राजस्थान का कायमखानी खानदान: शिक्षा और देशसेवा का चलता-फिरता विश्वविद्यालय

Story by  फरहान इसराइली | Published by  [email protected] | Date 04-10-2025
एक परिवार, एक विरासत, अनेक प्रेरणाएं
एक परिवार, एक विरासत, अनेक प्रेरणाएं

 

मोहम्मद फरहान इसराइली /जयपुर

 राजस्थान, जिसे बहादुरी और शौर्य की धरती कहा जाता है, वह सिर्फ अपने किलों और रेगिस्तानी नज़ारों के लिए ही नहीं, बल्कि उन व्यक्तियों के लिए भी जाना जाता है जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन और देशसेवा से इस राज्य का नाम रोशन किया है.

ऐसा ही एक समुदाय है कायमखानी, जिसका इतिहास करीब 668 साल पुराना है. इसी समुदाय के एक परिवार ने राजस्थान के झुंझुनूं जिले के नुआ गांव से निकलकर प्रशासनिक सेवाओं और भारतीय सेना में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. यह परिवार अपनी सेवा और समर्पण की कहानी से देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है.

इस परिवार के 12 सदस्यों ने IAS, IPS, RAS, IRS, और सेना में ब्रिगेडियर व कर्नल जैसे उच्च पदों पर कार्य किया है. इनमें बेटे, बेटियां, भतीजे, बहुएं और दामाद शामिल हैं, जो लियाकत अली खान की सरसब्ज़ विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

dलियाकत अली खान: एक युग की नींव

इस पूरे परिवार को राह दिखाने वाले बड़े भाई और मार्गदर्शक, राजस्थान के जुझारू, सुलझे हुए और दूरदर्शी अफसरों में गिने जाने वाले लियाकत अली खान का नाम आज भी लोगों की जुबान पर इज़्ज़त और इल्म के साथ लिया जाता है.

लियाकत खान इस परिवार की नींव हैं. उन्होंने नुआ गांव में हायर सेकेंडरी स्कूल के पहले बैच के छात्र के रूप में अपनी पढ़ाई शुरू की और अपनी मेहनत से IPS तक का सफर तय किया. वह 1972 में राजस्थान पुलिस सेवा (RPS) में चयनित हुए और बाद में IPS में प्रोमोट हुए. उनके पिता का नाम हयात मोहम्मद खां था, जो सेना की कैवेलरी में थे, और जिन्होंने अपने सभी बेटों को शिक्षा और खिदमत (सेवा) का रास्ता दिखाया।

लियाकत अली ने अपनी पुलिस सेवा की शुरुआत एक जिम्मेदार और ईमानदार अफसर के रूप में की थी. उन्होंने अपने कार्यकाल में कानून व्यवस्था के मोर्चे पर कई अहम चुनौतियों का सामना करते हुए जनता का विश्वास जीता. उनकी छवि एक सख्त लेकिन न्यायप्रिय अधिकारी की थी, जिन्होंने सेवा में रहते हुए कभी भी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया. वे साल 2006 में पुलिस महानिरीक्षक (IG) के पद से सेवानिवृत्त हुए.

सेवानिवृत्ति के बाद भी उनकी सेवा जारी रही. 28 दिसंबर 2010 को अशोक गहलोत सरकार ने उन्हें राजस्थान वक्फ बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया, यह कार्यकाल 25 नवंबर 2015 तक चला. इस दौरान उन्होंने राज्य भर की वक्फ संपत्तियों की स्थिति सुधारने, पारदर्शिता लाने और मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा के लिए कई अहम कदम उठाए.

fउन्होंने वक्फ संपत्तियों की लिस्टिंग, रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन और विवादों के समाधान की दिशा में ठोस काम किया, जिसे मुस्लिम समुदाय ने एक सुनहरे दौर के रूप में याद किया.8 जनवरी 2020 को उनके इंतकाल की खबर ने प्रदेश भर के अफसरों, समाजसेवियों और मुस्लिम समुदाय को गमगीन कर दिया था.

उनके निधन के बाद भी उनकी विरासत परिवार और समुदाय में जीवित है. वह न केवल खुद एक प्रेरणा थे, बल्कि उनका पूरा परिवार प्रशासनिक सेवा में अनुकरणीय मिसाल बना हुआ है.उनके पांच बेटों में से तीन आज भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी हैं.

वह RAS अधिकारी शाहीन अली खान के पिता थे और हनुमानगढ़ के तत्कालीन कलेक्टर जाकिर हुसैन तथा पूर्व दौसा कलेक्टर अशफाक हुसैन के भाई थे. उनकी याद आज भी राजस्थान में एक ईमानदार अफसर, मजबूत नेतृत्वकर्ता और समाज के सच्चे खिदमतगार के रूप में ताज़ा है.

परिवार की विरासत को आगे ले जाती IRS फराह हुसैन

fफराह हुसैन, जिन्हें फराह खान के नाम से भी जाना जाता है, इस परिवार की सबसे चर्चित सदस्यों में से एक हैं. वह अपने चाचा लियाकत खान और पिता अशफाक हुसैन की परंपरा को आगे ले जा रही हैं. 2016 में, मात्र 26 वर्ष की उम्र में, उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा में 267वीं रैंक हासिल कर IRS बनने का गौरव प्राप्त किया.

यह उनकी दूसरी कोशिश थी, और खास बात यह है कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग के यह सफलता हासिल की. फराह राजस्थान की दूसरी मुस्लिम महिला हैं जिन्हें इस स्तर की सफलता मिली.फराह का जन्म झुंझुनूं जिले के नुआ (नावा) गांव में हुआ था.

उनकी शुरूआती शिक्षा जोधपुर के सोफिया स्कूल में हुई, और इसके बाद उन्होंने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से 5 साल का इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स पूरा किया. पढ़ाई के दौरान, वह अपनी बैच की एकमात्र छात्रा थीं जिन्हें प्रसिद्ध वकील महेश जेठमलानी की टीम में काम करने का अवसर मिला.

इसके बाद, उन्होंने कुछ समय तक क्रिमिनल वकील के रूप में भी काम किया. हालांकि, फराह की शुरुआती रुचि मेडिकल क्षेत्र और ब्यूटी पेजेंट्स में थी, लेकिन उनके परिवार की सेवा की परंपरा ने उन्हें सिविल सेवाओं की ओर आकर्षित किया। 2015 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने कुल 901 अंक प्राप्त किए। वर्तमान में वह जोधपुर में तैनात हैं.

फराह ने एक साक्षात्कार में कहा था, "मुझे खुशी है कि मैं एक शिक्षित परिवार में पैदा हुई. मेरे पिताजी हमेशा कहते थे कि जो व्यक्ति कुछ बड़ा हासिल करना चाहता है, उसे सबसे पहले शिक्षा हासिल करनी चाहिए. शिक्षा ही असली संपत्ति है और इसकी मदद से व्यक्ति ऊँचाइयों तक पहुंच सकता है."

उन्होंने मुस्लिम माता-पिता से अपनी बेटियों की शिक्षा पर ध्यान देने का आग्रह किया. फराह हुसैन की उपलब्धि न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे कायमखानी समुदाय के लिए गर्व का विषय है.

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क़मर-उ-लज़मां चौधरी

प्रशासनिक सेवा में परिवार का अनुकरणीय योगदान (कुल 12 सदस्य)

लियाकत खान की शुरुआत से लेकर फराह की उड़ान तक, परिवार के प्रत्येक सदस्य ने शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और अपनी मेहनत के दम पर उच्च पद हासिल किए. यह परिवार गांव के अन्य परिवारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है:

 
नाम पद/सेवा मुख्य योगदान
लियाकत अली खान IPS (सेवानिवृत्त), पूर्व RPS परिवार की नींव, राजस्थान पुलिस में IG पद से सेवानिवृत्त, वक्फ बोर्ड चेयरमैन.
अशफाक हुसैन IAS (सेवानिवृत्त) लियाकत खान के छोटे भाई, RAS से IAS में प्रोन्नत (2016), दौसा कलेक्टर, अजमेर दरगाह नाजिम रहे.
जाकिर खान IAS लियाकत और अशफाक से प्रेरित, सीधे 2018 में IAS चयनित, श्रीगंगानगर कलेक्टर रहे.
फराह हुसैन IRS अशफाक हुसैन की बेटी, राजस्थान की दूसरी मुस्लिम महिला IRS (2016 में 267वीं रैंक), जोधपुर में तैनात.
शाहीन अली खान RAS लियाकत खान के बेटे, वरिष्ठ RAS अधिकारी, वर्तमान में CMO, पूर्व CM अशोक गहलोत के OSD रहे.
मोनिका DIG (जेल) शाहीन अली खान की पत्नी, जेल अधीक्षक के रूप में करियर शुरू किया, वर्तमान में जयपुर में DIG (जेल).
शाकिब खान ब्रिगेडियर, भारतीय सेना लियाकत खान के भतीजे, वर्तमान में हिसार में ब्रिगेडियर के पद पर तैनात, सैन्य सेवाओं में उत्कृष्ट योगदान.
इशरत खान कर्नल, भारतीय सेना शाकिब खान की बहन, 17 साल पहले लेफ्टिनेंट कर्नल बनीं और अब कर्नल के पद पर पदोन्नत.
सलीम खान RAS लियाकत खान के भतीजे, जयपुर में शिक्षा विभाग में उप सचिव, जयपुर नगर निगम और मदरसा बोर्ड में सचिव रहे.
सना खान RAS सलीम खान की पत्नी, RMSA में RAS अधिकारी के रूप में जयपुर में तैनात, शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय.
क़मर-उ-लज़मां चौधरी IAS फराह खान के पति (जम्मू-कश्मीर मूल के), राजस्थान कैडर के IAS अधिकारी, वर्तमान में जोधपुर में कार्यरत.
जावेद खान RAS सलीम खान के साले, पूर्व में मंत्री सालेह मोहम्मद के निजी सचिव के रूप में कार्यरत रहे.


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