रत्ना जी. चोटरानी
आज के तेज़ और भागदौड़ भरे जीवन में मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल की आवश्यकता हर किसी को महसूस होती है। ऐसे समय में कुछ असाधारण और प्रभावशाली तरीक़े उभर कर सामने आते हैं, जिनमें से एक है घोड़ों के साथ अश्व-सहायता प्राप्त चिकित्सा (Equine Assisted Therapy)। इस क्षेत्र में हैदराबाद की युवा घुड़सवार और मनोवैज्ञानिक निम्रह मिर्ज़ा (Nimrah Mirza)ने एक अनूठी पहल की है। उन्होंने ‘ट्रॉट एंड टॉक’ नामक संगठन की स्थापना कर, न केवल सेवानिवृत्त रेस घोड़ों को नया घर दिया है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे बच्चों और युवाओं के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।

अश्व-सहायता प्राप्त चिकित्सा अनुभवात्मक और चिकित्सकीय रूप से प्रशिक्षित घोड़े और मनोवैज्ञानिक के सहयोग पर आधारित होती है। यह पद्धति क्लाइंट को शांति, आत्म-जागरूकता और उपचार प्रदान करती है। चाहे शुरुआती संशय हो, लेकिन यह निश्चित है कि घोड़ों के साथ जुड़ाव कई लोगों के लिए गहन मानसिक शांति का स्रोत बन गया है।
निम्रह मिर्ज़ा, जो उद्यमी पोलो खिलाड़ी आदिल मिर्ज़ा की बेटी हैं, बचपन से ही घोड़ों के बीच पली-बढ़ीं। उनका कहना है, "मैं घोड़ों की ताल पर पैदा हुई थी।" उनके घर में हमेशा पोलो और घोड़े रहे, और ‘ट्रॉट’ की लय उनके जीवन का हिस्सा रही। वर्षों बाद भी, घोड़ों के साथ उनका संबंध गहरा और जीवन-परिवर्तक बना हुआ है। यही अनुभव उन्हें दूसरों के साथ साझा करने के लिए प्रेरित करता है।
मनोविज्ञान में मास्टर्स डिग्री और काउंसलिंग प्रमाणन के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित EFT चिकित्सक निम्रह, इक्वाइन-असिस्टेड लर्निंग (EAL) में भी प्रशिक्षित हैं। वह बताती हैं कि घोड़ों की उपस्थिति एक चिकित्सीय और विकासात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है, जिससे व्यक्ति भावनात्मक और मानसिक रूप से मजबूत बनता है।
हल्की चिंता और मानसिक तनाव का सामना करने के दौरान उन्हें महसूस हुआ कि घोड़े उन्हें गहराई से सांत्वना और जुड़ाव प्रदान करते हैं। "घोड़ों और इंसानों के बीच विश्वास पर आधारित एक अनूठा रिश्ता होता है," वह कहती हैं।
‘ट्रॉट एंड टॉक’ के तहत निम्रह नियमित रूप से कार्यशालाएँ आयोजित करती हैं, जिनमें घोड़ों को सहलाना, टहलाना और उनसे संवाद करना शामिल है। ये गतिविधियाँ सरल प्रतीत होती हैं, लेकिन इनमें प्रतिभागियों को मानसिक शांति, आत्म-जागरूकता और भावनात्मक संतुलन प्रदान करने की शक्ति होती है। निम्रह हैदराबाद में इस तरह की पहल करने वाली पहली अश्वारोही हैं। उनका कहना है, "घोड़ों में अपने परिवेश में सूक्ष्म परिवर्तनों की तीव्र जागरूकता होती है, जो इंसानों को भावनात्मक रूप से संतुलित और ज़मीन से जुड़े रहने में मदद करती है।"

आज ‘ट्रॉट एंड टॉक’ में 2 से 70 वर्ष तक के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं वाले वयस्क और गंभीर रूप से न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चे आते हैं। निम्रह ने देखा है कि घोड़ों के साथ जुड़ने से गैर-मौखिक बच्चे, जो पहले डर या हिचकिचाहट दिखाते थे, अब घंटों घोड़ों के साथ रहते हैं और मुस्कुराते हैं। ऑटिज़्म वाले बच्चों में बार-बार होने वाली हरकतें (स्टेमिंग) घट जाती हैं और वे अधिक अभिव्यंजक और आत्मविश्वासी बनते हैं।
निम्रह अश्व चिकित्सा के दो मुख्य प्रकार बताती हैं: हिप्पोथेरेपी, जिसमें सवारी शामिल होती है, और हॉर्स-असिस्टेड थेरेपी, जिसमें अन्य गतिविधियाँ शामिल हैं। वह कहती हैं, "घोड़े की लय और पूर्वानुमान योग्य गतिविधियाँ शांति और चिकित्सीय लाभ प्रदान करती हैं।" वह मानती हैं कि चार दीवारों वाले काउंसलिंग सत्र की तुलना में घोड़ों के साथ अस्तबल में चिकित्सा दस गुना अधिक प्रभावी होती है।

निम्रह मिर्ज़ा की यह पहल न केवल घोड़ों को उद्देश्य देती है, बल्कि इंसानों में सक्रिय जीवनशैली, सशक्तिकरण और स्वतंत्रता की भावना भी बढ़ाती है। उनके अनुभव यह दर्शाते हैं कि घोड़ों के माध्यम से प्राप्त चिकित्सीय लाभ केवल मानसिक शांति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह बच्चों और युवाओं के सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक विकास में भी योगदान देता है।
अश्व-सहायता प्राप्त चिकित्सा का संदेश स्पष्ट है: जुड़ाव, विश्वास और शांति। जब घोड़े और इंसान एक साथ समय बिताते हैं, भावनाएँ शांत होती हैं, तनाव कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य मजबूत बनता है। निम्रह की पहल हमें याद दिलाती है कि कभी-कभी प्रकृति और जानवरों के साथ जुड़ाव ही सबसे सशक्त चिकित्सक बन सकता है।
‘ट्रॉट एंड टॉक’ की कहानी केवल घोड़ों की नहीं है, बल्कि उन जीवनों की है जिन्हें यह पहल बदल रही है। यह पहल बच्चों, युवाओं और मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों से जूझ रहे वयस्कों के लिए नई उम्मीद और सकारात्मक दिशा लेकर आती है। घोड़ों के माध्यम से लोगों को आत्मविश्वास, आनंद और मानसिक शांति मिलती है। इस तरह, निम्रह मिर्ज़ा न केवल घोड़ों और इंसानों के बीच का रिश्ता गहरा करती हैं, बल्कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को भी व्यापक रूप से उजागर कर रही हैं।