The beautiful contrasts of Jemimah's personality are etched in the annals of Indian cricket history.
                                
                                    
	आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
	
	
	 
	भारतीय महिला क्रिकेट टीम की हमेशा खुशमिजाज रहने वाली जेमिमा रोड्रिग्स विश्व कप के दौरान रोज रो रही थीं क्योंकि बीच टूर्नामेंट में उन्हें टीम से बाहर कर दिया था जिससे वह अपनी मां से फोन पर बात करके खुद को संभालने की कोशिश कर रही थीं।
	 
	ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बृहस्पतिवार को सेमीफाइनल के दौरान विश्व कप में किसी भारतीय क्रिकेटर द्वारा खेली गई सबसे बेहतरीन पारियों में से एक खेलने के बाद जेमिमा ने नम आंखों से अपने संघर्ष के बारे में खुलकर बात की।
	 
	मैच के बाद उनके साक्षात्कारों ने इस बात की झलक दी कि वह वास्तव में किस तरह की इंसान हैं।
	 
	ऑस्ट्रेलियाई टीम के विश्व कप के रथ को रोकने के लिए बल्ले से अपनी शानदार पारी खेलने के कुछ ही पल बाद उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह इन दिनों कई लोगों द्वारा की जा रही बातों से बिल्कुल अलग था।
	 
	जेमिमा ने कहा, ‘‘किसी से मदद मांगना ठीक है। मैं यहां बहुत कमजोर दिखूंगी क्योंकि मुझे पता है कि अगर कोई यह देख रहा है, तो वह भी शायद इसी दौर से गुजर रहा होगा। और यही मेरे कहने का असली मकसद है क्योंकि कोई भी अपनी कमजोरी के बारे में बात करना पसंद नहीं करता। ’’
	 
	वहीं पीछे मुड़कर देखें तो विश्व कप के बीच में उसे बाहर करना टीम के लिए सबसे मुश्किल फैसलों में से एक था। लेकिन जेमिमा के लिए यह उनके उतार चढाव भरे करियर में एक सच्चाई का पल था।
	 
	पिछले साल उनके क्लब खार जिमखाना ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी क्योंकि उनके पिता इवान रोड्रिग्स के खिलाफ़ क्लब परिसर का इस्तेमाल कथित तौर पर अनधिकृत धार्मिक समारोहों के आयोजन के लिए करने की शिकायत दर्ज की गई थी।
	 
	अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के चार साल बाद उन्हें न्यूजीलैंड में होने वाले 2022 विश्व कप अभियान से बाहर कर दिया गया था। और यही अहसास उन्हें तब हुआ जब मौजूदा टूर्नामेंट में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में उन्हें नजरअंदाज करने का फैसला हुआ।
	 
	जेमिमा को पता है कि भारतीय टीम को 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ स्वर्ण पदक के मुकाबले और इसी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ 2023 टी20 विश्व कप सेमीफाइनल में लक्ष्य हासिल करने में नाकामी का सामना करना पड़ा।