भारत के लिए संघर्ष करने उतरे चोटिल पंत

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 24-07-2025
Injured Pant came out to fight for India
Injured Pant came out to fight for India

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

 
 ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में भारतीय ड्रेसिंग रूम की बाहरी सीढ़ियों से सावधानी से उतरते हुए विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत किसी चोटिल ‘ग्लेडिएटर’ से कम नहीं लग रहे थे.
 
मैदान में मौजूद ज्यादातर दर्शकों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया.
 
भारतीय क्रिकेट की लोककथाओं में अनिल कुंबले का टूटे जबड़े में पट्टी बंधे होने के बावजूद वेस्टइंडीज के खिलाफ 2002 में गेंदबाजी करना दर्ज है और ओल्ड ट्रैफर्ड में दूसरे दिन सुबह पैर में फ्रैक्चर के बावजूद पंत का लड़खड़ाते हुए बल्लेबाजी के लिए उतरना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में साहस के यादगार पलों में आसानी से शामिल हो सकता है.
 
ठीक वैसे ही जैसे 1984 में हेडिंग्ले में मैल्कम मार्शल ने अपने बाएं हाथ में दो फ्रैक्चर के साथ बल्लेबाजी और गेंदबाजी की थी.
 
जब पंत को मुख्य कोच गौतम गंभीर से बात करते देखा गया तो दर्द साफ दिख रहा था। ऐसा नहीं लगा कि वह बल्लेबाजी के लिए उतरेंगे.
 
पहले से ही फ्रैक्चर वाले पैर के साथ बल्लेबाजी के लिए उतरना बड़ा दांव था। लेकिन अगर कोई दांव नहीं है तो पंत भी नहीं है.
 
कोई भी आशावादी व्यक्ति यह दांव नहीं लगाएगा कि दाहिने पैर में चोट लगने के 24 घंटे से भी कम समय बाद पंत मैदान पर उतरेंगे, लेकिन उन्होंने मैदान पर मौजूद हर किसी को हैरत में डाल दिया। दर्शकों ने पंत के साहस को देखते हुए खड़े होकर तालियां बजाई गईं.
 
रात में 37 रन पर ‘रिटायर्ड हर्ट’ होने वाले पंत के लिए भागकर एक एक रन लेना मुश्किल हो रहा था। लेकिन उनके अंदर का योद्धा उन्हें आगे बढ़ाता रहा। उन्होंने अर्धशतक पूरा किया जिसे 25 साल बाद जब वह पीछे मुड़कर देखेंगे तो उन्हें अपने आठ टेस्ट शतकों जितना ही प्रभावशाली लगेगा.