ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय: नैतिकता के साथ पेशेवर शिक्षा
Story by आवाज़ द वॉयस | Published by onikamaheshwari | Date 21-11-2025
Khwaja Moinuddin Chishti University: Professional Education with Ethics
गौस सिवानी, नई दिल्ली
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में स्थित है और भारत के नई विश्वविद्यालयों में से एक है। इसे 2009 में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थापित किया था । शुरू में इसका नाम उत्तर प्रदेश उर्दू, अरबी, फ़ारसी विश्वविद्यालय रखा गया था, लेकिन बाद में 12 मार्च 2020 को इसका नाम बदलकर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज विश्वविद्यालय रखा गया। इसका नाम प्रसिद्ध सूफ़ी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के नाम पर रखा गया है, जिन्हें ‘ख्वाजा गरीब नवाज़’ के उपनाम से जाना जाता है। लगभग 900 साल पहले वे भारत आए और भुखमरी के खिलाफ लंगर की परंपरा शुरू की।
अपनी सादगीपूर्ण जीवन शैली के माध्यम से, ख्वाजा साहब ने न केवल लोगों के चरित्र को संवारा बल्कि उन्हें बेहतर जीवन जीने के तरीके भी सिखाए और उनके अंदर मानवता और सत्य की महत्ता को विकसित किया। सभी धर्मों के अनुयायियों ने उनके सिद्धांत “सुलह-ए-कुल” (सर्वसम्पूर्ण शांति) को अपनाया। इस प्रकार उन्होंने प्रेम और शांति का संदेश फैलाया। ख्वाजा मोइनुद्दीन ने विभिन्न जातियों, समुदायों और नस्लों को एकजुट करने और मानवता को भौतिक चिंताओं के दलदल से बाहर निकालने का उद्देश्य पूरा किया, जो आज मानवता को विनाश की ओर ले जा रही है। ख्वाजा साहब के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखने का उद्देश्य उन्हें श्रद्धांजलि देना और उनकी मानवता की शिक्षाओं को आम करना था।
विश्वविद्यालय का इन्फ्रास्ट्रक्चर
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय का परिसर लखनऊ के सत्तूपुर‑हरदोई बाइपास रोड पर स्थित है और यह एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है, जहाँ आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ स्मार्ट क्लासरूम, प्रयोगशालाएँ, हॉस्टल, खेल मैदान और अन्य शैक्षणिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य छात्रों को भाषा, साहित्य, शोध और आधुनिक शिक्षा में दक्षता प्रदान करना और उन्हें जिम्मेदार, नैतिक, रचनात्मक और सहानुभूतिपूर्ण नागरिक बनाना है। विश्वविद्यालय समावेश, सम्मान और सहयोग के सिद्धांतों को बढ़ावा देता है और पारंपरिक भारतीय शिक्षा प्रणाली को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ने का प्रयास करता है।
भाषाओं की पढ़ाई पर जोर
विश्वविद्यालय विभिन्न भाषाओं, साहित्य, समाज विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में कार्यक्रम प्रदान करता है, जिनमें उर्दू, अरबी, फ़ारसी, हिंदी और अन्य भाषाओं में बैचलर, मास्टर और पीएचडी कार्यक्रम शामिल हैं। इसके अलावा सामाजिक विज्ञान जैसे इतिहास, अर्थशास्त्र, राजनीति और समाजशास्त्र में शिक्षा दी जाती है, जबकि इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस और डेटा साइंस जैसे आधुनिक क्षेत्रों में भी पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।
नैतिक शिक्षा के साथ रोजगार पर जोर'
विश्वविद्यालय ने शिक्षा, शोध और उद्योग के बीच संबंध मजबूत करने के लिए विभिन्न संस्थाओं के साथ समझौते किए हैं। सामाजिक समावेशन के लिए भी विश्वविद्यालय सक्रिय है, जैसे गांव के बच्चों के लिए खेल और शिक्षा कार्यक्रम, एनसीसी और एनएसएस गतिविधियाँ इसका हिस्सा हैं। छात्रों के लिए अलग हॉस्टल, हेल्थ सेंटर, जिमनाज़ियम, खेल मैदान, ई-लाइब्रेरी और शोध सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
भविष्य की चुनौतियाँ
हालाँकि विश्वविद्यालय ने शैक्षिक और शोध क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, इसके सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जिनमें उच्च ग्रेड की आवश्यकताओं को पूरा करना और इन्फ्रास्ट्रक्चर व लैब सुविधाओं को और मजबूत बनाना शामिल है। भविष्य में यदि विश्वविद्यालय शोध गतिविधियों का विस्तार करे, उद्योग और शिक्षा के संबंधों को मजबूत करे और शैक्षिक मानकों को बेहतर बनाए तो इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और भी ऊँचा स्थान प्राप्त हो सकता है।
ख्वाजा मोइनुद्दीन विश्वविद्यालय न केवल शास्त्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने में अग्रणी है बल्कि आधुनिक तकनीक, अन्य कार्यक्रमों और सामाजिक सेवाओं के माध्यम से भविष्य की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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