जॉर्जिया अंतरराष्ट्रीय वुशु चौंपियनशिपः कश्मीर की जुड़वां बहनें आयरा और अंसा चिश्ती ने भारत को दिलाया पदक

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 13-08-2022
जॉर्जिया अंतरराष्ट्रीय वुशु चौंपियनशिपः कश्मीर की जुड़वां बहनों आयरा और अंसा चिश्ती ने भारत को दिलाया पदक
जॉर्जिया अंतरराष्ट्रीय वुशु चौंपियनशिपः कश्मीर की जुड़वां बहनों आयरा और अंसा चिश्ती ने भारत को दिलाया पदक

 

आवाज द वॉयस / श्रीनगर 
 
जुड़वां बहनों आयरा और अंसा चिश्ती ने अंतरराष्ट्रीय वुशु चौंपियनशिप में महिलाओं की 56 किलोग्राम वर्ग में क्रमशः स्वर्ण और रजत पदक जीतकर जम्मू-कश्मीर और देश को गौरवान्वित किया है. चैंपियनशिप जॉर्जिया में आयोजित की गई.
 
जॉर्जिया में 2 से 7 अगस्त तक आयोजित चैंपियनशिप में जुड़वा बहनों ने अपनी श्रेणी के फाइनल में एक-दूसरे का सामना किया, जिसमें आयरा स्वर्ण पदक विजेता रही, जबकि अंसा ने रजत पदक से संतोष किया.
 
दोनों बहनों के लिए यह सफर आसान नहीं था. वे दोनों इंटरनेट पर देखने के बाद एक इनडोर सिस्टम में पहुंचीं जहां उनके कोच आसिफ उनकी क्षमताओं को पहचाते हुए उन्हें प्रशिक्षण के लिए कक्षाओं में दाखिला दे दिया.
 
इसके बाद दोनों ने राष्ट्रीय स्तर पर किक, पंच और थ्रो का संयोजन खेल खेलना शुरू किया. उन्होंने हर साल कई पदक जीते. इसके बाद उनका चयन भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा किया गया, जहां जॉर्जिया में इस चौंपियनशिप के लिए प्रतिभागियों के चयन की खातिर शिविर आयोजित किया गया था.
 
आयरा और अंसा ने चौंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया और दो पदक के साथ स्वदेश लौटीं. परिवार की ओर से उनका जोरदार स्वागत किया गया. मिठाइयां बांटी गईं और माल्यार्पण किया गया.
 
उन्होंने बताया, वुशु किक, पंच और थ्रो का एक संयोजन है. आसिफ सर ने हमें प्रशिक्षित किया और फिर हमें हर साल राष्ट्रीय स्तर पर पदक मिलना शुरू हुआ. हमें इस चौंपियनशिप के लिए 31 जुलाई को चुना गया था. चौंपियनशिप 7 अगस्त तक चली. मेरी तीन फाइट हुई और फाइनल में मेरा सामन अपनी बहन से हुआ.
 
आयरा ने कहा कि हालांकि पदक जीतने का दबाव था, लेकिन अच्छी ट्रेनिंग ने उनमें यह विश्वास जगाया कि वे स्वर्ण पदक लेकर स्वदेश लौटेंगे.अंसा ने कहा कि इस तरह के आयोजन से खिलाड़ियों को काफी एक्सपोजर मिलता है.
 
उन्होंने कहा, मैं और मेरी बहन फाइनल में बहनों के रूप में नहीं, प्रतियोगियों के रूप में लड़े. यह अनुभव हमारे लिए वास्तव में अच्छा था. उनके कोच आसिफ ने कहा कि उन्हें दोनों बहनों की जीत पर गर्व है.राष्ट्रीय से इस पदक तक, उनका सफर लंबा रहा. कुछ बाधाएं थीं.
 
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे रास्ते में कुछ लोग हमें दबाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमने हार नहीं मानी.