रिंकू सिंह नहीं बनते स्टार, अगर नहीं मिलता जीशान और अमीनी का साथ

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 05-10-2025
रिंकू सिंह की बहन नेहा सिंह और मोहम्मद जीशान
रिंकू सिंह की बहन नेहा सिंह और मोहम्मद जीशान

 

मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली

अलीगढ़ की तंग गलियों से लेकर कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) और भारतीय क्रिकेट टीम के ड्रेसिंग रूम तक का रिंकू सिंह का सफ़र किसी प्रेरणादायक फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है. यह कहानी है असाधारण प्रतिभा, अटूट संकल्प और दो मुस्लिम दोस्तों के अहम् योगदान की, जिन्होंने गैस सिलेंडर ढोने वाले पिता के  लड़के को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का 'फ़िनिशर' बना दिया.

नेहा सिंह, इंडियन क्रिकेटर रिंकू सिंह की इकलौती और छोटी बहन हैं. ऊपर दी गई तस्वीर में, जिस दाढ़ी वाले शख्स को वह राखी बांध रही हैं और 'जीशान भाई' कहकर पुकारती हैं, वह हैं मोहम्मद जीशान. यह जानकर आश्चर्य होगा कि अगर मोहम्मद जीशान और रिंकू के प्रारंभिक कोच मसूद उज़ ज़फर अमीनी इस परिवार का हिस्सा न होते, तो शायद रिंकू सिंह आज इतने बड़े क्रिकेटर न होते.

दोस्ती का अटूट बंधन: जीशान भाई का निस्वार्थ प्रेम

रिंकू सिंह के पिता गोविला गैस गोदाम में सिलेंडर डिलीवरी का काम करते थे और महीने के महज़ दो हज़ार रुपये कमाते थे. पाँच भाई-बहनों वाले बड़े परिवार की आर्थिक तंगी ने एक समय रिंकू को क्रिकेट छोड़ने और सफाई का काम करने के लिए मजबूर कर दिया था. उस समय रिंकू की उम्र लगभग बारह वर्ष थी, जब उनके पिता ने परिवार को चलाने के लिए उन्हें काम पर लगने का अल्टीमेटम दे दिया.

इसी निर्णायक मोड़ पर, रिंकू के बचपन के दोस्त मोहम्मद जीशान एक फ़रिश्ते बनकर सामने आए. एनडीटीवी के खेल पत्रकार बताते हैं कि जीशान ने न केवल रिंकू के पिता को मनाया कि वह उसे क्रिकेट खेलने दें, बल्कि उन्होंने अपने बचपन की बचत से रिंकू का सारा खर्च उठाना शुरू कर दिया.

पत्रकार एक मार्मिक किस्सा साझा करते हैं, " एक स्कूल टूर्नामेंट के लिए दोनों कानपुर गए. वहाँ रिंकू सिंह के रजिस्ट्रेशन की कॉपी खो गई और आयोजकों ने उन्हें खेलने से मना कर दिया. रिंकू के खेलने के लिए जीशान इस कदर आतुर थे कि उन्होंने आयोजकों के सामने हाथ जोड़ दिए और जैसे-तैसे उन्हें खेलने के लिए राज़ी कर लिया.

ऐसे अनगिनत किस्सों से रिंकू सिंह का शुरुआती क्रिकेट जीवन भरा पड़ा है. यही वजह है कि जब रिंकू को कोलकाता नाइट राइडर्स ने खरीदा, तो उनकी बहन नेहा सिंह ने फ़ेसबुक पर तस्वीर साझा करते हुए भावपूर्ण ढंग से लिखा कि " यह जीशान भाई ही हैं, जिन्होंने उन्हें कोलकाता नाइट राइडर्स तक का सफ़र कराया. रिंकू का परिवार अपने हर छोटे-बड़े इवेंट में "जीशान भाई" को शामिल करता है, क्योंकि मोहम्मद जीशान के बिना रिंकू सिंह की कहानी अधूरी है.

कोच अमीनी: प्रतिभा के पारखी और निःशुल्क शिक्षा

रिंकू सिंह के करियर को तराशने में दूसरे अहम मुस्लिम शख्सियत हैं उनके प्रारंभिक कोच मसूद उज़ ज़फर अमीनी. अमीनी ने रिंकू के टैलेंट को तुरंत पहचान लिया और उसकी आर्थिक तंगी को देखते हुए उसे मुफ़्त में कोचिंग देना शुरू कर दिया.अंग्रेजी पत्रिका आउटलुक से बातचीत में कोच अमीनी ने रिंकू के गरीबी से स्टार बनने तक की प्रेरणादायक कहानी बयान की.

dकोच अमीनी की जुबानी:

  • "मैं अलीगढ़ स्पोर्ट्स स्टेडियम में कोच था. रिंकू लगभग 12 साल पहले मेरे पास आया था. वह हमेशा मैदान पर आता था और ट्रेनिंग देखता था. मैंने उसे एक-दो बार खेलते देखा और उसे कोचिंग जॉइन करने के लिए कहा.रिंकू एक गरीब परिवार से था. उसके पिता एलपीजी डिलीवरी का काम करते थे और आज भी वही करते हैं. उसके पिता को उसका खेलना बिल्कुल पसंद नहीं था . वह अक्सर उसे डाँटते भी थे. वह चाहते थे कि रिंकू पढ़ाई करे.रिंकू हमेशा कहते थे, "मुझे पढ़ाई पसंद नहीं है, मैं सिर्फ़ क्रिकेट खेलूँगा." कोच उन्हें समझाते थे कि दोनों ज़रूरी हैं, लेकिन रिंकू का जुनून अटल था.

  • अमीनी ने रिंकू में 'मैच फ़िनिश करने' की असाधारण क्षमता देखी. उनका शांत और सकारात्मक स्वभाव उन्हें विशेष बनाता था. "जब वह बल्लेबाजी करने जाते, तो स्थिति का अच्छी तरह आकलन करते और उसके अनुसार बल्लेबाजी करते. रिंकू ने शुरुआत से ही अच्छा प्रदर्शन किया. आगरा में यूपी अंडर-16 के लिए अपने पहले ही मैच में उन्होंने 150 से ज़्यादा रन बनाए, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह यूपी अंडर-19, फिर रणजी ट्रॉफी और अंततः आईपीएल में जगह बनाने में कामयाब रहे.

  • अमीनी बताते हैं कि वह सरकारी स्टेडियम में छात्रों से कोई फ़ीस नहीं लेते थे. आज, उनकी अपनी अकादमी में बच्चों की संख्या रिंकू के प्रभाव के कारण दोगुनी है.

कड़ी मेहनत और धैर्य का फल

कोच अमीनी खिलाड़ियों और अभिभावकों को कड़ी मेहनत और धैर्य रखने की सलाह देते हैं. वह बताते हैं कि क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा बहुत बड़ी है, और सफल होने के लिए असाधारण होना ज़रूरी है.

रिंकू ने इसका साक्षात उदाहरण पेश किया. आईपीएल में लंबे समय तक वह बेंच पर बैठे रहे, लेकिन उन्होंने धैर्य बनाए रखा और अपने खेल व फ़िटनेस पर काम करते रहे. 10-12 साल के संघर्ष के बाद, वह बड़े मंच पर पहुँचे.

रिंकू का यह संघर्ष अब रंग ला रहा है. उनका परिवार अब गैस गोदाम के सर्वेंट क्वार्टर से निकलकर ओज़ोन सिटी के द गोल्डन एस्टेट में 500 वर्ग गज की कोठी में शिफ़्ट हो चुका है.

रिंकू अब अलीगढ़ में युवा खिलाड़ियों के लिए एक हॉस्टल भी बनवा रहे हैं, जिसका 90% काम पूरा हो चुका है. यह उनकी उसी भावना को दर्शाता है कि वह उन युवा खिलाड़ियों की मदद करना चाहते हैं, जिनके पास कभी साधन नहीं थे.

dपाँच छक्के जिसने इतिहास रचा 

वर्ष 1998 में जन्मे रिंकू सिंह ने 11 वर्ष की उम्र (2009) में बल्ला थामा. 2012 में यूपी की अंडर-16 और 2013 में अंडर-19 टीम में चयन हुआ. 2016 में रणजी टीम में आए.

  • पहला आईपीएल ब्रेक (2017): किंग्स इलेवन पंजाब ने 10 लाख में खरीदा.

  • दूसरा आईपीएल ब्रेक (2018): कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) ने 80 लाख में खरीदा.

  • ऐतिहासिक पल (9 अप्रैल 2023): गुजरात टाइटंस के खिलाफ़ आखिरी ओवर में यश दयाल को लगातार पाँच छक्के लगाकर KKR को अविश्वसनीय जीत दिलाई. यह पल आईपीएल के इतिहास में दर्ज हो गया और रिंकू को रातोंरात पूरे देश का चहेता बना दिया.

  • राष्ट्रीय टीम में चयन: इसी वर्ष उनका भारत की T20 टीम में चयन हुआ और नवंबर 2023 में साउथ अफ़्रीका के विरुद्ध T20 और वन-डे टीम में जगह बनाकर उन्होंने अपना सपना पूरा किया.

उनकी कड़ी मेहनत और दो निस्वार्थ मुस्लिम दोस्तों—मोहम्मद जीशान और कोच मसूद उज़ ज़फर अमीनी—के समर्थन का फल है अलीगढ़ का यह सितारा, जिसने गरीबी की बेड़ियाँ तोड़ीं, अब भारतीय क्रिकेट के शिखर पर अपनी चमक बिखेर रहा है.