सब के लिए झाड़ूः यूपी के एक ऐसे अधिकारी जो स्वच्छ भारत अभियान आगे बढ़ाने के लिए बांटते हैं झाड़ू

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 04-10-2023
Broom for all: An officer of UP who distributes brooms to take forward the Swachh Bharat Abhiyan
Broom for all: An officer of UP who distributes brooms to take forward the Swachh Bharat Abhiyan

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के वरिष्ठ अधिकारी शचींद्र प्रताप सिंह ऐसे व्यक्ति हैं जो स्वच्छ भारत अभियान को अक्षरशः आगे बढ़ाने में लगे हैं. उनका प्रयास है कि वे जहां तैनात हों, वहां साफ-सफाई का बेहतर इंतजाम हो. विशेषकर मुस्लिम बहुतल इलाके में. 

मुस्लिम बहुल आबादी वाले क्षेत्र को लेकर यह आम धारणा है कि यहां रहने वाले साफ-सफाई पर खास ध्यान नहीं देते. ऐसे में इलाके की गलियां, सड़कें गंदगी से पटी रहती हैं. मगर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के वरिष्ठ अधिकारी शचींद्र प्रताप सिंह ने ऐसे इलाकों में विशेष अभियान छेड़ रखा है.
 
इसके तहत ‘झाड़ू दान समूह’ के माध्यम से झाड़ू वितरित करते हैं. उनका आदर्श वाक्य है, ‘‘यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने आसपास कम से कम 10 मीटर की दूरी साफ रखे, तो दुनिया एक बेहतर जगह होगी.’’पंत नगर विश्वविद्यालय से बीटेक पूरा करने के बाद, सिंह 1989 में एक प्रबंधक के रूप में यूपीएसआरसीटी में शामिल हुए थे.
 
वह बताते हैं, “जब तक मैंने प्रधानमंत्री का भाषण नहीं सुना, तब तक जिंदगी सामान्य रूप से चल रही थी.” फिर, एक घटना ने जीवन बदल दिया. विभिन्न स्थानों पर उनकी पोस्टिंग के दौरान, उनकी जिम्मेदारी में उनके प्रशासन के तहत कार्यालय परिसर और बसों को साफ रखना भी शामिल था.
 
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अपने गृह नगर औरैया में पोस्टिंग के दौरान उन्हें एक बस में कूड़ा बिखरा हुआ देखा. वह बताते हैं, जब मैंने ड्राइवर से पूछा तो उसने कहा कि उसकी गाड़ी में झाड़ू नहीं है. उनके पास इसे खरीदने के लिए भी कोई फंड नहीं.
 
ड्राइवर का जवाब सिंह एक संदेश के रूप में लिया. बिना समय गंवाए उन्होंने भारी मात्रा में झाड़ू खरीदी और औरैया डिपो से जुड़े सभी ड्राइवरों और क्लीनरों के बीच वितरित कर दी. उन्होंने भी झाड़ू उठाई और अपने कार्यालय परिसर की सफाई शुरू कर दी. उसके बाद पास-पड़ोस के मुहल्ले मंे अभियान चलाया.
 
सिंह कहते हैं, शुरुआत में मेरा मजाक उड़ाया गया. यहां तक ​​कि उनके परिवार ने भी उनके प्रयासों को गंभीरता से नहीं लिया.मगर इस तरह के उपहास से उनका संकल्प नहीं डिगा. इसके बजाय, स्वच्छता का मुद्दा एक जुनून में बदल गया. 2017 में, सिंह ने झाड़ू दान नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया, जिसमें कई और लोग शामिल हुए.
 
सिंह जब आगरा में तैनात थे, तो उन्होंने लोगों के बीच वितरित करने के लिए 2,000 झाड़ू इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा. सिंह बताते हैं, ‘‘शुरुआत में मुझे सोशल मीडिया की पहुंच और प्रभाव का एहसास नहीं था, लेकिन इसने मेरे आंदोलन को अप्रत्याशित गति दी.’’
 
इस मिशन के प्रति उनके दृढ़ संकल्प और समर्पण को जल्द ही जनता से प्रशंसा मिलने लगी. उनके फेसबुक ग्रुप को न केवल दोस्तों और परिचितों से, बल्कि विदेश से अजनबियों और परोपकारी दानदाताओं से भी भारी आर्थिक सहायता मिल रही है.
 
आगरा में रहते हुए, सिंह 33,000 से अधिक झाड़ू वितरित करने में कामयाब रहे. इसके बाद, उन्होंने अपना अगला लक्ष्य निर्धारित किया, 1 लाख झाडू. सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग ने ‘झाड़ू दान’ की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
 
उनकी विशेषज्ञता प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान काम आई, जहां उन्हें 2019 में तैनात किया गया था. वहां बनाए गए अस्थायी बस शेल्टरों पर समूह की विशिष्ट छाप थी. देखते ही देखते 1 लाख का लक्ष्य हासिल कर लिया. सिंह का कहना है कि उन्हें गिनती नहीं है कि झाड़ू दान समूह ने अब तक कितनी झाड़ू बांटी हैं.
 
इस उपलब्धि ने उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह दिला दी है. जैसा कि देश स्वच्छता पखवाड़ा (स्वच्छता पखवाड़ा) मना रहा है, सिंह को राज्य के परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह से भरपूर प्रशंसा मिली है.