हिंदुस्तान के हुनरमंद - 7: भिंडी बाजार के कासिम भाई के हाथ फेरते ही बज उठते हैं कार के हाॅर्न

Story by  शाहताज बेगम खान | Published by  [email protected] | Date 09-03-2023
हिंदुस्तासन के हुनरमंद - 7: भिंडी बाजार के कासिम भाई के हाथ फेरते ही बज उठते हैं कार के हाॅर्न
हिंदुस्तासन के हुनरमंद - 7: भिंडी बाजार के कासिम भाई के हाथ फेरते ही बज उठते हैं कार के हाॅर्न

 

शाहताज खान
 
दक्षिणी मुंबई के भिंडी बाजार में मटन स्ट्रीट मोहम्मद अली रोड के पास चोर बाज़ार है. इस चोर बाज़ार के करीब पहुंचते पहुंचते विभिन्न प्रकार की मिली जुली आवाज़ों का एक शोर कान से टकराने लगता है. इन्हीं आवाज़ों के बीच रह रह कर हॉर्न की तीखी और तेज़ आवाज़ चौंकाती है. शोर को चीरती हुई यह प्रखर आवाज़ " क़ासिम भाई हॉर्न वाला" की दुकान से आती है.

क़ासिम भाई हॉर्न वाला

जब क़ासिम भाई हॉर्न वाला केवल आठ साल के थे तब से उन्होंने हॉर्न बनाने और उसकी मरम्मत करने का काम सीखना शुरू किया. अब वह 75वर्ष के हो चुके हैं. चीखते चिंघाड़ते हॉर्न सड़कों पर लोगों को रास्ता देने के लिए सतर्क करते हैं तो यही हॉर्न चोर बाज़ार में क़ासिम भाई की दुकान तक पहुंचने के लिए जी पी एस का काम करते हैं. ग्राहक को क़ासिम भाई की दुकान का पता किसी से पूछने की अवश्यकता नहीं होती.

 

क़ासिम भाई की दुकान पर 100साल से भी ज्यादा पुराने हॉर्न मौजूद हैं. वो किसी भी हॉर्न की मरम्मत कर सकते हैं. अब उनके दो बेटे भी यह हुनर सीख कर उनका हाथ बटाते हैं. कई कारीगरों और अपने बेटों के साथ क़ासिम भाई ग्राहकों के बीच हर रोज़ बैठे नज़र आएंगे.

क़ासिम भाई कहते हैं कि एक ज़माने में पानी के जहाज़ के हॉर्न भी उनके पास मरम्मत के लिए आते थे लेकिन अब वो सिलसिला खत्म हो गया है.

लेकिन अब भी लोग छोटे बड़े हॉर्न खरीदने और ठीक कराने उनके पास आते हैं. वो याद करते हैं कि उनके पास से बहुत से लोगों ने काम सीखा और फिर मुंबई के दूसरे इलाकों में अपनी दुकानें खोल कर रोज़ी रोटी कमा रहे हैं. क़ासिम भाई बताते हैं कि उनकी यह दुकान 50साल से भी ज्यादा समय से हॉर्न के लिए एक जाना माना नाम है. क्योंकि यहां सस्ता, अच्छा और टिकाऊ काम होता है. तो लोग खिंचे चले आते हैं.

ज़रा हट के ज़रा बच के

जॉन रिचर्ड डेडिकोट ने साइकल बैल 1877में बनाई. जिसने साइकल सवार और साथ ही सड़क पर चलने वाले लोगों की भी सहायता की. पहले honk और अब beep की आवाज़ें सड़कों पर होने वाले हादसों को टालने में सहायक होती हैं. अगर आप रोज़ बाइक पर सवार होकर ऑफिस जाते हैं,सुरक्षित और समय पर ऑफिस पहुंचना चाहते हैं तो यूनीक आवाज़ वाले हॉर्न रास्ता साफ़ करने में बहुत काम आते हैं.

अगर कहीं आपका ज़रूरी, महंगा और यूनीक हॉर्न ख़राब हो जाए तो चोर बाज़ार में क़ासिम भाई हॉर्न वाला बाइक का हॉर्न ठीक कर देते हैं और आप को बार बार ब्रेक लगाने की अवश्यकता नहीं पड़ती वरना मुंबई की सड़कों के ट्रैफिक में अपनी मंज़िल तक सही सलामत पहुंचना आसान नहीं है. हॉर्न की आवाज़ रफ़्तार भले ही न बढ़ा सके लेकिन किसी हादसे को टालने में ज़रूर सहायता करती है.

क़ासिम भाई की दुकान रंग बिरंगे, नए पूराने हर तरह के हॉर्न से भरी हुई है. क़ासिम भाई कहते हैं कि अभी भी लोग अपनी गाड़ियों के हॉर्न की मरम्मत कराते हैं. हालांकि अधिकतर लोग पुराने हॉर्न के बदले अब नया हॉर्न लेना अधिक पसंद करते हैं. क्योंकि हमारी दुकान में सस्ते और टिकाऊ हॉर्न बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं.

नाम में क्या रखा है

भिंडी बाजार के इस अनोखे नाम का किसी भिंडी सब्ज़ी से कोई लेना देना नहीं है. अंग्रेज़ों के ज़माने में इस जगह को" बिहाइंड द बाज़ार" के नाम से जाना जाता था. जो धीरे धीरे मुंबईया ज़बान में भिंडी बाजार हो गया.

इसी तरह चोर बाज़ार में आम तौर पर चोरी का सामान नहीं बल्कि सेकंड हैण्ड और वो भी सस्ता सामान मिलता है. अगर किसी की जेब में पैसे कम हैं तो वो इस बाज़ार का रुख करता है. चोर बाज़ार में अधिकतर मुसलमानों की दुकानें हैं. कई दुकानें बंद हो गई हैं और कुछ ने अपना कारोबार बदल लिया है लेकिन फिर भी यहां पर पुरानी दुकानें आज भी मौजूद हैं.

इन चंद पुरानी दुकानें में से क़ासिम भाई हॉर्न वाला की दुकान भी एक है. न जगह बदली, न हॉर्न बनाने का काम और न ही हॉर्न बनाने और मरम्मत करने वाला उस्ताद.

चोर बाज़ार मुंबई का एक जाना माना नाम है. यहां से अच्छा और सस्ता सामान खरीदना संभव है बस यह ग्राहक पर निर्भर करता है कि वह बार्गेनिंग में कितना माहिर है और उसकी नज़र कितनी पारखी है.

वरना संभव है कि फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ जाए. यह बताते चलें कि प्राचीन और विंटेज सामान, झूमर, पुराने कैसेट और वीडियो टेप, पुराने ज़माने के रेडियो, ग्रामोफोन, लकड़ी का सामान, फर्नीचर, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक सामान, एंटीक औपनिवेशिक युग के लैंप, कांच के लैंप और भी बहुत कुछ इस बाज़ार में ग्राहकों के आकर्षण का केंद्र है.

हर सामान की कई दुकानें मिलेंगी लेकिन जब हॉर्न की बात आती है तो केवल "क़ासिम भाई हॉर्न वाला "की ही दुकान चोर बाज़ार में जानी मानी दुकान समझी जाती है. जो थोड़ी थोड़ी देर में हॉर्न की कभी हल्की तो कभी तीखी आवाज़ से अपने होने का आभास कराती रहती है.