एक छोटे अंतराल के बाद, आवाज द वॉयस अपनी चर्चित 'द चेंज मेकर्स' सीरीज़ के साथ एक बार फिर हाज़िर है. इस बार, हम आपके सामने छत्तीसगढ़ की 10 ऐसी कहानियाँ प्रस्तुत कर रहे हैं जो अपने काम, जुझारूपन और नए प्रयासों से लगातार न केवल अपने प्रदेश के लिए उदाहरण बन रहे हैं, बल्कि उनके कार्य अनगिनत लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं. ये 10 शख्सियतें छत्तीसगढ़ के समाज के विभिन्न क्षेत्रों—कला, राजनीति, शिक्षा, विज्ञान, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा—में एक मिसाल कायम कर रही हैं.
करण खान: छत्तीसगढ़ी सिनेमा में परंपरा और आधुनिकता का अनूठा मिश्रण
करण खान, जिन्हें स्थानीय बोली में एक सच्चा सुपरस्टार माना जाता है, छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग, जिसे लोकप्रिय रूप से "छॉलीवुड" के नाम से जाना जाता है, के प्रमुख अभिनेताओं में से एक हैं. उनका काम सिर्फ फीचर फिल्मों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि संगीत एल्बम, वीडियो गाने और लाइव सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक फैला हुआ है. पिछले कुछ वर्षों में, वह सैकड़ों छत्तीसगढ़ी गानों और एल्बमों में दिखाई दिए हैं—जिनमें से कई यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्म पर वायरल हुए हैं, जैसे कि 'डिक्टो करण खान मोना सेन' एल्बम.
सैयद ताहिर अली के रूप में जन्मे करण खान ने जानबूझकर सिनेमा से परे संगीत वीडियो तक अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है, जिससे उनकी पहुँच और प्रशंसक आधार बढ़ा है. वह क्षेत्रीय फिल्म दृश्य में उत्पादन की गुणवत्ता को उन्नत करने के मुखर समर्थक रहे हैं. उनकी आगामी फिल्म की शूटिंग एरी एलेक्सा पर की जा रही है, यह एक पेशेवर-ग्रेड कैमरा है जो छत्तीसगढ़ी प्रस्तुतियों में शायद ही कभी देखा जाता है, क्योंकि यहाँ आमतौर पर सीमित बजट और उच्च-स्तरीय तकनीक तक सीमित पहुँच होती है. खान बदलती दर्शकों की अपेक्षाओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए परंपरा को आधुनिक प्रस्तुति के साथ संतुलित करते हैं.
मीर अली मीर की छत्तीसगढ़ी कविता ने बनाई अनूठी पहचान
जिस क्षण आप ये पंक्तियाँ सुनते हैं — “नंदा जाही का रे… कमरा औ खुमरी, अराई तुतारी…” — एक नाम तुरंत दिमाग में आता है: कवि और गीतकार मीर अली मीर. उनका वास्तविक नाम सैयद अय्यूब अली मीर है, लेकिन साहित्य की दुनिया में उन्हें मीर अली मीर के नाम से जाना जाता है. सरल शब्दों में गहन सच्चाइयों को व्यक्त करने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाने वाले, उनकी ग़ज़लें प्रेम, लालसा और जीवन के विरोधाभासों को दर्शाती हैं, जबकि उनकी छत्तीसगढ़ी रचनाएँ लोक जीवन की सुगंध से भरी हुई हैं.
छत्तीसगढ़ हमेशा से साहित्य, कला और संस्कृति के लिए एक उपजाऊ भूमि रहा है. इस विरासत को जारी रखते हुए, प्रसिद्ध कवि, शायर और गीतकार मीर अली मीर को बहुत सम्मान दिया जाता है. उनके लेखन न केवल छत्तीसगढ़ी भाषा के गौरव को मजबूत करते हैं, बल्कि आम लोगों के दर्द, संघर्षों और संवेदनशीलता को भी आवाज़ देते हैं. 15 मार्च 1953 को कवर्धा में जन्मे मीर अली मीर उन लेखकों में से हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध किया और उसे एक नई पहचान दी. वह आज न केवल एक कवि हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ी साहित्य के एक अथक प्रमोटर भी हैं, जो युवा पीढ़ियों को इस क्षेत्र की कविता और शायरी से जोड़ने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. उन्होंने अपनी साहित्यिक यात्रा शुरू करने से पहले बी.ए. और सी.पी.एड. की डिग्री प्राप्त की. उनके माता-पिता सैयद रहमत अली मीर और सैयद शरीफा बानो थीं.
एजाज़ ढेबर ने स्वच्छता सर्वेक्षण में रायपुर को दिलाई रैंक
छत्तीसगढ़ की राजनीति में जब भी बदलाव और समावेश की कहानी सुनाई जाएगी, तो एजाज़ ढेबर का नाम प्रमुखता से लिया जाएगा. वह सिर्फ एक महापौर नहीं थे, बल्कि संघर्ष, प्रतिबद्धता और धर्मनिरपेक्ष राजनीति के प्रतीक थे. एजाज़ ढेबर का जन्म रायपुर के पुराने इलाके मौलाना अब्दुल रऊफ वार्ड में एक साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता की एक छोटी सी दुकान थी, और एजाज़ को अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए घर चलाने में मदद करनी पड़ती थी.
वह अक्सर कहते हैं, "मेरी परिस्थितियों ने मुझे रोका नहीं; उन्होंने मुझे आगे बढ़ाया." जनवरी 2020 में, एजाज़ ढेबर रायपुर नगर निगम के महापौर चुने गए. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी मृत्युंजय दुबे को 29 वोटों के मुकाबले 41 वोट से हराकर जीत हासिल की. वह कहते हैं, "मैंने कभी खुद को किसी एक धर्म का प्रतिनिधि नहीं माना."
उनके नेतृत्व को मान्यता देते हुए, उन्हें अखिल भारतीय महापौर परिषद का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया—यह पद पाने वाले वह छत्तीसगढ़ के पहले महापौर हैं. उनका युवाओं के लिए संदेश है: "अपनी शक्ति को नफरत और नकारात्मकता में बर्बाद न करें. आज की राजनीति और समाज दोनों को रचनात्मक और नवोन्मेषी युवाओं की आवश्यकता है."
डॉ. सलीम राज द्वारा छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड का पुनर्गठन
हाल के वर्षों में, छत्तीसगढ़ की अल्पसंख्यक राजनीति और सामाजिक सुधार आंदोलन में कुछ ही हस्तियाँ प्रमुखता से उभरी हैं - डॉ. सलीम राज उनमें से एक हैं. भारतीय जनता पार्टी के लंबे समय से सदस्य रहे राज, आज छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के निर्विरोध अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं, यह पद कैबिनेट मंत्री के दर्जे का है.
उनका उदय केवल राजनीतिक सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो धार्मिक संस्थानों को विवादों के केंद्र से बदलकर सामाजिक और राष्ट्रीय विकास के इंजन में बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित है. जैसा कि वह अक्सर कहते हैं, "धार्मिक संस्थान विवादों के केंद्र नहीं, बल्कि देश की प्रगति में भागीदार होने चाहिए." डॉ. राज की यात्रा 1992 में शुरू हुई जब वह भाजपा में शामिल हुए. दशकों से वह धीरे-धीरे आगे बढ़े, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सेवा की. 2016 से 2020 के बीच, उन्होंने पार्टी के राज्य अल्पसंख्यक मोर्चा की अध्यक्षता की, जहाँ उन्होंने पहुँच और आम सहमति बनाने के लिए एक प्रतिष्ठा स्थापित की.
तौकीर रज़ा: बहुमुखी व्यक्तित्व वाले एक सुलभ राजनेता
तौकीर रज़ा राजनीतिक सक्रियता, उद्यमशीलता, खेल भावना और सांस्कृतिक खोज के दुर्लभ मिश्रण का प्रतीक हैं—जो छत्तीसगढ़ के सार्वजनिक जीवन में समर्पण का एक मॉडल हैं. उन्हें व्यापक रूप से भाजपा के राज्य प्रवक्ता, एक तीखे वाद-विवादकर्ता, एक सफल उद्यमी, खेल और संगीत उत्साही, और एक प्रतिबद्ध समाज सेवक के रूप में पहचाना जाता है.
जो बात उन्हें अलग करती है, वह है समाज, राजनीति और व्यवसाय को समान प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाने की उनकी क्षमता. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें युवाओं को मुख्यधारा के समाज में एकीकृत करने पर विशेष ध्यान दिया गया है. 15 सितंबर 1973 को एक साधारण परिवार में जन्मे तौकीर रज़ा ने कम उम्र से ही नेतृत्व के गुण प्रदर्शित किए और अपनी पढ़ाई के साथ-साथ, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. आज, वह तीनों क्षेत्रों में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं, और अपने सुलभ स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, वह जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए समान रूप से आसानी से उपलब्ध हैं.
डॉ. शम्स परवेज़ – छत्तीसगढ़ में वायु गुणवत्ता के सच्चे प्रहरी
प्रोफेसर डॉ. शम्स परवेज़ छात्रों का मार्गदर्शन कर रहे हैं और वैज्ञानिक कठोरता को सामाजिक जिम्मेदारी के साथ मिश्रित करने वाले दृष्टिकोण के साथ जनता का मार्गदर्शन कर रहे हैं. वायु प्रदूषण, पर्यावरणीय स्वास्थ्य और रसायन विज्ञान में विशेषज्ञता रखने वाले डॉ. परवेज़, छत्तीसगढ़ के उन गिने-चुने वैज्ञानिकों में से हैं जिन्होंने अकादमिक अनुसंधान को सफलतापूर्वक सामाजिक आवश्यकताओं से जोड़ा है.
रायपुर और आस-पास के क्षेत्रों में बदलती वायु गुणवत्ता पर उनके व्यापक अध्ययनों ने नीति निर्माताओं को हस्तक्षेपों को तैयार करने के लिए एक मजबूत वैज्ञानिक आधार प्रदान किया है. डॉ. परवेज़ का व्यक्तित्व उनकी सादगी, वैज्ञानिक कठोरता और छात्रों के प्रति समर्पण से परिभाषित होता है. वह पर्यावरण संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ के अकादमिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण हस्ती हैं. उनका शोध कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ है, जो राज्य की पर्यावरणीय नीतियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए वैज्ञानिक मार्गदर्शन प्रदान करता है. नासा और चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज सहित प्रतिष्ठित वैश्विक संस्थानों के साथ उनका सहयोग उनके शोध की उच्च गुणवत्ता को दर्शाता है, जिसके माध्यम से उन्होंने करोड़ों डॉलर की परियोजनाओं का नेतृत्व किया है.
डॉ. अब्बास नकवी: मानवीय स्पर्श के साथ चिकित्सा केंद्र का निर्माण
रायपुर के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में, समर्पण, ईमानदारी और सेवा की अटूट भावना के लिए एक नाम प्रमुखता से खड़ा है—डॉ. अब्बास नकवी. वह न केवल अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता के लिए, बल्कि अपनी गहरी करुणा और मानवीय स्पर्श के लिए भी जाने जाते हैं. डॉ. नकवी आज की दुनिया में उन दुर्लभ डॉक्टरों में से हैं जो अपने पेशे को केवल एक करियर नहीं, बल्कि समाज की सेवा का एक माध्यम मानते हैं.
2004 में, डॉ. नकवी ने रामकृष्ण अस्पताल की स्थापना की, जो छत्तीसगढ़ के प्रमुख मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पतालों में से एक बन गया है. वर्तमान में, वह मेडिसिन विभाग में निदेशक और सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं. मरीजों के बीच, उन्हें उनके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध एक संवेदनशील इंसान के रूप में पहचाना जाता है. रायपुर में जन्मे और पले-बढ़े डॉ. नकवी ने अपनी चिकित्सा शिक्षा पूरी करने के बाद, बड़े शहरों में अवसरों पर अपने गृह नगर को प्राथमिकता देते हुए लौटने का फैसला किया. वह प्रतिदिन हजारों मरीजों का इलाज करते हैं, आधुनिक चिकित्सा तकनीक को सहानुभूति और करुणा के साथ संतुलित करते हैं.
मोहसिन अली सुहैल की पत्रकारिता ने सकारात्मक बदलाव लाया
पत्रकारिता के बदलते परिदृश्य के बीच, हाजी डॉ. मोहसिन अली सुहैल ने इस पेशे की गरिमा, ईमानदारी और जिम्मेदारी को बरकरार रखा है. वह छत्तीसगढ़ के सबसे सम्मानित पत्रकारों में से एक हैं जो अपनी निडर, जन-केंद्रित पत्रकारिता और सत्य के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं.
वह उम्मीद करते हैं कि रिपोर्टरों की युवा पीढ़ी ईमानदारी और गहराई को बनाए रखेगी. वह सलाह देते हैं, "केवल ब्रेकिंग न्यूज़ का पीछा न करें. समाज की जड़ों में गहराई तक जाएँ. पत्रकारिता का मतलब बदलाव लाना है, और बदलाव तभी आता है जब हम सच्चाई दिखाते हैं." 7 मई 1953 को जन्मे, सुहैल ने कम उम्र से ही जिज्ञासा और सामाजिक जागरूकता प्रदर्शित की. वह याद करते हैं कि जब भी गाँव में कोई समस्या होती थी, तो उन्होंने तभी फैसला कर लिया था कि जब वह बड़े होंगे, तो अपनी आवाज़ उठाएंगे.
शमशाद बेगम: छत्तीसगढ़ की महिला कमांडो के पीछेकी प्रेरणा
पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित शमशाद बेगम इस बात का जीता-जागता प्रमाण हैं कि एक महिला का दृढ़ संकल्प पूरे समुदाय को कैसे बदल सकता है. अटूट ईमानदारी और समावेश पर ध्यान केंद्रित करते हुए, उन्होंने भारत के सबसे प्रेरणादायक जमीनी नेटवर्कों में से एक का निर्माण किया है, जो छत्तीसगढ़ में हजारों महिलाओं को सुरक्षित, अधिक आत्मनिर्भर जीवन जीने के लिए सशक्त बना रहा है. वह महिला कमांडो आंदोलन के पीछे की प्रेरणा हैं.
उनकी यात्रा बालोद के छोटे से शहर में शुरू हुई, जहाँ उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से उन बाधाओं को देखा जिनका महिलाओं को सामना करना पड़ता था. उन्होंने संकल्प लिया, "अगर मुझे कभी अवसर मिला, तो मैं महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए काम करूँगी." एक साधारण परिवार से आने वाली शमशाद ने अपनी माँ आमना बी से प्रेरणा ली, जिन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए काम और शिक्षा को संतुलित किया कि उनके सभी छह बच्चे पढ़ें. उनके प्रभाव को राष्ट्रीय स्तर पर तब पहचान मिली जब उन्हें भारत के विकास में उनकी भूमिका के लिए सम्मानित की गई 100 मुस्लिम महिलाओं की सूची में शामिल किया गया.
फैसल रिज़वी: न्याय के लिए अटूट भावना वाला एक वकील
फैसल रिज़वी ने रायपुर में एक प्रमुख आपराधिक वकील के रूप में अपना नाम बनाया है. उनके तर्क, जिरह की कला और कानूनी पेचीदगियों पर मजबूत पकड़ ने उन्हें छत्तीसगढ़ के सबसे सम्मानित कानूनी हस्तियों में से एक बना दिया है.
कम उम्र से ही, रिज़वी ने गहरी अवलोकन क्षमता और कानून की ओर एक स्वाभाविकझुकाव प्रदर्शित किया. सामाजिक मुद्दों और कानूनी जागरूकता में उनकी गहरी रुचि थी. वकीलों की अगली पीढ़ी के पोषण के महत्व को समझते हुए, रिज़वी ने अपने पिता की स्मृति में, कानून के छात्रों को भारतीय दंड संहिता और संविधान पर 10,000 से अधिक पुस्तकें मुफ्त वितरित की हैं. एक सुसंस्कृत और शिक्षित परिवार में जन्मे, रिज़वी ने 1995 में सीएलसी कॉलेज, रायपुर से एलएल.बी. पूरी की, और बाद में एलएल.एम. किया. कानून की पढ़ाई के दौरान, उन्होंने न्यायिक दृष्टिकोण, संवैधानिक सिद्धांतों और समाज और प्रशासन के कामकाज को समझने में खुद को पूरी तरह से डुबो दिया.