भारत-रूस रिश्तों पर ट्रंप का हमला, जवाब में एनएसए डोभाल और जयशंकर का मास्को मिशन

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 03-08-2025
Trump's attack on India-Russia relations, NSA Doval and Jaishankar's Moscow mission in response!
Trump's attack on India-Russia relations, NSA Doval and Jaishankar's Moscow mission in response!

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और रूस को "मृत अर्थव्यवस्थाएं" कहे जाने और भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ के साथ रूस से रणनीतिक व्यापार को लेकर दंडात्मक कार्रवाई की घोषणा के बीच, भारत ने अपनी विदेश नीति को लेकर स्पष्ट संदेश देते हुए कूटनीतिक गतिविधियों को तेज कर दिया है.

इसी क्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इस महीने मास्को का दौरा करने वाले हैं. रिपोर्टों के अनुसार, डोभाल अगस्त के पहले सप्ताह में रूस की राजधानी पहुंच सकते हैं, जबकि जयशंकर का दौरा महीने के मध्य में संभावित है.

डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर हलचल मचा दी है. उन्होंने Truth Social पर भारत और रूस को “dead economies” कहकर न केवल अपमानित किया, बल्कि यह भी कहा कि “वे अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लेकर डूब सकते हैं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.

” उन्होंने भारत पर दुनिया के सबसे ऊंचे टैरिफ लगाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे माहौल में अमेरिका को भारत से व्यापार में कोई रुचि नहीं है. ट्रंप यहीं नहीं रुके—उन्होंने रूस के उप सुरक्षा परिषद प्रमुख दमित्री मेदवेदेव को "विफल पूर्व राष्ट्रपति" कहते हुए चेतावनी दी कि वे “खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश” कर रहे हैं और उन्हें “अपनी जुबान संभालनी चाहिए.”

इन तीखी टिप्पणियों और आर्थिक दंड के बीच, भारत पर ट्रंप के नए 25% टैरिफ के साथ-साथ एक अतिरिक्त व्यापारिक सजा भी लगाई गई है, जो मुख्य रूप से भारत-रूस के बीच गहराते ऊर्जा और रक्षा संबंधों को लेकर है.

आंकड़े बताते हैं कि यूक्रेन युद्ध से पहले भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीद 0.2 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर कुल तेल आयात का लगभग 35-40 प्रतिशत हो चुकी है. इसके चलते भारत, चीन के बाद रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल ग्राहक बन गया है.

साथ ही, भारत ने पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद रूस से उन्नत सैन्य उपकरणों की खरीद जारी रखी है, जो अमेरिका को रास नहीं आ रहा.इन परिस्थितियों में डोभाल और जयशंकर का मास्को दौरा केवल औपचारिक कूटनीति नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक स्थिरता और आत्मनिर्भर विदेश नीति का संकेत माना जा रहा है.

विदेश मंत्रालय के अनुसार, इन दौरों में ऊर्जा, रक्षा सहयोग, तकनीकी साझेदारी और बहुपक्षीय मंचों पर समन्वय जैसे मुद्दों पर विस्तृत बातचीत होने की संभावना है. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव से मुलाकात कर दोनों देशों के संबंधों की मजबूती को रेखांकित किया था.

उधर, ट्रंप की धमकियों पर रूस ने तीखा जवाब देते हुए कहा है कि उन्हें प्रतिबंधों की आदत हो चुकी है और अब वे इस प्रकार की चेतावनियों के प्रति ‘प्रतिरोध क्षमता’ विकसित कर चुके हैं. रूस ने ट्रंप की टिप्पणी को “अस्थिर और दोहराव भरी” बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया.

इस पूरे घटनाक्रम के बीच भारत ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र, संतुलित और पूरी तरह से राष्ट्रीय हितों पर केंद्रित है. ट्रंप की ‘मृत अर्थव्यवस्थाओं’ वाली टिप्पणी भले ही अमेरिका में राजनीतिक शोर पैदा कर रही हो, लेकिन भारत का मास्को दौरा यह दर्शाता है कि वह अपने पुराने, भरोसेमंद साझेदारों के साथ मजबूती से खड़ा है और किसी भी तरह के विदेशी दबाव में झुकने को तैयार नहीं है.

यह दौरा जहां एक ओर कूटनीतिक संबंधों को नई दिशा देगा, वहीं यह भारत के रणनीतिक आत्मविश्वास का भी स्पष्ट प्रतीक है.