनजी हुए.बाद में टाटा ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ के अध्यक्ष बने.उनकी मृत्यु 19मई, 1904 को जर्मनी के बैड नोहेम में हुई.उन्हें इंग्लैंड के पारसी कब्रिस्तान में दफनाया गया.

भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन ने टाटा के बारे में कहा: 'जहां कई लोगों ने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने और आजादी की सुबह की ओर बढ़ने के लिए काम किया, वहीं टाटा ने आजादी के बाद जीवन का सपना देखा.काम किया.' टाटा ने बेहतर जीवन और आर्थिक स्वतंत्रता के लिए काम किया.

यहां तक ​​कि ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्जन ने भी कहा था कि 'वर्तमान पीढ़ी के किसी भी भारतीय ने भारत के वाणिज्य और उद्योग के लिए इतना काम नहीं किया है'.आज जमशेदजी और नौशिरवानजी टाटा के सपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में परिलक्षित होते हैं.