आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली / कोलंबो (श्रीलंका)
भारत और पाकिस्तान की टीमें जब भी मैदान पर आमने-सामने होती हैं, तो मुकाबला महज़ एक खेल भर नहीं रह जाता. वह सियासत, इतिहास, भावनाओं और उम्मीदों का संगम बन जाता है. और जब ये दोनों टीमें महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में आमने-सामने हों, तो रोमांच और भी बढ़ जाता है.
रविवार को कोलंबो के प्रेमदासा स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान की महिला टीमें एकदिवसीय विश्व कप 2025 के अहम मुकाबले में भिड़ने जा रही हैं. यह मैच न सिर्फ़ अंक तालिका के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है, बल्कि पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैदान पर फैले तनाव के बाद इसे खास निगाहों से देखा जा रहा है.
हाल ही में हुए एशिया कप के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच हुए मैच में जिस तरह का बर्ताव, विवाद और बदतमीज़ी देखी गई थी, उसने खेल भावना को गहरी चोट पहुंचाई. हाथ मिलाने से इनकार, मैच रेफरी एंडी पाइक्रॉफ्ट के खिलाफ शिकायत और फाइनल के बाद ट्रॉफी को लेकर हुए विवाद ने पूरे टूर्नामेंट की गरिमा को प्रभावित किया. यही कारण है कि क्रिकेट प्रेमी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कहीं आज के मुकाबले में वही सब दोहराया न जाए.
पाकिस्तान महिला क्रिकेट टीम के लिए भारत एक कठिन प्रतिद्वंद्वी रहा है. एकदिवसीय प्रारूप में अब तक दोनों टीमों के बीच कुल 11 मुकाबले खेले गए हैं . हर बार भारत ने बाज़ी मारी है. आखिरी बार दोनों टीमें 6 मार्च 2022 को न्यूजीलैंड में भिड़ी थीं, जहां भारत ने पाकिस्तान को 107 रनों से शिकस्त दी थी.
इस टूर्नामेंट में अब तक के प्रदर्शन की बात करें तो भारत ने अपने पहले मुकाबले में श्रीलंका को हराकर शानदार शुरुआत की है. वहीं पाकिस्तान को बांग्लादेश के खिलाफ अपने पहले मैच में 7 विकेट से करारी हार झेलनी पड़ी थी. बल्लेबाज़ी से लेकर गेंदबाज़ी तक, हर विभाग में पाकिस्तान की टीम पिछड़ी नजर आई.
हालांकि हार के बावजूद पाकिस्तान की कप्तान फातिमा सना का आत्मविश्वास डगमगाया नहीं है. निदा डार की जगह कप्तानी संभालने के बाद फातिमा एक नई ऊर्जा के साथ टीम को आगे ले जा रही हैं. उन्होंने भारत के खिलाफ अपनी रणनीतियों को लेकर खुलकर बात की. भरोसा जताया कि उनकी टीम इस बार कुछ नया कर सकती है.
मैच की पूर्व संध्या पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में फातिमा ने कहा, “जब हम योजना बनाते हैं, तो हर पहलू को ध्यान में रखते हैं, जैसे कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया में कैसे खेला, वहाँ की पिचें कैसे थीं, और अब कोलंबो की परिस्थितियाँ कैसी हैं ? हम हर स्थिति का विश्लेषण करते हैं और उसी के अनुसार रणनीति बनाते हैं.”
उन्होंने इस बात को भी साफ किया कि टीम का पूरा फोकस सिर्फ़ खेल पर है, बाहरी शोर या विवादों से वे प्रभावित नहीं होना चाहते. फातिमा ने कहा, “हम 20-22 खिलाड़ी एक परिवार की तरह हैं. हम जानते हैं बाहर क्या हो रहा है, लेकिन हमारा ध्यान केवल अपने प्रदर्शन और वर्ल्ड कप पर है.”
भारत का आत्मविश्वास और दबदबा
दूसरी ओर, भारतीय महिला टीम का मनोबल इस समय ऊंचाई पर है. लगातार अच्छे प्रदर्शन और पाकिस्तान के खिलाफ शानदार रिकॉर्ड ने टीम को मनोवैज्ञानिक बढ़त जरूर दी है. कोचिंग स्टाफ और सीनियर खिलाड़ियों का अनुभव, युवा खिलाड़ियों की आक्रामकता के साथ मिलकर टीम को संतुलित बनाता है.
हालांकि, टीम इस आत्मविश्वास को अहंकार में नहीं बदलना चाहती. यही कारण है कि भारत की ओर से किसी भी प्रकार के बयानबाज़ी से परहेज़ किया जा रहा है. टीम मैनेजमेंट खिलाड़ियों को शांत, केंद्रित और अनुशासित बनाए रखने की कोशिश में जुटा है.
भारत-पाकिस्तान का कोई भी मुकाबला केवल 22 गज की पिच तक सीमित नहीं रहता. इसके साथ राजनीतिक पृष्ठभूमि, ऐतिहासिक रिश्ते, और कई बार दुर्भाग्य से नफरत और विवाद भी जुड़ जाते हैं. एशिया कप की घटनाओं ने एक बार फिर यह दिखाया कि खेल को खेल भावना से खेलना कितना जरूरी है.
क्रिकेट को "सभ्य लोगों का खेल" कहा जाता है, और यह सभ्यता अब मैदान पर दिखाई देनी चाहिए. खिलाड़ियों को यह याद रखने की ज़रूरत है कि वे केवल अपने देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे, बल्कि वे करोड़ों युवाओं के रोल मॉडल भी हैं.
आज का मुकाबला सिर्फ़ एक टीम की जीत और दूसरी की हार का नहीं है. यह एक मौका है क्रिकेट की असली आत्मा को दोबारा जगाने का. उम्मीद की जानी चाहिए कि कोलंबो में खेला जाने वाला यह बहुप्रतीक्षित मैच सिर्फ़ स्कोरकार्ड में नहीं, बल्कि खेल भावना के इतिहास में भी एक सकारात्मक अध्याय लिखे.
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