लाल किले विस्फोट पर मुसलमानों का स्पष्ट संदेश: हिंसा का समर्थन नहीं

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 13-11-2025
Clear message from Muslims on Red Fort blast: No support for violence
Clear message from Muslims on Red Fort blast: No support for violence

 

आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली

हाल ही में ऐतिहासिक लाल किले पर हुए बम विस्फोट की घटना के बाद भारत के प्रतिष्ठित मुसलमानों के एक समूह ने कड़े शब्दों में इस जघन्य कृत्य की निंदा की है। सिटिज़न्स फ़ॉर फ़्रैटर्निटी (CFF), जो चिंतित भारतीय मुसलमानों का एक सक्रिय संगठन है, ने 12 नवंबर को जारी बयान में में कहा कि यह हमला केवल एक इमारत या स्थल पर नहीं हुआ, बल्कि यह पूरे देश और उसकी साझा सांस्कृतिक विरासत पर हमला है।

CFF के बयान में कहा गया है, “हम, चिंतित भारतीय मुसलमानों का यह समूह, ऐतिहासिक लाल किले पर हुए इस भयंकर विस्फोट की कड़ी निंदा करते हैं। यह अमानवीय कृत्य हमारे राष्ट्र और हर भारतीय की साझा विरासत पर हमला है। मुसलमान होने के नाते, हम ऐसे जघन्य कृत्य की पूरी तरह भर्त्सना करते हैं और इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करते।”

समूह ने विशेष रूप से जोर दिया कि भारतीय मुसलमान हर प्रकार के आतंक और हिंसा के खिलाफ एकजुट हैं। बयान में कहा गया है कि इस प्रकार के अपराधों को किसी समुदाय से जोड़ना न केवल गलत है, बल्कि समाज में तनाव और असहमति फैलाने वाला भी है। “हमारे कश्मीरी भाई और बहनें भी भारतीय समाज का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयाँ झेली हैं, और इस हमले को उनके साथ जोड़ना न केवल अनुचित है, बल्कि अन्यायपूर्ण भी है,” बयान में स्पष्ट किया गया।

इस प्रेस विज्ञप्ति पर कई प्रमुख हस्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • डॉ. नजीब जंग, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल और जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व कुलपति

  • डॉ. एस.वाई. कुरैशी, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त

  • लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीर उद्दीन शाह (सेवानिवृत्त), पूर्व उप सेना प्रमुख और पूर्व कुलपति, एएमयू

  • श्री सईद मुस्तफा शेरवानी, उद्योगपति एवं पूर्व अध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया

समूह ने अपने बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी संबोधित किया और कहा कि ऐसे मामलों में सख्त और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि दोषियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जा सके।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की निंदा न केवल समुदायों के बीच सौहार्द बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि यह स्पष्ट संदेश देती है कि आतंक और हिंसा किसी धर्म, जाति या समुदाय की पहचान के साथ नहीं जुड़ा है। CFF के इस बयान ने देशभर में मुस्लिम समुदाय की सकारात्मक भूमिका को उजागर किया है और यह दिखाया है कि वे राष्ट्र और उसकी सुरक्षा के प्रति कितने सजग और जिम्मेदार हैं।

CFF ने अंत में अपील की है कि सभी नागरिक ऐसे हिंसक घटनाओं के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों और समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में योगदान दें। उन्होंने कहा, “हमारा संदेश साफ है, आतंक का कोई धर्म नहीं होता, और हम सभी इसे हर रूप में अस्वीकार करते हैं।”

यह पहल न केवल लाल किले पर हुए हमले की कड़ी निंदा है, बल्कि भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति, सामाजिक जिम्मेदारी और आतंक के खिलाफ एकजुटता का भी प्रतीक है।