आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के खिलाड़ियों को देश के लिए खेलने के लिए प्रोत्साहित करने के सरकार के रुख को उचित माना है.
उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय टीम के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए ‘उम्मीद की किरण’ है, लेकिन उन्होंने नीति को लागू करने में आने वाली कठिनाइयों को भी रेखांकित किया.
नयी खेलो भारत नीति (राष्ट्रीय खेल नीति) को एक जुलाई को कैबिनेट की मंजूरी मिली और यह सरकार के पहले के रुख से अलग होने का संकेत देती है कि केवल भारतीय पासपोर्ट रखने वाले खिलाड़ी ही देश का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं.
चौबे ने एक बयान में कहा, ‘‘जब राष्ट्रीय टीम के प्रदर्शन की बात आती है तो नीति में एक ऐसी बात है जिस पर हमने सक्रिय रूप से काम किया है जो भारत की प्रवासी प्रतिभाओं तक पहुंच की है. मुझे खुशी है कि नीति में इसका संदर्भ शामिल है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सकारात्मक बयान है. एआईएफएफ फीफा और सरकार के साथ मिलकर राष्ट्रीय टीम को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करना जारी रखेगा. ’’
चौबे ने कहा, ‘‘कुछ वर्षों से राष्ट्रीय टीम में ओसीआई (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया - भारतीय मूल के नागरिक) कार्ड वाले खिलाड़ियों को शामिल करने की मांग उठ रही है। हमने देखा है कि वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश, मलेशिया, हांगकांग, सिंगापुर, मध्य पूर्वी देश और यूरोप के देश अपनी टीमों को मजबूत करने के लिए दोहरी नागरिकता वाले खिलाड़ियों का लाभ उठाते हैं. ’’
वर्ष 2008 में ओसीआई कार्ड धारकों के देश का प्रतिनिधित्व करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया जिससे कई खिलाड़ियों को भारत के विकास में योगदान करने से रोक दिया गया.
खेलो भारत नीति के 20 पन्ने के दस्तावेज में कहा गया है कि खेल भारतीय प्रवासियों और देश के बीच एक मजबूत सेतु का काम कर सकते हैं जिससे भावनात्मक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध बढ़ते हैं.