मंसूरुद्दीन फरीदी / नई दिल्ली
अयोध्या में राम जन्मभूमि से 22किलोमीटर दूर धन्नीपुर गांव मंे प्रस्तावत मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद के नक्षे में बड़ा बदलाव किया गया है. इसका खुलासा किया है. मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद विकास समिति के अध्यक्ष हाजी अराफात शेख ने. उन्होंने आवाज द वाॅयस से बातचीत में दावा किया, ‘‘ यह मस्जिद भारतीय मुसलमानों की धार्मिक एकता, देश की शान का प्रतीक होगी.
इसमें अब पांच मीनारें होंगी, जो इस्लाम के पांच स्तंभों का प्रतीक होंगी. इसमें पवित्र कुरान की दुनिया की सबसे बड़ी प्रति रखी जाएगी. इसके वजूखाने में दुनिया का सबसे बड़ा फिश एक्वेरियम स्थापित किया जाएगा. इसके लिए फंडिंग का एकमात्र तरीका ऑनलाइन होगा. कोई रसीद नहीं कटेगी. कोई सड़कों पर चंदा इकट्ठा करने नहीं निकलेगा. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फरवरी या मार्च में मुंबई से इस मस्जिद के शिलान्यास के लिए ईंटें दान की जाएगी. मुंबई से एक बड़ा सूफी कारवां धन्नीपुर जाएगा.
मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद विकास समिति के अध्यक्ष हाजी अराफात शेख महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष भी हैं. उन्हें इंडो-इस्लामिक संस्कृति के ट्रस्टी और सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है.हाजी अराफात शेख ने बताया कि धन्नीपुर में मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद के शिलान्यास के लिए सूफी विद्वानों का एक काफिला ट्रेन से मुंबई से रवाना होगा.
इसमें सैकड़ों उलेमा भाग लेंगे. यात्रा के दौरान हर स्टेशन पर इन ईंटों पर फूल बरसाए जाएंगे. इत्र छिड़का जाएगा. स्वागत गीत गाए जाएंगे . इस मस्जिद का नाम इस्लाम के पैगंबर के नाम पर रखा जाएगा.हाजी अराफात शेख ने कहा, शिलान्यास की तारीखों पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है. रमजान का महीना नजदीक आ रहा है.योजना तैयार है. आधारशिला सूफी विद्वानों के हाथों रखी जाएगी.इसमें देश की प्रमुख हस्तियां भी शामिल होंगी.
गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद मामले के फैसले के साथ वैकल्पिक स्थान पर प्रस्तावित मस्जिद के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवंटित पांच एकड़ जमीन अभी भी तकनीकी या विभिन्न कागजी चरणों से गुजर रही है.
अब मस्जिद पांच मीनारों वाली
याद रहे कि दो साल पहले, जब धन्नीपुर मस्जिद का डिजाइन सामने आया था, तब इसे भविष्य की या 21वीं सदी की मस्जिद कहा गया था. इसे बेहतरीन सुविधाओं के साथ यूरोपीय शैली की वास्तुकला के आधार पर बनाए जाने का ऐलान किया गया था. मस्जिद में मीनार या गुंबद नहीं होने की बात कही गई थी.
तब दलील में कई मुस्लिम मुल्कों की मस्जिद का उदाहरण दिया गया था. अब अराफात शेख का कहना है कि हमने नया डिजाइन तैयार किया है. खास बात कि इसमें एक गुंबद वाली दो नहीं बल्कि पांच मीनारें होंगी, जो इस्लाम के पांच स्तंभों का प्रतीक होंगी.
यह भारत की पहली मस्जिद होगी जिसमें पांच मीनारें होंगी. मीनार पलहे मीनार का नाम कलमा रखा जाएगा. दूसरी मीनार को नमाज और तीसरे को रोजा का नाम दिया जाएगा . चौथी मीनार जकात और पांचवीं मीनार हज के नाम से जानी जाएगी. सभी मीनारें 11किलोमीटर दूर से दिखाई देंगी. इसकी खूबसूरती ताज महल जैसी मिसाल होगी.हमारा लक्ष्य मस्जिद को बेहतर से बेहतर बनाना है, इसलिए सभी के सुझाव और विचार आमंत्रित किए गए हैं.
बता दें कि हाजी अराफात शेख महाराष्ट्र खट्टक समाज यानी कुरैशी ब्रदरहुड के साथ ऑल इंडिया सूफी बोर्ड पीराडल के अध्यक्ष भी हैं. वह ट्रांसपोर्ट यूनियन नव भारती शिव वाहक संगठन ट्रांसपोर्ट विंग के भी अध्यक्ष हैं, जिसके साढ़े सात लाख सदस्य हैं.
दवा और दुआ एक साथ
धन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद वास्तव में एक परिसर का हिस्सा होगी.इसमें एक कैंसर अस्पताल, लॉ कॉलेज, डेंटल कॉलेज, इंटरनेशनल स्कूल, एक पुस्तकालय और लंगर के साथ एक वृद्धाश्रम भी होगा. इसके बारे में अराफात शेख ने कहा कि ओल्ड एज होम का नामकरण अभी नहीं किया गया है.
आने वाले समय में इसके बारे में जानकर हर कोई दंग रह जाएगा. मस्जिद के प्रस्तावित कैंसर अस्पताल इलाज मुफ्त होगा. इसके अध्यक्ष वागयार्ड अस्पताल के प्रभारी बाबुल खोरा किवाला होंगे. इस अस्पताल में धर्म और जाति के भेदभाव के बिना मरीजों को इलाज दिया जाएगा.
इसके अलावा शैक्षणिक क्षेत्र में इंजीनियरिंग कॉलेज, लॉ कॉलेज, डेकल आर पैकर एमबीए कॉलेज और इंटरनेशनल स्कूल का निर्माण भी कार्यान्वित किया जाएगा. विशेष रूप से मस्जिद के इस धन्य नाम के साथ, एक शाकाहारी सामुदायिक रसोईघर बनाया जाएगा ताकि सभी धर्मों के लोग वहां आकर अपना पेट भर सकें.
उन्होंने कहा कि हमारा दावा है कि एक बार यह कैंसर अस्पताल बन जाएगा तो पड़ोसी राज्यों के मरीज भी मुंबई की बजाय धन्नीपुर का रुख करेंगे. इस्लाम के पैगंबर के नाम पर स्थापित कैंसर अस्पताल मरीजों के इलाज का जरिया तो बनेगा ही, वे हमारे बानी करीम का नाम भी सम्मान से लेंगे. इलाज बिना किसी भेदभाव से होगा जिसमें न तो धर्म और न ही गरीबी हस्तक्षेप करेगी. मुफ्त सेवाओं पर बनेगा इलाज का ढांचा. अस्पताल की क्षमता 500बेड की होगी.
फंडिंग कैसे होगी
धन्नीपुर की मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद के लिए धन जुटाने पर, अराफात शेख का कहना है कि इसे पूरी तरह से पारदर्शी रखा जाएगा. इसके लिए एक वेबसाइट लॉन्च की जाएगी जहां कोई भी ऑनलाइन दान कर सकता है. क्यूआर कोड का उपयोग किया जा सकता है ताकि इसमें पैसों का हिसाब-किताब पूरी तरह से स्पष्ट हो.
किसी भी प्रकार के संदेह की कोई गुंजाइश न रहे. एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि इस संबंध में कोई रसीद नहीं कटेगी. सड़कों पर दान नहीं मांगा जाएगा. हम ऐसी व्यवस्था करेंगे कि अगर कोई मस्जिद में अपना पैसा देगा तो उसका इस्तेमाल अल्लाह के घर के रखरखाव के लिए किया जाएगा. कोई भी व्यक्ति इसके अस्पताल, कॉलेज या लंगर में दान कर सकेगा. एकत्रित धन का इसमें उपयोग किया जाएगा. सिस्टम इस तरह से स्थापित किया गया है कि हर किसी का दान इच्छानुसार उपयोग किया जाएगा.
सबसे महान कुरान
धन्नीपुर की इस मस्जिद में दुनिया की सबसे बड़ी पवित्र कुरान रखी जाएगी. इस बारे में हाजी अराफात शेख का कहना है कि इस प्रति की लंबाई 21फीट होगी. जब पवित्र कुरान खोला जाएगा तो इसका आकार 18-18फीट होगा. रमजान में पवित्र कुरान पढ़ा जाएगा.
कुरान की आखिरी नमाज शुक्रवार को होगी. उन्होंने कहा कि इस पवित्र कुरान को भगवा रंग दिया गया है, जो एक रहस्यमय रंग है, जिसे चिश्ती रंग भी कहा जाता है. जबकि अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का रंग भी भगवा हो चुका है. इस पवित्र कुरान का कागज एक हजार साल तक खराब नहीं होगा . इसे महाराष्ट्र के प्रसिद्ध सुलेखकों द्वारा तैयार किया जा रहा है.
स्वचालित बिजली व्यवस्था
हाजी अराफात शेख कहते हैं कि महत्वपूर्ण बात यह है कि जब मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद में सूरज डूब जाएगा, तो रोशनी स्वचालित रूप से चालू हो जाएगी. सुबह होने तक रोशनी रहेगी. दिलचस्प बात यह है कि मगरिब की नमाज की शुरुआत पानी के झरना से होगी. मस्जिद में सोलर सिस्टम लगाए जाएंगे. स्नानघर को भी खूबसूरत बनाया जाएगा. इसमें दुनिया का सबसे बड़ा फिश एक्वेरियम बनेगा . जो बच्चों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा.
नई स्थिति, एक नई जिम्मेदारी
दरअसल, दिसंबर 2023में अराफात शेख को मुंबई में इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के ट्रस्टी और सलाहकार का पद सौंपा गया है. उनके मुताबिक, मस्जिद निर्माण कार्य शुरू होने में दो महीने लगेंगे. 300करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट की अंतिम फंडिंग के बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं बताया गया है.
हाजी अराफात शेख को मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद विकास समिति के अध्यक्ष के रूप में नामित करने का असली उद्देश्य मस्जिद के निर्माण को गंभीरता से पूरा करना है. हाजी अराफात शेख को इंडो-इस्लामिक कल्चर ट्रस्ट के ट्रस्टी और सलाहकार के रूप में चुना गया है.
उन्होंने कहा कि हाजी अराफात शेख एक जानकार युवा हैं. उन्हें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि हाजी अराफात शेख इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाएंगे और मुसलमानों के महत्वपूर्ण धार्मिक मुद्दे को लागू करने में अहम भूमिका निभाएंगे.
मस्जिद को लेकर मुसलमानों की सोच बदली
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन ने बताया कि मस्जिद विकास समिति की स्थापना दिसंबर में की गई थी. इसकी कमान हाजी अराफात शेख को सौंपी गई है ताकि मस्जिद के निर्माण में आने वाली बाधाओं को जल्द दूर किया जा सके. फंड कलेक्शन की प्रक्रिया बेहद अहम है जिसके लिए हाजी अराफात शेख जुट गए हैं.
आवाज द वॉयस से बात करते हुए अतहर हुसैन ने कहा कि फंड इस वक्त सबसे बड़ी समस्या है. अतहर हुसैन ने कहा कि प्रस्तावित अयोध्या मस्जिद के पोर्टल पर दान की सुविधा है. हमें आश्चर्य है कि 70 प्रतिशत दान गैर-मुस्लिमों से है जो एक उत्साहजनक संकेत है.
ये देश को एक खूबसूरत संदेश दे रहा है.इस मस्जिद के बारे में आम मुसलमानों की सोच और राय पर बात करते हुए अतहर हुसैन ने कहा कि जब यह फाउंडेशन बना और धन्नीपुर में मस्जिद के लिए जमीन मिली तो लोग कहते थे कि यह मस्जिद क्यों बन रही है.
इसमें क्यों शामिल हुए हैं. लेकिन दो-तीन साल में ही बदलाव देखने को मिल रहा है. अब वही लोग पूछ रहे हैं कि मस्जिद कितने समय में तैयार होगी. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को धीरे-धीरे जमीनी हकीकत का एहसास हो रहा है. सोच बदल रही है. उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन का रुख सकारात्मक है. हम इस प्रोजेक्ट के बुनियादी कार्यों में समय लगा रहे हैं. इससे न्यू इंडिया का नारा भी मजबूत होगा.